म्हारी नखराळी साळी | Marwadi Rachna
म्हारी नखराळी साळी
( Mhari nakhrali sali )
सुण म्हारी नखराळी साळी,गोरी ए मतवाळी
मेळो देखण चालां आज्या,लारै म्हारै भोळी भाळी
बळखाती इतराती चालै,बहती पून सी कयां हालै
देख चांदणी शरमावै,थारो रूप सहयो नहीं जावै
सावण सी रिमझिम बरसै, थारै सागै बादळिया
आओ मेळो देखण चालां,मत चढ़ज्यों डागळिया
चाल चलै मतवाळी साळी, सड़कां हो ज्या चौड़ी
ठुमक ठुमक अयां झूमै, नाचै जियां नाचणी घोड़ी
धूम धड़ाका मेळो देखै,झूला झूलै हंस हंस कै
मिसरी सी मीठी जद बोले,बोल्यां म रस टपकै
काळा केश बादळिया दमकै,नैणां तीर कटार चलै
मटक मटक जद मेळो देख,मैळा रो बजार हिलै
मंद मंद मुस्कावै साळी, मधुर मधुर बतळावै
हंसी मजाक धणेरो करतां,काळजियो धड़कावै
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )