मोड़कर मुंह यूं चलना नहीं

मोड़कर मुंह यूं चलना नहीं | Ruthana shayari

मोड़कर मुंह यूं चलना नहीं

 

 

मोड़कर मुंह यूं चलना नहीं

रूठना तेरा अच्छा नहीं

 

 

शहर से उसके आया जब से

दिल कहीं और लगता नहीं

 

देखता हूं जिसके प्यार का

 वो ही करता इशारा नहीं

 

छेड़ देता उसका जिक्र जो

जख़्म दिल का भरता नहीं

 

खो गया जो मिलकर भीड़ में

वो कहीं मिलता चेहरा नहीं

 

भेज दें कोई रब हम सफ़र

व़क्त तन्हा अब कटता नहीं

 

तोड़ दिया है आज़म प्यार का

उसने ही  रक्खा रिश्ता नहीं

 

 

✏

 

शायर: आज़म नैय्यर

( सहारनपुर )

यह भी पढ़ें : 

टूटे दिल को ख़ुदा अब मेरे करार आये | Toote dil shayari

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *