मुफलिसी मुफलिसी नहीं होती | Muflisi Muflisi Nahi Hoti
मुफलिसी मुफलिसी नहीं होती
( Muflisi Muflisi Nahi Hoti )
बज़्म महफ़िल हसीं नहीं होती I
जब तलक तू कहीं नही होती II
इश्क दौलत अजीब है जिसमे I
मुफ़लिसी मुफलिसी नहीं होती II
फायदा देख जब किया जाए I
वो कभी दोस्ती नहीं होती II
हुस्न उम्मीद तिश्नगी धोखा I
फलसफा इश्क की नहीं होती II
लफ्ज़-जज़्बात है जुदा बेहद I
हिज़्र नाराज़गी नही होती II
दिन गुजरते रहे वफाओं के I
सहर-ए-अफ़्सुर्दगी नहीं होती II
कौन सी आरजू तुझे है के I
रंज शर्मिंदगी नही होती II
यूं मुकम्मल तो ख्वाब कुछ होंगे I
चाहिए, हां वही नही होती II
वक्त जो एक सा अगर होता I
जिंदगी ज़िन्दगी नहीं होती II
सुमन सिंह ‘याशी’
वास्को डा गामा, ( गोवा )
शब्द
रंज = आत्मग्लानि/पछतावा
मुकम्मल= पूरा
सहर-ए-अफ़्सुर्दगी= खिन्नता, उदासीनता की सुबह
फ़लसफ़ा =वास्तविक्ता, logic, philosophy