मुहब्बत का सभी से राब्ता रख
मुहब्बत का सभी से राब्ता रख

मुहब्बत का सभी से राब्ता रख 

( Muhabbat ka sabhi se raabta rakh )

 

 

मुहब्बत का सभी से राब्ता रख

किसी से दिल नहीं तू खफ़ा रख

 

भुला देना नहीं दिल से मुझे तू

हमेशा मिलनें का तू सिलसिला रख

 

लबों पे प्यार की बातें रखना तू

नहीं मुझसे तू ऐसे मत गिला रख

 

मिला के चल मुहब्बत के कदम तू

सनम ऐसे नहीं तू फ़ासिला रख

 

न कर तू बेवफ़ाई यूं उल्फ़त में

वफ़ाओ से अपना दिल तू भरा रख

 

करेगा रब मुश्किल आसान तेरी

लबों पे तू  सदा अपनें ख़ुदा रख

 

नहीं तू तोड़ना आज़म से रिश्ता

मुहब्बत का सनम  रिश्ता सदा रख

 

 

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शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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