स्वर्ग में कोरोना (PART-2 )
स्वर्ग में कोरोना (PART-2 )
#स्वर्गबन्दी
ब्रह्मा जी ने आंखे बंद कर लीं और घोर चिंतन में लीन हो गए।उनके तीनों माथों पर चिंता की लकीरें स्पष्ट देखी जा सकती हैं।अपनी ही बनाई हुई कृति को वह आज बिगड़ते हुए देख रहे हैं.शोक!!! मनुष्य इतना बुद्धिहीन हो गया कि अपनी ही तबाही का इंतजाम करने को तत्पर है ?
क्या मैंने इसकी रचना इसलिए की थी कि एक दिन यह मानव जाति को ही नष्ट करने  लग जायेगा!!मैंने अपनी जान में  मनुष्य को सबसे बेहतर बनाया इस उम्मीद से कि वह स्वयं को, पृथ्वी को विकसित करेगा तथा अन्य जीव जंतुओं सहित प्रकृति का भी ख्याल रखेगा परंतु मनुष्य तो आत्मघाती निकला ..यह खुद के साथ साथ अन्य जीव जंतुओं समेत पूरी पृथ्वी के लिए खतरे पैदा करता जा रहा है।
ब्रह्माजी अपनी योगदृष्टि से यह भी स्पष्ट देख पा रहे हैं कि मनुष्य से पृथ्वी के साथ साथ अन्य लोक भी सुरक्षित नही है,  यह देवलोक भी नही।
नारद, चित्रगुप्त और अन्य देवगण ब्रह्मा जी के आंखे खोलने का इंतजार कर रहे हैं। जितना विलम्ब हो रहा है सभासदों के हृदय में अद्रश्य खतरे के प्रतिबिंब बुलबुलों के रूप में बनने शुरू हो गए हैं। वह ब्रह्मा जी की आदत को पहचानते हैं विचार करते हुए जितना अधिक उन्हें विलम्ब होता है “आसन्न खतरे”की संभावना उतनी ही प्रबल हो जाती है।
                       ★★★
कुछ क्षणों पश्चात ब्रह्माजी ने आंखे खोलीं।उनका चेहरा अब पहले से अधिक चिंतित नजर आ रहा है।
कठिन समय मे चिंतित व्यक्ति को देखना और अधिक चिंता में डाल देता है।
नारद मुनि से रहा न गया वह कुछ बोलने को हुए कि ब्रह्माजी ने एक हाथ से उन्हें चुप रहने का इशारा किया।
“पृथ्वी पर मानव जाति पर निस्संदेह घोर संकट है…..”ब्रह्माजी ने चिंता से रुंध आये गले को साफ करते हुए कहा।
“परन्तु मुझे कुछ और संकट भी दिखाई पड़ रहे हैं जो कि इंसानों के नही हमारे संकट हैं।” सभा अब पहले से अधिक चुप और गम्भीर हो गयी।अभी तक जो दरबारीगण इधर उधर की बातें कर रहे थे अब ध्यान से ब्रह्माजी को सुनने लगे।
“हम पर संकट?? प्रभु खुल कर समझाओ!!”नारद जी ने कहा।
“नारद!!पृथ्वी में कोरोना से मरने वाले जीव यमदूतों द्वारा यमलोक अथवा स्वर्गलोक लाये जाते हैं।मेरी चिंता पृथ्वी में मृत्यु को प्राप्त मनुष्यों को यमलोक लाने वाले यमदूत हैं।अगर उनमें से कोई संक्रमित हो गया तो यहां भी कोरोना वायरस फैलते देर नही लगेगी।”
उस सभा मे उपस्थित सभी देवगणों के चेहरों से हवाइयां उड़ने लगीं।अभी तक कौतूहल का विषय कोरोना अब संकट का विषय बन चुका था।जब तक हम पर संकट नही आता हम उसे गम्भीरता से नही लेते। दहशत से देवगणों के मुंह भले ही बन्द थे परंतु उनके भीतर से”त्राहिमाम! त्राहिमाम!”गूंज रहा था।
“अब आगे क्या होगा प्रभु?” नारद सहित कुछ अन्य देवों ने एक साथ पूछा।
“अभी की स्थिति देखते हुए कुछ उपायों पर अमल करना होगा…
1-पूरे स्वर्ग और यमलोक में लॉकडाउन घोषित कर दिया जाए।
2-यमलोक से पृथ्वी गए यमदूतों की तुरंत जांच करके उन्हें क्वारंटाइन करवाया जाए।”
“नारायण!नारायण!प्रभु अतिउत्तम विचार है।”
“नारद जी!!”
“जी भगवन!”
“आपने भी तो पृथ्वी के पिछले दिनों कई चक्कर लगाए हैं!!”ब्रह्माजी ने पूछा।
“जी…जी भगवन” नारद जी हकलाते हुए बोले।कहना न होगा कि नारद जी को स्वयं पर आ रहे संकट का पूर्वानुमान हो चुका था।
“आपको भी 14 दिनों के लिए आइसोलेट होना पड़ेगा।”
“परंतु भगवन…मैंने तो…रिपोर्टिंग का क्या होगा?”
“नारद जी!!जान है तो जहान है।इस बात का सदा ध्यान रखो।आप गुणी हो।खबरों के पीछे की खबर भी आप तक पहुंच जाती है।रिपोर्टिंग बाद में हो जाएगी।”
नारद जी ने बुझे मन से सूचनाओं से भरा सिर हिलाया।
ब्रह्माजी ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा-“सावधानी ही बचाव है।जब तक कोरोना संकट है मनुष्य और देवों में भेद मिट गया है।जब तक मनुष्य इसकी वैक्सीन विकसित नही कर लेता तब तक स्वर्गबन्दी रहेगी।अभी कड़ी पाबंदियां जारी रहेंगी बाद में स्थिति अनुसार ढील दी जाएगी।सभा मे आये सभी सुबुद्ध देवगणों से आग्रह है कि “सामाजिक दूरी के सिद्धांत”का पालन करते हुए विचरण सीमित रखने को प्राथमिकता दें।”
ब्रह्माजी ने आगे कहना जारी रखा-
“चित्रगुप्त जी!!आप बेहतर गुणवत्ता वाले मुख कवच और हस्त शुद्धिकरण तरल पदार्थ(मदिरा रहित) का प्रबंध देवलोक के लिए यथाशीघ्र करना सुनिश्चित करें।”
“जो आज्ञा भगवन!!”
“और यमराज जी!!”ब्रह्माजी ने मृत्युलोक के स्वामी यमराज को सम्बोधित करते हुए कहा।
“आप पृथ्वी से आये यमदूतों की तुरंत कोरोना जांच करवाना सुनिश्चित करें।”
“जी महाराज!!”
“अब मैं भी 14 दिनों के एकांतवास के लिए जा रहा हूँ..”
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