मुहब्बत की वो ही अब गुफ़्तगू नहीं करता

मुहब्बत की वो ही अब गुफ़्तगू नहीं करता

मुहब्बत की वो ही अब गुफ़्तगू नहीं करता

 

 

मुहब्बत की वो ही अब गुफ़्तगू नहीं करता

वो सूरत मेरे अब हाँ रु ब रु नहीं करता

 

सितम किए प्यार में ही बहुत मुझपे हर पल

उसी की दिल अब मेरा आरजू नहीं करता

 

उदास रहता है दिल ख़ूब मेरा ये हर पल

जब मुझसे ही हाँ मगर बात तू नहीं करता

 

बिछायें है राहों में ही अदावत के कांटें

मुहब्बत के मुझपे अपनें गुलू नहीं करता

 

गली तेरी छोड़ दिया इसीलिए आना

मुहब्बत की ही जब बरसात तू नहीं करता

 

कि लौट आया आज़म गांव अब अपनें ही

उसके घर की शहर में जुस्तजू नहीं करता

 

 

✏शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

यह भी पढ़ें : – 

मुहब्बत से कभी देखा नहीं है

 

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *