मुझे संभालो | Mujhe Sambhalo
मुझे संभालो
( Mujhe Sambhalo )
मुझे संभालो न मेरे दोस्त अमानत की तरह
पडा़ रहने दो मुझे यहाँ आफत की तरह
इस कदर सबके सीने में उतर जाउंगा मैं
की छोड़ न पाओगे मुझे आदत की तरह||
याद रखो मुझे तुम एक कहावत की तरह
छोड़ना नहीं कभी मुझे बगावत की तरह
यूँ मुसाफ़िर समझ साथ में चलते रहना
काम आऊंगा तुम्हें एक दिन ताकत की तरह||
मैं कलम का तेज हूँ पढ़ो मुझे अक्षर की तरह
रोशन करूँ जहाँ सारा दिनकर की तरह
तुम कितना भी मिटाने की कोशिश कर लोगे
भूल न पाओगे मुझे तुम सिकंदर की तरह||
नर्मदा का जल हूँ शीतल पत्थर हूँ संगमरमर की तरह
एक हूँ हर जगह हमेशा देखो अम्बर की तरह
कभी भी किसी स्खस को नहीं सताया मैंने
कभी नहीं था न रहूँगा मैं सितमगर की तरह||
आनंद त्रिपाठी “आतुर “
(मऊगंज म. प्र.)