मुकेश बिस्सा की कविताएं | Mukesh Bissa Hindi Poetry
हवा के रूख पे
हवा के रुख़ पे चलें या ख़ुदा के साथ रहें,
हम अपने दिल की सुनें या ज़माने के साथ रहें।
ख़्वाब जो आँखों में पलते हैं, बिखर जाते हैं,
कभी तो सोचें कि क्यूँ इस भरम के साथ रहें।
कदम-कदम पे हमें आज़माता है ये सफर,
मगर ये तय है कि अपने हौसले के साथ रहें।
ग़मों की धूप में छाँव का भरम रखना,
जो जल भी जाएँ, तो भी मुस्कुराने के साथ रहें।
ज़िंदगी जब तक मिले, अपनी तरह जियें,
किसी के साये में नहीं, अपने साथ रहें।
जिंदगी क्या है
जिंदगी क्या है, कोई समझा नहीं,
एक कहानी है, जो थमी-थमी।
कभी बहारों का ख्वाब लगती,
कभी वीरानों में खोई नमी।
सवाल लाखों, जवाब चंद हैं,
हर मोड़ पर नए फसाने बंद हैं।
कभी हंसी में छलकती उम्मीद,
कभी आंसुओं में घुली चंद हैं।
ये रेत सा फिसलता वक्त है,
जो हाथ में आए, वो सख्त है।
कभी संग तूफां का खेल खेले,
कभी बस एक ठहरी हुई बस्त है।
मंजिलें पूछती, रास्ता कौन सा,
किस दिशा में जाए, पता कौन सा।
हर कदम पर हैं इम्तिहान लिखे,
जवाब दे खुद को, खुदा कौन सा।
जिंदगी शायर की एक ग़ज़ल सी है,
हर मिसरा नए सवाल सी है।
कभी हंसाए, कभी रुलाए,
हर सांस उसकी एक हलचल सी है।
छोटी सी ज़िंदगी
छोटी सी ज़िंदगी, बड़े ख्वाब रखती है,
हर मोड़ पर नई कुछ किताब रखती है।
पल भर का साथ है, फिर जुदा हो जाना,
फिर भी हर दिल में सवाल बेहिसाब रखती है।
कभी हंसती है, तो कभी रुला देती है,
ख्वाहिशों को अधूरा सा सजा देती है।
फूल भी खिलते हैं कांटों के पहलू में,
ज़िंदगी हर रूप में इम्तिहान लेती है।
कुछ पल हैं अपने, कुछ छूट जाएंगे,
यादें बनकर वो फिर से लौट आएंगे।
जी लो इसे खुलकर, ये कहती है बार-बार,
छोटी सी ज़िंदगी में बहुत से रंग आएंगे।
न गिला करो, न शिकवा करो,
हर घाव पे थोड़ा मरहम भरो।
छोटी सी ज़िंदगी एक तोहफा है खुदा का,
हर सांस को मोहब्बत से जियो, बस यही कहो।
कुछ कहना है
कुछ कहना है, मगर डर लगता है,
तुमसे दूर जाने का खौफ सता जाता है।
दिल की बातें दिल तक सिमट जाती हैं,
जुबां तक आती हैं, फिर रुक जाती हैं।
चुप रहकर भी ये आँखें सब कह देती हैं,
तुम्हारी यादें साँसों में बसी रहती हैं।
कुछ छुपा सा है दिल के कोने में,
जो तुमसे कहूँ, तो खो जाता है वजूद भी।
कुछ कहना है, मगर शब्द नहीं मिलते,
दिल की खामोशी और ज्यादा तकलीफ देती है।
कभी रूह को तो कभी वक़्त को ढूंढते हैं,
कुछ कहने का रास्ता हम फिर से खोजते हैं।
सपनों में खोकर आवाज़ें सुनते हैं,
हमारी खामोशी भी तुम तक पहुँचती हैं।
फिर भी एक डर सा लगा रहता है,
क्या तुम इन ग़ज़लों को समझ पाते हो?
कुछ कहना है, पर कैसे कहूँ,
दिल की बातों को अब बयाँ कैसे करूँ?
उम्मीद का नया साल
नए साल की पहली किरण,
लेकर आई नई उमंग।
मन के आंगन में खिल उठी,
उम्मीदों की मीठी तरंग।
गुज़रा साल सिखा गया,
सपनों को कैसे सजाना है।
हार के साये में भी,
हौसलों का दीप जलाना है।
हर अंधेरे को चीरकर,
सवेरा फिर से आएगा।
जो सोचा था अधूरा कल,
नया साल पूरा कराएगा।
चुनौतियों के पर्वत पर,
अब कदम मजबूती से रखेंगे।
प्यार, शांति और विश्वास का,
संगम हर पल में भरेंगे।
उम्मीद है कि कल खिलेंगे फूल,
हर दिल में खुशियों का समा होगा।
नए साल का हर एक लम्हा,
जीवन का एक नया किस्सा होगा।
तो चलो, बढ़ाएं कदम नए,
सपनों को सच करने के लिए।
नए साल की उम्मीदों संग,
चलो जिएं हर पल हंसी-खुशी के लिए।
चिंतन पर कविता
चुप बैठा मैं एक कोने में, विचारों का मेला लगा,
अंतरमन में उठे सवाल, उत्तर का रास्ता धुंधला।
कभी भूत की परछाईयाँ, तो कभी भविष्य का डर,
चिंतन की गहराइयों में, भटकता मन ढूँढे सफ़र।
खुद से बातें करता रहा, मौन में आवाज़ें आईं,
बीते पल के झरोखों ने, कुछ यादें फिर से दोहराईं।
चिंतन का सागर अथाह है, तट पर ठहरे कौन यहाँ?
हर लहर में छुपे सवाल हैं, किसका है समाधान यहाँ?
सोच के धागे बुनते-बुनते, मन उलझता और सुलझता है,
चिंतन का ये चक्र अनोखा, कभी रोक न पाता है।
सच की खोज में चलता मन, प्रश्न अनगिनत पूछता है,
हर उत्तर से जन्मे फिर प्रश्न, ये जीवन का सत्य दिखाता है।
चिंतन से ही प्रकाश मिलेगा, अंधकार भी मिट जाएगा,
मन का ये मंथन एक दिन, सच्चा मोती पा जाएगा।
चाय की चुस्की
सुबह-सुबह की पहली किरण, जब आँगन में मुस्काती है,
थकी हुई पलकों को चाय की चुस्की राहत दे जाती है।
धुआँ उठे प्याले से जब, खुशबू हवाओं में बिखर जाए,
मानो ठहरी हुई ज़िन्दगी, फिर से रफ़्तार पकड़ जाए।
कभी अकेले में साथी बनती, कभी यारों की महफ़िल सजाती है,
चाय की चुस्की हर लम्हे में, मीठी बातें ले आती है।
सर्दी में गुनगुनी तपिश है ये, बरसात में तो जैसे जश्न लगे,
गर्मियों में सुकून का रिश्ता, बेमौसम भी ये बस संग लगे।
कुछ घूँट में हलचल होती है, कुछ घूँट सुकूँ सा लाता है,
चाय का जादू ऐसा है जो, हर रिश्ता और भी गहराता है।
कभी अदरक, कभी इलायची, तो कभी मसालों का मेल,
चाय की प्याली संग चलती, हर दिन की अपनी रेल।
ज़िन्दगी की थकान को हर पल, ये धीरे-धीरे छू कर बहलाती है,
हाँ, सच कहें तो चाय की चुस्की, एक नशा-सा दे जाती है।
रिश्ते
रिश्ते हैं तो ज़िंदगी में बहार रहती है,
वरना हर खुशी भी यूँ बेकरार रहती है।
दिल से निभाओ तो ये मंदिर सजे हैं,
झूठे वादों में बस दरार रहती है।
कभी मोहब्बत का रंग घुलता है इनमें,
तो कभी फासलों की बयार बहती है।
रिश्तों की डोर नाज़ुक बहुत होती है,
ज़रा सी चूक में वो टूट जाती है।
ज़रा-सा वक़्त देकर सवारा करो इन्हें,
बातों की मिठास से ये सँवर जाती है।
मूल्य समझो इनके, ये अनमोल होते हैं,
बिखर जाएँ तो बस यादें ही रह जाती हैं।
रिश्ते की धूप-छाँव को समझो तुम,
इनसे ही तो ज़िंदगी महकती है।
ख़्वाब
ख़्वाब आँखों में सजाए चले जाते हैं,
टूट कर भी हमें रास्ता दिखाते हैं।
चाँद तारों से आगे की है मंज़िल अपनी,
ख़्वाब ही तो हमें उड़ना सिखाते हैं।
रात भर नींद से लड़ते रहे हैं हम,
सुबह होते ही ख़्वाब खुद को बुलाते हैं।
कुछ पूरे हुए, कुछ बिखर गए हैं,
पर ये ख़्वाब ही हमें ज़िंदा बनाते हैं।
जो हकीकत से लड़ जाए, वो ख़्वाब है,
जो थाम ले हाथों को, वो जवाब है।
दिल में उम्मीद की लौ जलाए रखो,
ख़्वाब सच होंगे, यही ज़िंदगी का हिसाब है।
आईना
आईना जब भी मुझे टटोलता है,
हर बार एक नया सवाल करता है।
कभी चेहरे की झुर्रियों पर हँस देता है,
कभी मासूमियत का हाल पूछता है।
वक़्त की परतों को ऐसे पलटता है,
जैसे मेरी ज़िन्दगी के पन्ने उलटता है।
मेरे चेहरे की थकान को पढ़ लेता है,
और फिर भी मुस्कुराने की मिसाल करता है।
आईना झूठ बोल नहीं सकता कभी,
हर लम्हा सच्चाई का इस्तकबाल करता है।
जो अंदर छुपा है, वो भी दिखाता है,
आईना हर दर्द का खयाल करता है।
जो टूट जाए, तो हर टुकड़ा कहे,
किसी की आँखों का सवाल करता है।
आईना अक्सर मुझे सिखा जाता है,
कि हर चेहरे का अपना कमाल करता है।
वो तो बस सच को बयान करता है,
आईना कभी किसी से न मलाल करता है।
ये वही है जो हर रोज़ बदलता नहीं,
पर वक्त का हर असर बेहिसाब करता है।
इसकी सच्चाई से जो डरते हैं,
वो ही अक्सर खुद से सवाल करता है।
कशिश
तेरी आँखों में जो कशिश है, वो जादू सा लगता है,
हर बार देखने पर तेरा चेहरा नया सा लगता है।
तेरे लफ़्ज़ों की मिठास में वो अजब सी तासीर है,
दिल को छूकर गुज़रती है, और दिल को बहला सा लगता है।
एक अजीब सी खिंचाव है तेरे मेरे दरमियाँ,
जो पास ना होकर भी तू हर पल करीब सा लगता है।
तेरे बिना इस दिल को चैन कहीं ना आता है,
तेरी यादों का हर लम्हा मुझे अपना सा लगता है।
कभी सोचा ना था किसी में इतनी कशिश हो सकती है,
कि हर एक बात में बस तेरा ज़िक्र हो जाता है।
तेरे बिन यूँ तो सब कुछ है मेरे पास,
पर तेरे बिना ये दिल हमेशा खाली सा लगता है।
करीब
जब भी तुम करीब आते हो, सुकून सा मिलता है,
हर दर्द दिल का जैसे खुद-ब-खुद सुलझता है।
तुम्हारी नज़दीकियों में बसी है एक खुशबू सी,
दिल के हर कोने में तुम्हारा एहसास बसता है।
फासलों की दूरी को मिटा देती है तुम्हारी हंसी,
तुम्हारे करीब रहकर ही मेरा दिल धड़कता है।
हर लम्हा गुज़रता है बस तुम्हारी यादों में,
तुमसे दूर रहकर भी तुम्हारा पास होना लगता है।
तुम्हारी आँखों की गहराई में खो जाता हूँ मैं,
जैसे हर राज़ मेरा तुम्हारी पलकों में छुपा रहता है।
करीब रहो या दूर, ये फासले मायने नहीं रखते,
दिल की धड़कनों में बस तुम्हारा नाम बसता है।
चेहरा
चेहरे की ये चमक कोई राज़ कहती है,
आँखों की ये झलक कोई बात कहती है।
लबों की मुस्कान में छुपा है एक राज़,
हर एक हंसी दिल का हाल कहती है।
चेहरे की रंगत पर लाखों रंग चढ़ते हैं,
पर असल ख़ूबसूरती उसकी सादगी कहती है।
हर एक झुर्री है समय का दस्तावेज़,
चेहरे पर उम्र की हर कहानी कहती है।
छुपाने की कोशिशें करते हैं जो अपने दर्द,
उनकी आँखों में एक गहरी रात कहती है।
चेहरे की तारीफ़ में लाखों अल्फ़ाज़ हो सकते हैं,
पर असली हुस्न वो है जो आँखों से दिल में उतरती है।
सफ़र
सफ़र की राहों में अक्सर भटकते रहे,
हर मोड़ पे हम ख़ुद से ही लड़ते रहे।
मंज़िल का पता था पर ठहर न सके,
कुछ ख्वाब थे ऐसे जो चलते रहे।
चाँदनी रातों में तारों की चाहत रही,
दिन की धूप में साये से जलते रहे।
हवाओं ने हर बार रुख़ बदला यूँ,
हम कश्ती को अपनी संभालते रहे।
थोड़ी थकान थी, थोड़ा सुकून भी था,
रास्तों के गीत हम गुनगुनाते रहे।
कभी ख़ुशबू ने रस्ता बदलने न दी,
कभी कांटों से भी कदम बढ़ाते रहे।
हर सफ़र में कुछ नए लोग मिले,
कुछ को भूले, कुछ को याद रखते रहे।
सफ़र का यही हाल है ऐ दोस्त मेरे,
हम सफ़र में भी अपनी मंज़िल बनाते रहे।
कुछ नहीं कहते
कुछ नहीं कहते, मगर आँखें बयां कर जाती हैं,
हर ख़ामोशी में कई बातें छुपा जाती हैं।
लब खामोश हैं, पर दिल की आवाज़ सुनो,
कुछ हकीकतें, बस निगाहों से सजा जाती हैं।
मुस्कुराहटें चुपके से छलक पड़ती हैं,
ग़म की बारिशें दिल में दबा जाती हैं।
चाहत है, इज़हार करें या ना करें,
ये आँखें हर राज़ बता जाती हैं।
इश्क़ के किस्से जब ज़ुबां पर ना आएं,
तो नज़रों की हलचलें बहुत कुछ दिखा जाती हैं।
शब्दों की मोहताज नहीं होती मोहब्बत,
चुप्पी भी एक कहानी बना जाती है।
दिल के दरवाज़े पर दस्तक देती हैं,
ख़ामोशियां भी आहटें सुना जाती हैं।
छुपाने से इश्क़ कहां छुपता है कभी,
चाहे जितना भी कोई मुकर जाता है।
बस समझने की बात है ऐ ‘दोस्त’,
बिन कहे भी बहुत कुछ कहा जाता है
कौन बताएगा
कौन बताएगा, दिल के इस ग़म को क्या नाम दूँ,
वो सख़्त चेहरा, क्या उस पर यकीन करूँ?
कौन बताएगा, वो ख्वाब जो टूटे थे कभी,
अब उन अधूरे सपनों का क्या हिसाब करूँ?
हर एक लम्हा, दर्द में जो बसा है,
कौन कहेगा कि अब क्या सब कुछ यूं ही खो गया है?
वो मुस्कान जो कभी झलकती थी आँखों में,
कौन बताएगा, अब क्यों चेहरा उदास है?
इश्क़ की राहों में खो जाने की कोशिश,
कौन जानेगा, क्या वफ़ा का कोई मतलब अब पास है?
हर उलझन में बसी है एक नई तड़प,
कौन बताएगा, इस दिल की चुप्पी में क्या राज़ है?
कौन बताएगा कि हमें क्या खोना है,
कौन समझेगा, किससे ये सवाल पूछना है?
किसका रास्ता देखूँ
किसका रास्ता देखूँ, कौन सा रस्ता चुनूँ,
जिंदगी की राहों में अब कहाँ जाऊँ मैं?
जब से तुझसे मिलकर रुक गई हैं सांसें,
किसकी तलाश में अब फिर से जी लाऊँ मैं?
दिल में एक सवाल है, हर पल जो गूंजे,
क्या तुम लौट के आओगे या यूँ ही रुक जाऊँ मैं?
तेरे बिना सब कुछ अधूरा सा लगता है,
किससे अब अपना दर्द और ग़म कहूँ मैं?
तुझसे बिछड़कर टूट गई हैं उम्मीदें सारी,
अब किसके भरोसे पर फिर से जी लाऊँ मैं?
हर रास्ते में खोने का डर है अब,
किसका हाथ पकड़ूँ, किसका साथ पाऊँ मैं?
दुआओं में तेरा नाम अब भी लिया करती हूँ,
किससे अपना दर्द छुपाऊँ, किससे कहूँ मैं?
आँखों की नमी
आँखों की नमी कुछ कहती है,
बिन बोले ये हर बात कहती है।
छुपे हुए जज़्बातों की कहानी,
सिर्फ़ समझने वालों को मिलती है निशानी।
एक बूंद जो गालों पर ढलके,
कभी खुशी, कभी ग़म के संग चले।
हर अश्क में छुपा होता है अरमान,
कभी टूटा हुआ, कभी किसी का इन्तज़ार।
नमी का ये प्याला कभी खाली नहीं होता,
हृदय का हर कोना इसमें समा जाता है।
वो खामोशी में बहती लहरें,
हर लफ्ज़ से गहरी होती हैं कहानियाँ कहतीं।
कभी चाहत की कसक है,
कभी बिछड़न का दर्द।
इस नमी में छुपे हैं हर पहलू के रंग,
जो कभी खुशबू की तरह फैलते हैं,
तो कभी बेमुरव्वत चुभते हैं।
आँखों की नमी यूँ ही बहने नहीं देती,
हर बूँद में एक सपना सजा होता है।
कहते हैं इसे कमजोरियों की निशानी,
पर इसमें ताकत होती है अनजानी।
ये नमी हर दिल को समझती है,
हर एक दर्द को अपने में समेटती है।
ये आँसू नहीं, दिल की स्याही है,
जो बिना लफ्ज़ों के हर दास्तां बयां करती है।
हाँ, मैं नारी हूँ
हाँ, मैं नारी हूँ, सृष्टि का आधार हूँ,
ममता की मूरत, शक्ति का आकार हूँ।
नर्म दिल में गहरी मजबूती की दीवार हूँ,
सहनशीलता में बसी अनंत प्यार की धार हूँ।
हाँ, मैं नारी हूँ, सपनों को सँवारती हूँ,
कभी खुद को भुला, रिश्तों को निखारती हूँ।
हर दर्द सहकर भी मुस्कुराना जानती हूँ,
अंधेरों में दीप बनकर जलना मानती हूँ।
हाँ, मैं नारी हूँ, मेरे इरादे फौलाद हैं,
हर चुनौती के आगे मेरे कदम आज़ाद हैं।
घबराकर रुकना मेरे स्वभाव में नहीं,
हर बंधन को तोड़ना, यही मेरे व्रत का सार है।
हाँ, मैं नारी हूँ, इतिहास की रचना हूँ,
सीता, सावित्री और झांसी की लक्ष्मीबाई का सपना हूँ।
कभी कोमल सी दूब, तो कभी आँधी बन जाती हूँ,
ज़रूरत पड़े तो दुर्गा, कभी काली बन जाती हूँ।
हाँ, मैं नारी हूँ, पर कमजोर नहीं,
मेरे हौसलों की उड़ान को कोई रोक नहीं।
हर बार उठी हूँ गिरकर, सिखाया मैंने ये संसार को,
कि हार मानना मेरी रीत नहीं, मैं हूँ अपनी राह का दीप।
हाँ, मैं नारी हूँ, प्रेम का सागर हूँ,
हर दिल को अपनाने वाली, हृदय से उदार हूँ।
लेकिन जब अन्याय हो, चुप नहीं रहती,
मैं न्याय के लिए अडिग, अपनी बात पर अटल हूँ।
हाँ, मैं नारी हूँ, जीवन का उजाला हूँ,
अपने अस्तित्व से इस संसार को सँवारा हूँ।
मेरे बिना अधूरा है हर रंग, हर सफर,
हाँ, मैं नारी हूँ, मैं हूँ इस जग का असल स्वर l
जब आँख नम होती है
और क्या कहें उन नम आँखों की कहानी को,
हर बूँद जैसे बयां करती है एक पुरानी कहानी को।
कभी ये आँसू ख़ुशी के भी बह निकले हैं,
जैसे चुपचाप दिल से कोई अरमान कह निकले हैं।
तो कभी दर्द के बोझ से थककर झरते हैं,
जैसे एक टूटी हुई उम्मीद पे आकर ठहरते हैं।
ये आँखें जब नम होती हैं, दिल सुलगता है,
जैसे कोई बुझी राख फिर से जलता है।
हर बूँद में छुपे होते हैं अनकहे सवाल,
जिनके जवाब कभी ना मिले, ना हों हलाल।
जब रिश्ते दरकते हैं, या कोई छूट जाता है,
तब आँखों का ये समंदर उफान पर आ जाता है।
कभी अपनेपन की गर्मी में पिघल जाते हैं ये आँसू,
कभी तन्हाई की सर्द हवा में बह जाते हैं ये आँसू।
कहने को तो हम भी मजबूत बहुत हैं यहाँ,
पर सच तो ये है कि नम आँखें सब बयां करती हैं।
इस नमी में वो सपने भी मिलते हैं टूटे हुए,
जिन्हें हम कभी सीने में सँजोए बैठे हुए।
तो कभी इनमें होती है उम्मीद की भीनी ख़ुशबू,
जो कहती है, “अभी चलना है, मंज़िल है रूबरू।”
जब आँख नम होती है, दिल थोड़ा हल्का हो जाता है,
जैसे दर्द का बोझ किसी और के साथ बाँट जाता है।
खामोशियों का बयान
जताते क्यों नहीं हो कि दिल में क्या छुपा रखा है,
हर जज़्बा ऐसे अंदर ही अंदर क्यों दबा रखा है।
हम तो तुम्हारी खामोशियों को भी पढ़ लेते हैं,
पर तुमने हर एहसास को पर्दों में सजा रखा है।
कभी तो इन आँखों से कह दो वो अनकही बातें,
क्यों होंठों पर हर बार इतनी मजबूरी बसा रखा है।
सुनो, दर्द भी बाँटने से हल्का होता है यार,
फिर क्यों अपने दिल को यूँ तन्हाई में सुला रखा है।
हवा में हैं महकते लम्हे, बस इज़हार का इंतज़ार है,
तुमने हर फूल को जैसे काँटों में छुपा रखा है।
हम तुम्हारे करीब हैं, ये तुम्हें अहसास तो है,
तो फिर क्यों हर पल एक फ़ासला बना रखा है।
दुनिया से डरना तो छोड़ दो कुछ लम्हों के लिए,
तुम्हारे दिल ने ये कैसी जंजीरें बिछा रखी हैं।
ख़्वाबों में आकर कहते हो जो बातें,
वो हकीकत में कहने से क्यों अपने कदम हटा रखा है।
हम भी चाहते हैं कि खुलके तुम्हें महसूस करें,
मगर तुमने हर लम्हा जैसे कैद में दबा रखा है।
पलकों पर कई ख्वाहिशें अब थमने लगी हैं,
जताते क्यों नहीं हो उन्हें एक हकीकत बना रखा है।
हम तो हर पल बस तुम्हारे पास ही रहना चाहते हैं,
क्यों अपने दिल के दरवाज़ों को बंद सा रखा है
कैसा ये शहर
कैसा ये शहर है, हर शख़्स परदा-दार सा है,
जितने हैं चेहरे यहाँ, हर चेहरा इज़्तिरार सा है।
ग़ुंचों की बातें तो बहुत दूर की हैं ऐ दोस्त,
यहाँ तो हर फूल भी अब ख़ामोश-ओ-बेज़ार सा है।
कभी इस शहर में रिश्तों का जहाँ बसता था,
आज वही दिलों में ख़लिश का कारोबार सा है।
जिन गलियों में थी पहले हँसी-ठिठोली की बातें,
अब हर कदम पे डर का ही इज़हार सा है।
ख़्वाबों की मिट्टी में थी कभी उम्मीद की ख़ुशबू,
अब तो हर सपना बिखरता गुबार सा है।
इस शहर की हवा में वो पुरानी महक कहाँ,
यहाँ तो हर सांस में बस बोझिल इंतज़ार सा है।
किसे पुकारें, किसे अपने दर्द का अक्स दिखाएँ,
हर इंसान आज यहाँ जैसे अजनबी सा है।
कैसा ये शहर है, हर कोई अकेला चल रहा,
हर एक रास्ता जैसे वीरान बेज़ुबान सा है।
कुछ कहना है
कुछ कहना है, पर कैसे कहूँ,
दिल की गहराई को कैसे सहूँ।
लफ्ज़ों में वो एहसास नहीं आता,
जो आँखों की ख़ामोशी में बहूँ।
हवा में घुला है उसका नाम अब भी,
उसकी हँसी की हल्की सी गूँज अब भी।
कहने को तो बहुत कुछ है दिल में,
पर हर बात पे दिल डर सा जाए अब भी।
वो पास होकर भी दूर सा लगता है,
जैसे कोई ख्वाब हो जो अधूरा सा लगता है।
चाहूँ तो बोल दूँ सब उसी पल में,
पर उसकी ख़ामोशी से रिश्ता जुड़ा सा लगता है।
कह दूँ या न कहूँ, ये सोच में हूँ,
शायद मेरे जज़्बात वो यूँ ही समझ ले।
बिन कहे भी मेरे दिल की सदा सुन ले,
उसकी एक मुस्कान मेरे सवालों का जवाब दे।
हर शाम में उसकी याद का रंग होता है,
जैसे दिल का कोई कोना उसके संग होता है।
कुछ कहना है, पर डरता हूँ कहीं टूट न जाए,
ये खामोश सा रिश्ता जो सच्चा और अनमोल होता है।
बस चाहत है वो समझ जाए हर अल्फाज़ बिना कहे,
इस दिल की गहराई को वो महसूस कर ले।
कुछ कहना है, मगर ये खामोश दुआ है,
कि उसकी हर ख़ुशी में मेरी साँसें बस जाएँ।
सफ़र अभी बाक़ी है
सफ़र अभी बाक़ी है, मंज़िलें भी आएँगी,
हर मोड़ पे देखो, राहें मुस्कुराएँगी।
थोड़ी थकान है, थोड़ा आराम कर लें,
लेकिन चलना है, सुबह फिर बुलाएँगी।
राहों में कांटे हैं, फूल भी खिलेंगे,
आँधियाँ रुकेंगी, सपने भी मिलेंगे।
हर मुश्किल से टकरा कर चलना है हमें,
सफ़र अभी बाक़ी है, रास्ते फिर मिलेंगे।
हर ठोकर में कोई सीख छुपी मिलती है,
हर दर्द में उम्मीद की किरण खिलती है।
गिर-गिर कर खुद को संभालना हमें,
सफ़र अभी बाक़ी है, राहें चलती मिलती हैं।
रातें हैं काली, मगर सवेरा तो आएगा,
तन्हा सा लगता है, पर कारवां बन जाएगा।
यूँ ही चलते रहे तो मंज़र बदलेंगे,
सफ़र अभी बाक़ी है, फासले पिघलेंगे।
जब थक कर बैठूँ, एक पल को ठहरूँ,
दिल में ये अरमान का दिया फिर से जलाऊँ।
मंज़िल को पाना है, ये वादा निभाना है,
सफ़र अभी बाक़ी है, ख़ुद को फिर उठाना है।
हर धूप-छाँव में हम जो साथी बनें,
गिरते-संभलते हर मुश्किल से गुज़रें।
चलते रहेंगे, रुकना नहीं है कहीं,
सफ़र अभी बाक़ी है, और मंज़िलें भी हैं वहीँ।
प्रेम की गहराई
छुपे हैं ख्वाब कितने इन आँखों के पीछे,
प्रेम की गहराई है सैकड़ों राहों के पीछे।
एक लम्हा वो पास हो तो उम्र गुजर जाए,
बसी है जैसे ज़िंदगी उसकी बाहों के पीछे।
हर दर्द में उसका नाम याद आता है,
चुपके से मुस्कुराता हूँ, आहों के पीछे।
जुदाई भी अब तो अपनापन लगती है,
छुपा है मिलन का रस्ता फासलों के पीछे।
कभी जो बोले बिना वो सब समझ ले,
ऐसी अदा छुपी है निगाहों के पीछे।
वो दिल में उतर कर जैसे खुदा हो गया,
इबादत है उसकी हर एक चाहों के पीछे।
ये इश्क़ सागर सा गहरा, अनजानी डगर,
कौन जाने क्या छुपा है इस चाहतों के पीछे।
इंसान
कहाँ से आया था, कहाँ खो गया है,
इंसान तो अब बस एक नाम हो गया है।
जिसे देख हँसता था, अब डरता है,
वो दिल था कभी, अब वीरान हो गया है।
रिश्ते जो जोड़े थे, वो बिखरने लगे,
इंसान ही इंसान से अनजान हो गया है।
कभी बाँटा था दर्द और खुशियाँ सबने,
अब हर शख़्स ख़ुद में ही गुमनाम हो गया है।
मंज़िलें पाई बहुत, मगर खो दिया सब,
इंसान दौलत का गुलाम हो गया है।
चमकती ये दुनिया उसे क्या दिखाए,
जो दिल में बसा था, वो अरमान खो गया है।
फिर से तलाशेगा वो अपनापन कभी,
जो इंसान था, अब वो इक कहानी हो गया है।
होने लगा है
होने लगा है अब हर सुबह का उजाला,
जैसे किसी ख़्वाब ने आँखों में डेरा डाला।
चुपके से दिल में बसी है कोई नयी ख़ुशबू,
हवा भी लगने लगी है किसी का संदेसा लाया।
धड़कनों में जैसे कोई गीत बजने लगा है,
हर साज़ ने अब नया राग छेड़ डाला।
खोया-खोया सा रहता हूँ इन खयालों में,
जैसे दिल का हर कोना किसी ने है सम्भाला।
रंगों की एक बस्ती सी बसने लगी है,
धुंधला था जो मन, अब वो भी चमकने लगा है।
शायद ये वही है जिसकी तलाश थी कब से,
होने लगा है एहसास अब कुछ खास सा।
अपनों का साया
अपनों का साया जब साथ होता है,
हर दुख में भी खुशी का आभास होता है।
कभी चुप्पी, कभी हंसी, कभी आँसुओं की बौछार,
उनकी गोद में मिलता है हर दर्द का उपचार।
हर एक पल में छुपा है उनका प्यार,
साथ चलें जब, हर मुश्किल हो आसान।
दूरियाँ मिट जाती हैं जब होते हैं साथ,
अपनों की बातें देतीं हैं जीवन को नया आत्मसात।
कभी समझाते हैं, कभी देते हैं सलाह,
उनकी यादों में बसी है, हर ग़म की दवाई।
हर मुश्किल की घड़ी में जब बिखरे हैं तारे,
अपनों का साथ हो, तो सजता है हर मंजर सारे।
छोटी-छोटी खुशियाँ मिलकर बनती हैं बहार,
हर एक लम्हा अपनों के संग, है ख़ुदा का उपहार।
जिंदगी के सफर में वो हैं हमारे सच्चे साथी,
उनकी खुशी में ही छुपी है, हमारी सच्ची राहत।
कभी दूर जा भी जाएँ, दिल की धड़कन में हैं वो,
हर सांस में बसी है उनकी याद, जैसे ठंडी हवा।
अपनों का रिश्ता होता है अनमोल,
उनकी मोहब्बत में है ज़िंदगी का हर कोना गोल।
कभी ग़म में हो या ख़ुशी के रंग,
अपनों का होना, यही है सच्चा संग।
उनके साथ बिताए हर एक लम्हा,
अपनों का प्यार है, जीवन का सबसे बड़ा सबक।
दर्द का अंदाज़े बयान
दर्द का अंदाज़े बयान करूँ कैसे,
हर एक सांस में तेरा ही नाम करूँ कैसे।
तू जो पास होता है, सब रंगीन लगते हैं,
तेरे बिना हर लम्हा, जैसे ख्वाब अधूरे लगते हैं।
आँखों में नमी, दिल में तन्हाई है,
इस दर्द की चुभन में, सिर्फ तेरा साया है।
किससे कहूँ मैं अपने दिल की बातें,
हर एक चेहरे पर छुपा है, मेरे जज़्बातों का हादसा।
तेरे बिना ये दुनिया एक वीरान सा जंगल,
हर फूल की महक में तेरा ही अक्स बसा है।
ख्वाबों में आकर तू, कर जाता है बेहोश,
फिर सुबह उठकर, रह जाती हूँ मैं बस तन्हा।
हर दर्द की कहानी है, छुपी मेरी धड़कनों में,
दर्द का अंदाज़े बयान करूँ कैसे, ये सवाल है मेरे लफ्ज़ों में।
तू जो चला गया, छोड़कर मुझे अधूरा,
इस दिल के वीराने में अब बस यादों का सहरा।
कितनी चाहत थी तुझसे, कितनी बेताबियाँ,
दर्द का अंदाज़े बयान करूँ कैसे, यही है मेरी दास्तान।
बगिया में कोई आया
बगिया में कोई आया, जैसे बहार आई,
सूखे हुए चमन में, फिर से बहार छाई।
फूलों ने फिर से रंगत अपनी संजो ली है,
खुशबू की बूँद-बूँद, हर ओर फैल आई।
झूमे हैं पत्ते सारे, सरगम सी छेड़ते,
बंजर हुई ज़मीं पर हरियाली फिर से छाई।
आँखों में फिर से जगी हैं सपनों की लौ,
हर सूने दिल में जैसे उमंग फिर से छाई।
क्या बात है, किसका ये असर छू गया,
बगिया में कोई आया, या खुद बहार आई
दीपावली के दीप
दीपों की जगमग, रौशनी का ये त्योहार,
हर अंधियारे में बिखरे उजियार।
आशा के दीप जलाए हमने,
दीपावली आई, खुशियाँ संग लाए हमने।
हर दीये में है एक नई उम्मीद,
हर रोशनी में बसी है प्रीत।
घरों में चमके, दिलों में बसे,
हर दीप में प्रेम का रंग रचे।
दीपों की ये कतारें सजती हैं,
सपनों में रंग भरती हैं।
बूंद-बूंद तेल से जीवन की बात,
हर लौ में है प्रीत का साथ।
आओ जलाएं हम भी दीप प्रेम के,
हर मन में रौशनी हो अपनेपन के।
दीपावली का ये त्यौहार सिखाए,
हर दिल को मिलाने का संदेश लाए।
हर आँगन में हो उजालों का घेरा,
अंधकार में ना रहे कोई अकेला।
दीप से दीप जलता जाए,
प्रेम और शांति का संदेश फैलाए।
वर्तमान
इस पल में छिपी हर ख़ुशी की उड़ान है,
कल की चिंता में क्यों जला ये अरमान है।
जिंदगी का सच तो इसी क्षण में बसता,
वर्तमान ही तो असली पहचान है।
आज की मुस्कान में है जीवन की रीत,
अभी की हर धड़कन है अनमोल जीत।
कल का भरोसा नहीं, बीता हुआ पराया,
वर्तमान की राह पर ही बसा सच्चा मीत।
जो सामने है, वही सच्चाई का दर है,
बीते कल में क्यों उलझा ये सफर है।
इस पल में बहारें हैं, रंगों की बहार है,
वर्तमान में ही तो जिंदगी का आधार है।
हर पल कहता है, मुझे खुलकर जी,
अभी की दुनिया में ही खुद को रंगी।
कल का सपना और बीता हुआ भुला दे,
वर्तमान की गोद में ही हर खुशी बसी।
इस पल को थाम ले, ये तेरा हमसफर है,
यही तो जीवन का असली सफर है।
कल की आहट में क्यों खोए ये जहाँ,
वर्तमान ही तो सच्चा और अपना घर है।
तेरी दोस्ती का है एहसान
तेरी दोस्ती का है एहसान मुझ पर,
तेरे बिना अधूरा हर सफर।
तूने मुझे हँसना सिखाया है,
हर ग़म को मिलकर भुलाया है।
साथी मेरे, तुझसे रोशन ये ज़िन्दगी,
तेरी बातों में है खुशी की ताज़गी।
तू है वो साथी जो हर पल निभाए,
हर मुश्किल को हँस कर मिटाए।
जब भी अकेलापन घेरे मुझे,
तेरी आवाज़ मेरे दिल को छू ले।
तेरे संग बँटा है हर दर्द मेरा,
तूने ही दिया है जीने का सहारा।
साथी मेरे, तुझसे रोशन ये ज़िन्दगी,
तेरी बातों में है खुशी की ताज़गी।
तू है वो साथी जो हर पल निभाए,
हर मुश्किल को हँस कर मिटाए।
तेरे संग बिताए पल याद आते हैं,
दिल में एक नया सा एहसास जगाते हैं।
तू पास है तो हर राह आसान है,
तेरी दोस्ती मेरी सबसे बड़ी पहचान है।
साथी मेरे, तुझसे रोशन ये ज़िन्दगी,
तेरी बातों में है खुशी की ताज़गी।
तू है वो साथी जो हर पल निभाए,
हर मुश्किल को हँस कर मिटाए।
बताया ही नहीं पर
बताया ही नहीं पर, तेरा दिल रखा है पास,
तेरे बिना हर एक लम्हा, लगता है बेरंग और उदास।
तेरी यादों में खोया, तन्हाई में जी रहा हूँ,
तूने कुछ नहीं कहा पर, मैं तुझसे बेइंतहा प्यार कर रहा हूँ।
तेरी हंसी की खुमारी, हर दर्द को भूलाती है,
तेरे नाम की महक से, ये सांसें भी महक जाती हैं।
कभी न पूछा तूने, क्या चाहता है ये दिल,
पर तेरे ख्वाबों में बसा है, मेरा हर एक ख्याल, हर एक सिल।
तेरे बिना ये रास्ते, बिन तारे की रात हैं,
जताया ही नहीं पर, तूने जो दिया, वो अनमोल साथ है।
तूने जो न समझा, वो एहसास है गहरा,
बिन कहे ही, तेरा प्यार मुझसे मिलता हर पहर।
मैं तेरा हूं, तू मेरी है, ये राज़ छुपा है,
बताया ही नहीं पर, दिल के कोने में तेरा नाम लिखा है।
कभी तुझसे मिला तो, ये राज़ खोल दूंगा,
तूने जो न जाना, वो प्यार का एहसास, खुदा की तरह सच्चा है।
स्त्री
स्त्री है एक अनमोल रत्न,
उसकी आँखों में बसी है चाँदनी का अग्नि-कण।
ममता की मूरत, प्रेम की धारा,
हर रिश्ते में वो है सजीव यारा।
कभी बहार, कभी तपती धूप,
हर परिस्थिति में ढलती, कभी न होगी चुप।
वो कर सकती है हर चुनौती का सामना,
सपनों की उड़ान में है उसका आसमान।
सिर्फ घर की चहारदीवारी नहीं,
वो तो समाज की पहचान भी है।
हर भूमिका में बखूबी निभाती,
अपनी मेहनत से हर मुश्किल को मिटाती।
कभी माँ, कभी बहन, कभी साथी,
हर रिश्ते में वो है दिल की नाति।
बनेगी वो संघर्ष की प्रेरणा,
हर दिल में उसके लिए है एक सच्चा नारा।
स्त्री का हौंसला है पहाड़ी की तरह,
जो भी आए तूफान, वो रहेगी अडिग।
हर कदम पर उसकी ख़ुद की कहानी,
हर संघर्ष में उसका है अपना सवेरा।
वो चाहती है अधिकार, खुद की पहचान,
हर कदम पर चलती, बिन किसी शान।
इंसानियत की पहचान है वो,
उसकी आवाज़ में छिपा है हर एक अरमान।
स्त्री है एक शक्ति, एक जीवंतता,
हर धड़कन में बसी है उसकी संजीवनीता।
हर नारी को मिले उसकी असली पहचान,
तो समाज भी बनेगा एक नया आसमान।
रिश्तों में सरहद
रिश्तों की भी होती हैं सरहदें,
कुछ सीमाएं, कुछ अनकही बातें।
हर दिल में बसी हैं चाहतें,
पर कुछ पर छाई हैं खामोशियाँ, अनकहे राज़।
कभी मुस्कुराहटों में छुपा हो ग़म,
कभी चुप्पी में बसी हो चाहत का नज़ला।
सरहदें हैं मन की, ख़ामोशी की,
जिनसे बंधे हैं हम, फिर भी हैं जुदा।
कभी गहरी बातें, कभी हल्की फुल्की,
कुछ रिश्ते हैं पास, कुछ दूरियों में छुपी।
हर लम्हा जो बीता, वो एक कहानी है,
पर ये बातें भी क्या, सिर्फ़ एक तसवीर हैं।
कभी दिल की बातें, आंखों से कह दी,
तो कभी शब्दों में भी, वो गहराई नहीं रही।
रिश्तों में भी सरहदें हैं, पर इसको समझना होगा,
जो सच्ची चाहत हो, उसे बुनियाद बनाना होगा।
फिर चाहे दूरी हो या पास,
हर रिश्ता एक खास एहसास।
सुनने से और सुनाने से बनती हैं बातें,
सच्ची चाहत हो तो मिटती हैं ये सरहदें।
आओ मिलकर तोड़ें हम ये बंधन,
हर दूरी को करें हम ख़ुशियों का चश्मा।
रिश्तों की सरहदें न हों कोई बाधा,
बस प्रेम का रंग हो, यही हो हर फ़सला।
काश तुम समझ जाते
काश तुम समझ मुझे जाते,
दिल की धड़कनों को पहचानते।
तुम्हारे बिना ये जीवन अधूरा,
काश तुम मेरी ख़ामोशी को सुन पाते।
हर लफ्ज़ में बसी हैं मेरी चाहतें,
जो तुमसे छुपी हैं, वो हैं मेरी सच्चाइयाँ।
काश तुम जान पाते, मेरी पीड़ा को,
दिल के कोने में छुपे हैं, मेरे अनकहे ख्वाब।
कभी जो तुमने मुस्कुराया,
उसने हर ग़म को भुला दिया।
पर जब तुमने मुँह मोड़ा,
तब दिल में सिर्फ़ तन्हाई रह गई।
मेरी आँखों में बसी हैं वो बातें,
जो तुमसे कहना चाहा, पर कह न पाया।
काश तुम समझ पाते, मेरी खामोशी को,
तो जान जाते, मैं कितनी तन्हा हूँ।
तुम्हारी सूरत की रौशनी में,
मेरे सपने सजते हैं हर शाम।
पर जब तुम दूर होते हो मुझसे,
हर रंग हो जाता है बेजान।
काश तुम समझ मुझे जाते,
हर एहसास को पहचानते।
फिर ना होती ये दूरियाँ,
हर लम्हा होता एक नया आरंभ।
मोहब्बत का ये सफर न हो अधूरा,
काश तुम और मैं होते एक-दूसरे के हसीन ख़्वाब।
समझते एक-दूसरे की हर बात,
तब न होती ये तन्हाई की रात।
भूल नहीं जाना
भूल नहीं जाना, जब दूर हमसे हो जाओ,
ये दिल वही रहेगा, तुम जहां भी खो जाओ।
वक्त की धुंध में छिप जाएंगे चेहरे कई,
पर यादों की रोशनी में, तुम न खो जाओ।
साथ बिताए लम्हों की खुशबू महकेगी सदा,
उन ख़्यालों से बिछड़ कर, तुम न बेज़ार हो जाओ।
दिल की गहराइयों में छुपे हैं अरमान बहुत,
तुमसे कह न पाए कभी, तुम न नाराज़ हो जाओ।
तुम्हारे बिना भी ये जिंदगी तो चलती रहेगी,
पर मेरी धड़कनों से तुम कभी जुदा न हो जाओ।
भूल नहीं जाना, इस सफर में किसी मोड़ पर,
हम हमेशा यहीं रहेंगे, बस तुम याद रखो।
तन्हाई मिलती है
तन्हाई मिलती है, जब भी तेरी याद आती है,
हर राह अजनबी सी, हर मंज़िल भटकाती है।
दिल की गहराइयों में बस तू ही बसा है,
पर हर धड़कन में, बस तन्हाई जगमगाती है।
चाहत तो थी साथ बिताने की उम्रभर,
मगर अब सिर्फ ख़ामोशी ही मुझसे बतियाती है।
आँखों में तेरी तस्वीर अब धुंधली हो चली,
फिर भी ये दिल तेरा ही नाम दोहराती है।
वो हंसी, वो बातें, सब ख्वाब हो गए,
अब हर रात बस तन्हाई से मुलाकात करवाती है।
तू पास होके भी दूर है कुछ इस तरह,
जैसे जिंदगी से हर खुशी रुखसत हो जाती है।
तन्हाई मिलती है, जब भी तेरी याद आती है,
और हर सांस बस तेरा नाम दोहराती है।
छुट्टियाँ खत्म
छुट्टियाँ खत्म, और लौट आया वही सफर,
दिन थे जो आज़ाद, अब हुए बंधन के रहबर।
वो मस्ती भरे पल, हंसी की वो आवाज़ें,
अब सब सिमट गए, फिर से रूटीन में रचे।
सूरज के संग निकलते थे जहाँ ख्वाबों के जहाज़,
अब अलार्म की धुन में खो गए वो सारे राज़।
वो सुबहें बिना भागमभाग की,
और शामें जिनमें थी दिल की उड़ानें बाकी।
अब फिर वही काम, वही रास्ते पुराने,
छुट्टियों की यादें बनीं अब बस एक कहानी।
मन अभी भी भटकता है उन खुशियों के पन्नों पर,
पर वापस लौट आई हैं ज़िम्मेदारियों की खबर।
वो समंदर किनारे, वो पहाड़ों की छाँव,
अब दफ्तर की कुर्सी पर बितानी हैं शाम।
लेकिन दिल में बसा है छुट्टियों का वो जादू,
जिसे सोचते ही फिर से खिल उठते हैं रास्ते और बादल।
छुट्टियाँ खत्म, पर यादें रहेंगी जिंदा,
हर दिन की दौड़ में वो पल देंगे सुकून का सिलसिला।
फिर आएंगी नई छुट्टियाँ, नए सपने, नए अरमान,
तब तक बस इन यादों से सजाएंगे अपना जहान।
आपका साथ
आपका साथ हो तो राहें रोशन हो जाएं,
ख़ुशियों के पल हर तरफ़ बिखर जाएं।
हर मुश्किल का सामना हँसते-हँसते हो,
दिल की हर ख्वाहिश बेफिक्र हो जाए।
आपका साथ है तो जज़्बात निखरते हैं,
सपनों के हर रंग दिल में उतरते हैं।
जहाँ भी नजर जाती है, बस आप ही आप हो,
हर एक पल में नए एहसास बिखरते हैं।
ज़िन्दगी की ठोकरें भी सुकून सा लगें,
आपके साथ से हर दर्द छुप सा जाए।
वक़्त भी थम जाए आपके करीब रहकर,
दुनिया की भीड़ में बस सुकून मिल जाए।
आपके बिना हर दिन सूना-सूना सा है,
दिल की दुनिया जैसे वीराना सा है।
आपका साथ रहे, यही अरमान है,
आपके बिना ये दिल बेगाना सा है।
आपके साथ से हर लम्हा खास बन जाए,
इस दिल की धड़कन में बस आपका नाम रह जाए।
हर बात में है मिठास, हर पल में है सुकून,
आपका साथ हो तो ये सफर हसीन बन जाए।
गुमशुदा अल्फ़ाज़
गुमशुदा अल्फ़ाज़ हैं, दिल की दास्तान में,
छुपे हुए जज़्बात हैं, हर एक अरमान में।
कहना था बहुत कुछ, पर कह नहीं पाए,
वो बातें रह गईं, ख़ामोश लफ्ज़ों के मकान में।
नज़रें मिलती रहीं, पर दिल न समझ सका,
क्या छुपा था दर्द कहीं, इस मुस्कान में।
तूने भी न पूछा, हमने भी न कहा,
गुम हुए अल्फ़ाज़, इस अनकही जुबान में।
अब हर रोज़ सोचते हैं, कैसे बयां करें,
वो बातें जो खो गईं, इस बेवक्त इंतज़ार में।
कभी तो लफ्ज़ मिलेंगे, कभी तो दिल बोलेगा,
गुमशुदा अल्फ़ाज़ मिलेंगे, फिर किसी कहानी में।
कभी कभी होता है
कभी कभी होता है दिल बेकरार सा,
हर बात में ढूंढता कोई प्यार सा।
कभी कभी आँखें भी छलक जाती हैं,
जैसे बिछड़ने का हो असर भारी भार सा।
कभी कभी खामोशियाँ बहुत कहती हैं,
जुबां पे रुका हो कोई इकरार सा।
कभी कभी राहें भी थम सी जाती हैं,
लगता है दिल में बसा कोई इंतज़ार सा।
कभी कभी रातों में जागते हैं ख्वाब,
जैसे हो सवेरा किसी अनजान वार सा।
कभी कभी यादें यूँ लौट आती हैं,
दिल में सजता है वो अहसास यार सा।
कभी कभी होता है ये हाल-ए-दिल,
हर धड़कन में बसता हो प्यार बार-बार सा।
वफा
तेरे इश्क़ में जो दीवानगी है,
वो वफ़ा की एक नई कहानी है।
हर लम्हा तेरा इंतज़ार किया,
तूने ही दी जो मोहब्बत की निशानी है।
सपनों में तेरे चेहरे की रौनक,
जज़्बात की लहरों में बसी तन्हाई है।
ग़मों से भरी ये जिंदगी मेरी,
तेरी यादों की खुशबू से है रोशन हर एक कश्ती है।
वफा के रास्ते पर चलते हैं हम,
तेरे बिना हर एक सफर अधूरी कहानी है।
कभी ख़्वाबों में, कभी तन्हाई में,
तेरा साया हर वक्त मेरे पास है, एक सच्ची जुदाई है।
इस दिल की हर धड़कन तेरा नाम ले,
तेरे इश्क़ की ये अदाएं हैं, जैसे कोई पुरानी दास्तान है।
खुदा से भी मांगी मैंने तुझे,
तेरे वफादार दिल की, ये एक सच्ची निशानी है।
तेरे बिना अधूरा है मेरा हर ख्वाब,
तू है मेरी ज़िंदगी, तू है मेरी वफाई की ज़िंदगानी है।
सिफारिश का कमाल
काम हो कोई बड़ा या छोटा,
बिन सिफारिश हो नहीं सकता,
हर दफ्तर का है ये आलम,
सिफारिश के बिना चक्का नहीं चलता।
चाचा जी के दोस्त का बेटा,
अब बड़ा अफसर बन बैठा,
काम था छोटा, पर नाम बड़ा,
बिना सिफारिश कहाँ ये होता!
पहले फॉर्म भरते रहो,
लाइन में यूँ ही पिसते रहो,
एक फोन लगते ही काम बने,
फिर सब बोलें, “अरे, आप तो अपने हो!”
चाय-पानी सब छोड़ो भाई,
बस एक सिफारिश लाओ सही,
देखो कैसे बदलता है नज़ारा,
फाइल उड़ती है जैसे हवा में पतंगें ढीली।
न तजुर्बा न मेहनत की दरकार,
बस सही व्यक्ति से लगवा लो गुहार,
काम निकलेगा फटाफट,
वरना रह जाओगे यूँ ही लटकट!
सिफारिश का खेल निराला है,
इसमें सबका फायदा ही फायदा है,
जो नहीं लाए सिफारिश, वो पछताए,
और जो लाए, वो मज़े उठाए!
शून्य की गहराई
शून्य में छुपा है सब कुछ,
फिर भी लगता है जैसे कुछ नहीं,
खामोशी की एक दुनिया है,
जहाँ कोई हलचल नहीं।
आकृतियों का अंत यही,
और आरंभ भी यहीं से है,
शून्य में समाया है वो सब,
जो नजरों से परे है।
यह खाली नहीं, है भरा हुआ,
अनंत संभावनाओं से,
शून्य ही तो है वो दर्पण,
जिसमें झलकती हैं सारी दिशाएँ।
आकारहीन, पर अर्थ से भरा,
सच और भ्रम का खेल यही,
शून्य में है विस्तार असीमित,
जैसे अनंत का मेल यहीं।
शून्य है एक मौन की भाषा,
जो सब कुछ कह जाता है,
शुरुआत और अंत के बीच,
शून्य ही जीवन समझाता है।
साँसों की कहानी
साँसें हैं तो जीवन है,
हर धड़कन का एहसास है,
चलती हैं जैसे नदी की धारा,
न रुकने वाला ये प्रवाह है।
सुबह की पहली साँस में,
नई उम्मीदें जाग उठें,
शाम की थकी साँसों में,
दिनभर का सफर समा उठे।
हर साँस में बसी है चाह,
कुछ पाने की, कुछ कहने की,
कभी खोने का डर छुपा,
कभी खुशी से खिलने की।
साँसें जुड़ी हैं हर ख्वाब से,
हर पल की साथी हैं ये,
न थकेंगी, न रुकेंगी कभी,
जब तक धड़कनें साथ हैं ये।
कभी भारी, कभी हल्की सी,
कभी बेसुध, कभी संजीदा,
साँसों में ही बसी है ज़िन्दगी,
इनसे ही हर पल का जीना।
साँसों का सफर अनजान है,
फिर भी इनमें जान है,
जब तक चल रही हैं ये,
ज़िन्दगी का अरमान है।
गाँव का जीवन
यहाँ की मिट्टी में खुशबू है, यहाँ के खेत सुनहरे हैं,
हरियाली के आँचल तले, सपनों के बसेरे हैं।
पेड़ों की छांव में बैठना, वो आम के बाग़ों की बात,
गाँव की गलियाँ, सुकून भरी, जहाँ बस प्यार की बरसात।
नदियों का शीतल जल, जीवन को रंगीन बनाता है,
सादगी भरी ये ज़िन्दगी, हर दिन कुछ सिखाता है।
न कहीं शोर-शराबा, न कोई भीड़-भाड़ का आलम,
बस खेतों की हरियाली और सन्नाटे का मौसम।
सुबह की ओस में खिलते हैं, यहाँ अरमान नए,
चूल्हे की महक में मिलते हैं, रिश्तों के रंग भरे।
चिड़ियों की चहचहाहट, सूरज की सुनहरी किरणें,
गाँव का हर पल, सुकून से भरा और मन को छूने।
यहाँ न दौलत की हवस है, न कोई ऊँच-नीच का खेल,
बस अपनापन, मिठास, और दिलों का मेल।
गाँव की मिट्टी, गाँव की खुशबू, जो लौट के वापस बुलाए,
दिल कहे यहीं बस जाओ, यही है स्वर्ग सच्चा-सा पाए।
गाँव की पगडंडियाँ, सादगी का गीत सुनाती हैं,
जहाँ हर सुबह की धूप में ज़िन्दगी मुस्कुराती है।
हल्के-हल्के कदमों से, चलते हैं जो खेतों की ओर,
हर साँस में बसी होती है मिट्टी की एक ठंडी बौर।
वो कुएँ की जगत पर बैठकर बातें करना सबका,
और पीपल की छांव तले बैठा होता गाँव का रब का।
बैलों की घंटियों का संगीत, और हल की खड़खड़ाहट,
धरती के सीने पर उगती फसलें, करती हैं खुशहाली की आहट।
सांझ होते ही ढलता सूरज, लौटते हैं सब घर की ओर,
माँ की रोटी और चूल्हे की रोटी में, होता है प्यार का जोर।
दादी की कहानियों में छुपा होता है सदियों का ज्ञान,
गाँव का हर आँगन, हर आहट देता है अपनापन का दान।
यहाँ न बड़े महल, न रौशनी के शहर,
पर दिलों में बसता है जो प्यार, वो है सबसे बेशुमार।
गाँव की मिट्टी में जादू है, यहाँ सुकून का डेरा है,
जिसने इसे अपना लिया, उसके लिए यह जहाँ सवेरा है।
साथ निभाने के लिए
मुस्कुराते हैं ज़रा ग़म को छुपाने के लिए
वरना ये दिल तो बहुत रोता है पाने के लिए
हर खामोशी में एक दर्द समाया होता है
कौन तैयार है ये हाल बताने के लिए
यूँ तो हर शख्स यहाँ प्यार जताता है मगर
कौन सच्चा है वफ़ाओं को निभाने के लिए
ज़िंदगी रोज़ नए ज़ख़्म दिए जाती है
फिर भी दिल तैयार है सब कुछ भुलाने के लिए
कितने चेहरे यहाँ नक़ली से दिखते हैं मगर
कोई मिलता ही नहीं साथ निभाने के लिए
आपका साथ
आपका साथ हो, तो सफर सुहाना लगता है,
हर एक मोड़ पे दिल को ठिकाना लगता है।
दुनिया की भीड़ में भी तनहा नहीं होते,
आपकी बातों में एक अफसाना लगता है।
हर मुश्किल राहें भी आसां हो जाती हैं,
आपकी मुस्कान से दिल दीवाना लगता है।
जितनी बार देखें, उतनी नई सी लगती है,
आपकी आँखों में जैसे ख़्वाब पुराना लगता है।
आपके बिना ये दुनिया भी वीरान सी लगे,
आपके साथ हर लम्हा ख़ास, नज़राना लगता है।
नारी
नारी है शक्ति, नारी है ज्योति,
जीवन की धारा, नारी ही होती।
संघर्ष की राहों में बढ़ती रही,
हर बाधा को पार कर चलती रही।
माँ की ममता में छिपी ममता अनंत,
पत्नी बनकर निभाए हर रिश्ते का अंत।
बेटी बनकर खुशियाँ घर में वो लाए,
बहन बनकर हर दर्द को भूल जाए।
त्याग, प्रेम, धैर्य का वो है स्वरूप,
सपनों को पूरा करे, वो है अनूप।
नारी बिना अधूरा है ये संसार,
उसकी शक्ति से चलता है ये संसार।
झांसी की रानी हो या हो सावित्री,
नारी ने सदा दी है प्रेरणा अपार।
समाज की धारा में बदलाव लाने वाली,
नारी है सशक्त, नारी है निराली।
सपने
सपनों की चादर ओढ़े, हर रात चली आती है,
उम्मीद की लौ संग, नई बात चली जाती है।
कभी रंगों में घुलती है, कभी धुंधली हो जाती,
चुपके से दिल की राहों में, सौगात चली जाती है।
हसरतों के पलकों पे, बुनते हैं जो ख्वाब हम,
वो आहिस्ता से रातों में, जज़्बात जला जाती है।
कुछ पूरे हो जाते हैं, कुछ रह जाते हैं अधूरे,
फिर भी हर ख़्वाब में, इक सदा बसा जाती है।
सपनों की राह मुश्किल सही, पर साथ है ये सफर,
जो सपनों पे यकीं रखे, मंज़िल तक वो आ जाती है।
सफ़र-ए-ज़िन्दगी
ज़िन्दगी का सफ़र यूँ ही चलता रहेगा,
हर मोड़ पर कोई क़िस्सा बदलता रहेगा।
ख्वाबों के सहारे जो चले हैं यहाँ,
हक़ीक़त का पत्थर उन्हें खलता रहेगा।
कभी खिलखिलाते, कभी टूटते से ये दिल,
दर्द का ये सिलसिला यूँ ही चलता रहेगा।
हर दिन नई सुबह, नई एक उम्मीद,
फिर शाम का सूरज भी ढलता रहेगा।
सफर में मिलेगी कभी कोई छांव भी,
कभी धूप का साया भी जलता रहेगा।
बस धीरज रखो और चलते रहो तुम,
ये जीवन का रास्ता यूँ ही चलता रहेगा।
आईना
आईना जब भी देखा, सवाल कर गया,
हर बार ये दिल को बेकरार कर गया।
चेहरे पे हंसी थी, मगर आँखों में ग़म,
आईना सच को बेपरदा कर गया।
ख़्वाबों की परतें थीं मेरी सूरत पे सजी,
वो हर परत को धीरे-धीरे साफ़ कर गया।
आईना झूठ नहीं बोलता कभी,
जो भी था दिल में, वो सब ज़ाहिर कर गया।
मैं छुपाता रहा हक़ीक़त ज़माने से मगर,
आईना हर राज़ को उजागर कर गया।
वो अक्स मेरा था, या मेरी परछाई,
आईना मुझको मुझसे जुदा कर गया।
करते करते
करते-करते कुछ ख्वाब अधूरे रह गए,
चाहत के वो रंग कहीं फीके से रह गए।
हर कदम पर कोशिश की हमने जीतने की,
मगर लड़ते-लड़ते रास्ते थक से गए।
करते-करते इश्क़ को इबादत बना लिया,
दिल की धड़कनों को तेरा नाम सिखा दिया।
मगर राहें जो तुझ तक जाती थीं,
वो चलते-चलते भी कहीं खो सी गईं।
करते-करते वादों का सिलसिला जुड़ गया,
हर वादा जैसे एक नया दर्द बुन गया।
दिल से दिल की दूरी मिटानी थी हमें,
मगर इंतज़ार करते-करते वक्त भी गुजर गया।
करते-करते सवालों में उलझ गई ज़िंदगी,
खुशियों की चाह में रह गई बेकली।
जवाब की तलाश में उम्र गुज़र गई,
मगर कोशिश करते-करते सब्र भी टूट गया।
करते-करते हमने बहुत कुछ सहा,
फिर भी हर मोड़ पर खुद को अकेला ही पाया।
शायद ये सफर यूं ही चलता रहेगा,
करते-करते ज़िंदगी का हर लम्हा भी गुजर जाएगा।
करवट
करवट बदलते रात की चुप्पी से बात हुई,
खामोशियों में तेरी यादों की बरसात हुई।
हर करवट में एक नया ख्वाब जाग उठा,
दिल की गहराइयों में फिर तन्हाइयों की सौगात हुई।
करवटें बस यूँ ही बदलती रहीं तमाम रात,
जैसे कोई दिल से करता हो बेपरवाह बात।
नींद आँखों से दूर, ख्यालात पास थे,
तुम्हारी यादों से जैसे हर करवट में मुलाकात हुई।
हर करवट में उलझा हुआ कोई सवाल है,
जो जवाब बनते-बनते भी बेहाल है।
तुम हो कहीं, फिर भी कितने दूर हो,
करवटों में छुपी हर सांस जैसे बेमिसाल है।
रात कट जाती है, मगर ये करवटें नहीं,
जिनमें तुम्हारी परछाई बसती है कहीं।
हर करवट में तेरा अहसास जगमगाता है,
ये रात नहीं, कोई अनकही दास्तान है सही।
करवटों में शायद खुद को ढूंढता हूँ मैं,
इन खामोशियों में तेरी रूह को महसूस करता हूँ मैं।
शायद कभी कोई करवट हमें पास लाए,
वरना इन करवटों में ही ज़िंदगी बसर करता हूँ मैं।
कौन है
कौन है जो दिल के करीब सा लगता है,
हर खामोशी में भी एक सलीब सा लगता है।
रात की तन्हाई में ख्वाबों का हमसफर,
कौन है जो मेरे हर जख्म का रकीब सा लगता है।
आँखों में छुपी हैं सौ कहानियाँ किसी की,
कौन है जो मेरी ज़िन्दगी की तहरीर सा लगता है।
लफ्ज़ों से परे, धड़कनों में भी गूंजता,
कौन है जो मेरे दिल का नसीब सा लगता है।
हर चेहरे में ढूँढा, हर मोड़ पर चाहा,
पर वो कौन है, जो मेरे ख्यालों में अजीब सा लगता है।
साया है कोई या एक एहसास की लौ,
कौन है जो मेरे दर्द का हबीब सा लगता है।
खुदा से सवाल, और दिल से दुआ,
कौन है जो हर दुआ का जवाब सा लगता है।
तुम हो या कोई और, मैं जान न पाऊं,
कौन है जो मेरी रूह का करीब सा लगता है।
गणपति
गणपति बप्पा, मोरया रे,
विघ्नहर्ता, तू ध्यावूं तेरे द्वारे।
मोदक प्रिय, मंगलकारी,
सब दुख हरते, तुम हो सुखकारी।
सिद्धि-विनायक, शुभ फल लाते,
हर मनोकामना तुम पूरी कर जाते।
लंबोदर, गजानन, तुम्हारी जय जयकार,
तुम्हारे बिना अधूरा हर काम हमारा।
चूहे की सवारी, मस्तक पे चंदा,
हर भक्त का तुमने सुधारा धंधा।
विद्या के दाता, बुद्धि के नायक,
तुम्हारी पूजा से हर कोई बने भाग्यशाली।
पहले पूजे जाते, हो प्रथम देवता,
संकट से मुक्त करो, तुम हो सर्वव्यापी।
गणपति बप्पा, तुम हो हमारे सहारे,
हर क्षण, हर पल, तुम ही सच्चे उद्धारे।
गणपति बप्पा, हम सबके हो आधार,
तुम्हारे बिना, नहीं कोई भी त्यौहार।
आशीर्वाद दो, तुम सदा साथ निभाना,
तुम्हारे चरणों में हमको शांति पाना।
परमपिता
भगवान की महिमा, है अपरंपार,
उनके बिना जीवन, जैसे सूना संसार।
वो है मुरलीवाला, वो है शिवशंकर,
हर दिल में बसा, वो ही पालनहार।
कभी राम बनकर, कभी कृष्ण बनके,
वो हर युग में आते, नई दिशा दिखाने।
उनके बिना जगत में कोई नहीं स्थिर,
वो ही जग के हैं रचयिता, वो ही सबका तीर।
सूरज की किरणें, उनकी आभा लाए,
चांद की चांदनी, उनकी ममता छाए।
हर सुख-दुख में, वो ही सहारा बने,
भगवान की माया से, कोई न बच पाए।
जो सच्चे मन से उनका ध्यान करे,
उसकी नाव भवसागर से पार चले।
वो दीनों के साथी, दुखों के हरता,
उनके स्मरण से, हर कष्ट है मिटता।
उनके नाम में है, अनंत शक्ति समाई,
हर दिल में बसी है उनकी छवि सजीव।
जो भी पुकारे, वो दौड़े चले आएं,
भगवान का प्रेम, कभी भी न घटे, न जाए।
हमारे भगवान
भगवान के चरणों में सारा संसार,
उनकी कृपा से है जीवन का आधार।
हर मन में बसे, हर धड़कन में वो,
सांसों में बसी है उनकी ही धरोहर।
सुबह की रौशनी, वो ही तो लाए,
रात की चांदनी, वो ही जगाए।
हर फूल की महक, हर लहर का संगीत,
भगवान की लीला, अनमोल और अजीत।
नदी की धारा में, पर्वत की चोटी में,
हर दिशा में उनका ही नजारा।
उनके बिना सबकुछ अधूरा,
वो ही सृष्टि का सच्चा सहारा।
जो भी चाहे सच्चे दिल से पुकारे,
भगवान उसकी हर मुश्किल निवारें।
वो दया का सागर, प्रेम का साया,
जिसने पाया, उसने सब कुछ पाया।
उनके भजन में है सच्ची शांति,
उनके ध्यान में मिलती परमांनंदी।
भगवान का नाम, है सबसे महान,
जो गाए उसे, पाता है अज्ञान से ज्ञान।
ईश्वर
यह जगत सारा, ईश्वर का दर्पण,
हर धड़कन में बसा है उसका कारण।
हर किरण में है उसकी ही रोशनी,
उसके बिना जीवन की क्या सारणी?
अग्नि, वायु, जल, आकाश और धरा,
ईश्वर की महिमा से सबकुछ है भरा।
हर जीव में है उसका ही निवास,
वह है सबका, और सबमें है उसकी आस।
प्रेम से पूजो, श्रद्धा से ध्यान,
ईश्वर तो है, सदा हर इंसान।
वह नहीं दूर, है दिलों में समाया,
जो ढूंढे उसे, वो पास ही पाया।
कभी दुख में, कभी सुख में,
हर पल में है वह, हर रूप में।
ईश्वर की माया, अनंत और अपरंपार,
जो उसे माने, वही पाता है संसार।
साहस
साहस है वो दीपक, जो आंधियों में जलता,
राहों में कांटे हों, फिर भी आगे बढ़ता।
डर की दीवारें टूटें, विश्वास का हो उजाला,
साहस के कदमों में है हर मंजिल का प्याला।
रातें हो चाहे गहरी, या हो धुंध का डेरा,
साहस की लौ से जलता, हर मुश्किल का चेहरा।
रुकने का नाम नहीं है, थकान भी हो फिकी,
हिम्मत की डोर से बंधी, आशाएं भी सजी।
सपनों को सच करना है, खुद पे भरोसा रख,
साहस की है ये ज़िद, तू हार कभी ना मान।
जो लड़े है वो जीते हैं, जो झुके वो मिट गए,
साहस की ही ताकत से, इतिहास रचे गए।
छुट्टियों का आनंद
छुट्टियां आईं, खुशी संग लाईं,
मन में उमंग की बगिया खिलाई।
भागती-सी ज़िंदगी को विराम मिला,
जीवन में आया एक नया सिलसिला।
न सुबह की जल्दी, न शाम की दौड़,
हर पल में बस खुशियों का जोड़।
सूरज की किरणें लगतीं और सुनहरी,
आसमान भी दिखे अब कितना ठहरा सा प्यारा।
बस्ते का बोझ अब दूर हुआ,
नए सपनों का फिर आगाज़ हुआ।
घूमने की चाह, नई जगह की आस,
मन में सजी है खुशियों की प्यास।
कभी पहाड़ों की ऊंचाई को छूते,
कभी समंदर की लहरों में खोते।
हर पल में नया रस, नई मिठास,
छुट्टियों का यह समय है खास।
दोस्तों संग हंसी, परिवार संग प्यार,
छुट्टियों में हर पल लगा अनमोल उपहार।
आओ जिएं इस समय को खुलकर,
सहेजें यादें दिल में रखकर।
सुख और दुख
सुख की धूप आए जब, दिल में राग सुनाई दे,
हर दिन रंगीन हो, खुशियों की बरसात हो।
फूलों से महके ये राहें, प्यार की बात हो,
मन में नए सपने पलें, हर पल में सौगात हो।
सुख जब आता है, लगता है जैसे आसमां मिला,
दुख जब आता है, दिल को भी मिलता है नया सिलसिला।
सुख हो या दुख, ये दोनों हैं साथी,
जीवन की राहों में चलते हैं जैसे साथ की छाँव।
दुख का बादल जब छाए, दिल भारी सा हो जाए,
आंखों में चुपके से आंसू की बूँद सज जाए।
पर हर दुख के पीछे, उम्मीद की किरण जगमगाए,
रात के बाद सवेरा, दिल को समझाए।
दुख जब आता है, सिखाता है जीने का हुनर,
सुख जब लौटेगा, फिर भर देगा रंगों का सफर।
सुख हो या दुख, ये दोनों हैं साथी,
जीवन की राहों में चलते हैं जैसे साथ की छाँव।
सुख के बिना न दुख की पहचान,
दुख के बिना न सुख का सम्मान।
साथ में मिलते हैं, चलते हैं ये दोनों,
जीवन की धारा में बहते हैं ये दोनों।
सुख और दुख, ये जीवन के रंग हैं,
इनसे ही सजे हमारे हर पल के ढंग हैं।
सुख हो या दुख, ये दोनों हैं साथी,
जीवन की राहों में चलते हैं जैसे साथ की छाँव।
तुझको चलना होगा
तूफ़ानों से आंख मिलाकर,
तुझको चलना होगा।
अंधियारों से न डरकर,
तुझको जलना होगा।
कदम कदम पर मुश्किल आए,
तो दिल न घबराना,
राहों में जो कांटे बिछाए,
तू उनसे उलझ जाना।
हर एक मंज़िल का साथी है,
तेरा हौंसला,
मंज़िल पास है, बस थोड़ा और,
तुझको बढ़ना होगा।
धूप चाहे जितनी भी तेज़ हो,
छांव तुझे ही बनानी होगी,
गिर कर संभलने का हौसला रख,
तुझको जगानी होगी।
हार में भी जीत छुपी है,
इस बात को समझना होगा,
सपनों की रोशनी में,
तुझको खुद को ढूंढना होगा।
रुकावटें बनेंगी दीवारें,
हौंसलों से गिरानी होंगी,
रात कितनी भी लम्बी हो,
सुबह तुझे ही लानी होगी।
हर क़दम पर नई कहानी,
तुझको ही लिखनी होगी,
जितनी भी दूर मंज़िल हो,
तुझको उसे पाना होगा।
तूफ़ानों से आंख मिलाकर,
तुझको चलना होगा।
आधुनिकता
आधुनिकता के इस दौर में,
नए सपनों की उड़ान है,
तकनीक के पंखों से उड़ते,
हर ओर नई पहचान है।
हर हाथ में अब है दुनिया,
इक छोटी सी स्क्रीन में,
जहां से चाहो जाओ तुम,
हर ज्ञान की तुझमें रवानी है।
मशीनें बातें करती हैं,
रिश्तों में अब भीड़ है,
सुविधाएं बढ़ीं हैं, पर फिर भी,
मन में कहीं एक कमी है।
रफ्तार से भागती ज़िंदगी,
चिंताओं का पहाड़ है,
खुशियां खिड़कियों में क़ैद हैं,
तो कहीं तन्हाई का अंधकार है।
नए आविष्कार लाते हैं,
नए सपनों की सौगात,
पर भीतर कहीं ये सवाल उठता,
क्या खो रहे हैं हम अपनी बात?
प्रकृति से हम दूर हुए हैं,
चाहते हैं शांति, मगर,
भागती दुनिया के इस कोलाहल में,
दिल की आवाज़ कहीं दब रही है।
आधुनिकता का ये सफर,
समृद्धि की ओर चला,
पर सादगी, प्रेम, और अपनापन,
क्या हमने कहीं खो दिया?
तो चलो, कुछ पल ठहरकर,
इस दौड़ से बाहर निकलें,
आधुनिकता को अपनाकर भी,
अपनी जड़ों से जुड़ें, फिर खिलें।
दास्तान
ख़ामोशियों में छुपी है मेरी दास्तान,
हर सांस में बसा है एक नया इम्तिहान।
जिनसे कभी वादे किए थे, आज वो पराये हैं,
जिन राहों पे चले थे, अब वो ठहरे हुए साये हैं।
जिन आँखों में कभी थे सपनों के झरोखे,
वहीं अब धुंधलके हैं और टूटे हुए धोखे।
दिल ने जिसे चाहा, वो राह में छूट गया,
अब हर चाहत का धागा यूं ही टूट गया।
वो वक्त भी था जब ख्वाब थे रंगीन,
अब हर लम्हा है खाली और संगीन।
दर्द की गलियों में बसते हैं अब कदम,
जहां हर मोड़ पर बिछी हैं वीरानियों की चादरें कम।
लेकिन ये दास्तान भी है अधूरी नहीं,
क्योंकि कहीं न कहीं छिपी है कोई रोशनी सही।
जिस दिन वो चमकेगी, मेरी आवाज़ भी गूंजेगी,
और फिर मेरी दास्तान में भी मोहब्बत झलकेगी
बेताबी का आलम
बेताबी का आलम, यूँ हर लम्हा बढ़ता,
दिल की धड़कनों में नाम तेरा ही बसा रहता।
न चैन आए, न सुकून की छांव मिले,
तेरी यादों के बिना ये दिल क्यों तड़पता।
हर रात में जैसे कोई सिसकी छिपी हो,
सपनों में भी बस तेरी ही तस्वीर सजी हो।
नींद भी रूठ जाए, करवटों में बीते,
बेताबी का आलम, ये कैसी सदी हो।
चाँद से पूछूं, तारे से सवाल करूं,
क्यों हर लम्हा बस तेरा ही ख्याल करूं?
कभी हँसते हुए भी आंसू छलकते,
बेताबी के ये पल, किससे मैं हाल करूं?
सामने हो तू तो कुछ कह न पाएं,
दूर हो तो तेरी बातें बहुत सताएं।
हर आहट में तुझसे मिलने की आस है,
बेताबी का आलम, ये कैसी सज़ा है!
फिज़ाओं में तेरी खुशबू बहक जाए,
हवा के झोंकों में तेरा ही सुर आ जाए।
किसी रोज़ ये इंतजार खत्म हो जाए,
बेताबी के इस आलम से राहत मिल जाए।
सागर
सागर की गहराई में राज़ बेशुमार है,
हर लहर के दिल में छुपा एक प्यार है।
खामोशियों में भी ये कहानियाँ सुनाए,
हर शोर के पीछे एक इंतज़ार है।
आँखों से देखो तो लगता है शांत है,
पर दिल में इसके तूफ़ानों का भार है।
हर एक किनारा इसे छूने को बेकरार,
और सागर को भी मिलने की दरकार है।
गहराई में इसके खो जाओ तो समझो,
हर दर्द का इसमें कोई इकरार है।
समेटे हुए सारा जहाँ अपने सीने में,
सागर की दुनिया भी एक ख़ुदा का प्यार है।
लहरें
लहरों ने सागर से ये कहा है,
हर सफर में एक राज छुपा है।
कभी न थमीं, कभी न रुकीं,
हर पल में नया एक सपना बसा है।
चट्टानों से टकरा के भी हंसीं हैं,
उनके दिल में हौसला बड़ा है।
राहें नई दिखाए हर बार,
लहरों का यही तो हुनर बड़ा है।
कभी बहा ले जाए खामोशी में,
कभी तूफानों में छुपा हुआ साज़ है।
ज़िंदगी का सबक सिखाती ये,
हर दर्द के बाद भी जश्न मना है।
वो बीते दिन
वो बीते दिन, वो हसीन लम्हे,
दिल में अब भी है वो बातें गहरे।
यादों की चादर में लिपटे हुए,
वो पल आज भी लगते नए।
वो छत पर रातें, तारे गिनना,
दोस्तों संग हंसना, खिलखिलाना।
वो सुकून भरी शाम, वो बचपन का प्यार,
हर याद में बसा है, वो मीठा संसार।
वो बीते दिन, जो दिल में हैं सजे,
यादों में आज भी लगते नए।
वो स्कूल की गलियाँ, वो छुट्टियों की धूप,
वो खेल के मैदान में, न रुकने का उत्साह खूब।
वो छोटी-छोटी शरारतें, वो प्यार भरी डांट,
आज भी दिल को वो दिन हर वक्त बुलाते हैं पास।
वो बीते दिन, जो अब न लौटेंगे,
पर दिल में सदा वो तस्वीरें छोड़ेंगे।
वो छत पर रातें, तारे गिनना,
दोस्तों संग हंसना, खिलखिलाना।
वो सुकून भरी शाम, वो बचपन का प्यार,
हर याद में बसा है, वो मीठा संसार।
वो बीते दिन, जो दिल में हैं सजे,
यादों में आज भी लगते नए।
वो साइकिल की सवारी, वो गलियों का सफर,
वो मासूमियत भरे पल, अब भी हैं असर।
वक़्त तो बढ़ चला, पर दिल वहीं है रुका,
उन दिनों की खुशबू, आज भी है महका।
वो बीते दिन, जो दिल में हैं बसे,
यादों में रहेंगे सदा हंसी के झरने।
वो पुराना पल
वो पुराना पल, जो दिल में बसा,
यादों में आज भी है वही सुनहरा किस्सा।
वो हंसी, वो बातें, वो अपने यार,
आज भी दिल को करता है बेक़रार।
वो पुराना पल, वो प्यारा साथ,
हर दिन में था, खुशियों का हाथ।
वो गली, वो मोड़, वो हंसी की रात,
आज भी बुलाती है, वो बचपन की बात।
वो पुराना पल, जो दिल में बसा,
यादों में आज भी है वही सुनहरा किस्सा।
कागज़ की नाव थी, बारिश का पानी,
वो दोस्ती में छिपी थी सच्ची कहानी।
हँसी के ठहाके, वो खेलों के दिन,
आज भी यादें देती हैं दिल को सुकून।
वो पुराना पल, जो बीत गया,
पर दिल में आज भी जिंदा है जहाँ।
वो पुराना पल, वो प्यारा साथ,
हर दिन में था, खुशियों का हाथ।
वो गली, वो मोड़, वो हंसी की रात,
आज भी बुलाती है, वो बचपन की बात।
वो पुराना पल, जो दिल में बसा,
यादों में आज भी है वही सुनहरा किस्सा।
वक़्त बदल गया, पर यादें वही हैं,
दिल में अब भी वो हंसी की लहरें।
आओ फिर से जिएं, वो बीते हुए पल,
जो दिल को देते हैं, सच्चा संबल।
वो पुराना पल, वो हंसी का संसार,
यादों में हमेशा रहेगा वो प्यार।
हिन्दी हमारी धरोहर है
हिन्दी हमारी धरोहर है,
हर शब्द इसका अमर है।
इसमें बसा है देश का प्यार,
इससे जुड़ा है हर परिवार।
हिन्दी हमारी धरोहर है।
भारत की ये पहचान है,
हम सबकी ये जान है।
हर दिल की ये भाषा प्यारी,
इसकी महिमा अपरंपार है।
आओ इसे हम अपनाएँ,
हिन्दी हमारी धरोहर है।
कवि, लेखकों का ये है स्वप्न,
इसमें सजे हैं अनगिन शब्द।
शिक्षा का ये दीप जलाए,
हर मन को प्रेम सिखाए।
हिन्दी हमारी धरोहर है,
हर शब्द इसका अमर है।
भारत की ये पहचान है,
हम सबकी ये जान है।
हर दिल की ये भाषा प्यारी,
इसकी महिमा अपरंपार है।
आओ इसे हम अपनाएँ,
हिन्दी हमारी धरोहर है।
हिन्दी से है भारत महान,
इससे ही है देश की शान।
हम सब मिलकर इसे सजाएँ,
आओ इसे आगे बढ़ाएँ।
हिन्दी हमारी धरोहर है,
हर दिल में इसे बसाएँ हम।
हिन्दी मेरी जान है
हिन्दी मेरी जान है, भारत की ये शान है,
सब भाषाओं से प्यारी, हमारी पहचान है।
हिन्दी मेरी जान है, भारत की ये शान है।
दिल की जो आवाज़ है, हर दिल को जो भाए,
गूंजे सारे जग में, ये मीठी रसधार बहाए।
शब्दों का संसार है, संस्कृति का मान है,
हिन्दी मेरी जान है, भारत की ये शान है।
सब भाषाओं से प्यारी, हमारी पहचान है।
राष्ट्र की ये धड़कन है, जन-जन का अभिमान,
साहित्य की अमर धरोहर, सबके दिल में स्थान।
शिक्षा की ये ज्योति है, ज्ञान की ये खान है,
हिन्दी मेरी जान है, भारत की ये शान है।
सब भाषाओं से प्यारी, हमारी पहचान है।
दिल की जो आवाज़ है, हर दिल को जो भाए,
गूंजे सारे जग में, ये मीठी रसधार बहाए।
शब्दों का संसार है, संस्कृति का मान है,
हिन्दी मेरी जान है, भारत की ये शान है।
सब भाषाओं से प्यारी, हमारी पहचान है
हिन्दी है हम सबकी भाषा
हिन्दी है हम सबकी भाषा, दिलों का ये बंधन है,
जुड़े रहें हम सब इससे, ये अपनी ही धड़कन है।
हिन्दी है हम सबकी भाषा, दिलों का ये बंधन है।
मिट्टी की ये खुशबू, संस्कृति का है ये रंग,
हर बोल में मिठास है, दिलों को जो करे संग।
शब्दों में ये प्रेम भरे, बोलो सबके साथ,
हिन्दी है हम सबकी भाषा, जीवन की ये बात।
गीतों में, कविताओं में, हर पल ये मुस्काए,
आओ इसे अपनाएं, इसे और आगे बढ़ाएं।
शिक्षा का ये दीप है, ज्ञान की ये धार,
हिन्दी से ही बंधी है, अपनी ये सरकार।
मिट्टी की ये खुशबू, संस्कृति का है ये रंग,
हर बोल में मिठास है, दिलों को जो करे संग।
शब्दों में ये प्रेम भरे, बोलो सबके साथ,
हिन्दी है हम सबकी भाषा, जीवन की ये बात।
हिन्दी से ही हम सब हैं, हिन्दी है पहचान,
इस भाषा को गर्व से अपनाना, यही है सच्ची शान।
दिल का आलम
दिल का आलम है बुझता हुआ चिराग़ सा,
तेरी यादों में जलता है मगर राख सा।
तेरे बिना हर ख़ुशी अधूरी लगती है,
हर लम्हा बेमानी है किसी ख़्वाब सा।
दर्द है दिल में पर आवाज़ नहीं देता,
इस ज़ख़्म का भी इलाज़ नहीं होता इत्तेफ़ाक़ सा।
तू जो रूठा तो बहारें भी साथ चली गईं,
अब दिल का हर मौसम है पतझड़ सा।
कहने को बहुत कुछ है, मगर कह नहीं पाते,
इश्क़ भी है किसी खामोश किताब सा।
हिन्दी है हम्
हिन्दी के लफ्ज़ों में, बसा है प्यार गहरा,
हर अल्फ़ाज़ में जड़े हैं, रिश्तों का वो चेहरा।
संवेदनाओं की भाषा, सच्चाई की पहचान,
हिन्दी से है जुड़ा, इस मिट्टी का अरमान।
इसकी सरिता बहती, हर दिल की गली में,
मिठास से भरी हुई, इसके हर पल की छवि में।
जो बात कह न सकें, वो हिन्दी कह जाती है,
दिल की खामोशी को, ये आसानी से समझाती है।
हिन्दी से ही रोशन, हर दिल का जहान,
ये सिर्फ़ भाषा नहीं, ये है हिंद का मान।
बैचेनी
बैचेनी है दिल में, क्या सबब है कोई,
रातों को जागता, ये ख़्वाब है कोई।
धड़कनें तेज़ हैं, साँसें भी बोझिल,
जैसे दिल की गहराई में दर्द है कोई।
ख़ामोशी भी शोर बनकर चीख़ रही,
अंदर कहीं छुपा हुआ हौल है कोई।
नज़रें भटकतीं हैं मंज़िल की तलाश में,
पर राहों में बिछा हुआ फ़रेब है कोई।
हर कदम पे एक उलझन का जाल है,
ज़िन्दगी के सफर में सवाल है कोई।
आराम की तलाश में दिन गुज़रते हैं,
शायद दिल के कोने में कसक है कोई।
बैचेनी है कि थमती नहीं पल भर को,
जैसे ज़हन में अटका हुआ रंज है कोई।
मन भी
मन की गहराइयों में एक साज़ भी है,
दर्द छुपा है मगर आवाज़ भी है।
ख़्वाबों में रंगीन दुनिया बसाता,
हक़ीक़त में बसा कोई राज़ भी है।
चाहे हर किसी से हंसकर मिले,
पर अंदर कहीं बेपरवाह भी है।
चलता है राहों पे खुद की तलाश में,
कभी थकता, कभी वो ताज़ा भी है।
दिल की तरह बेचैन, मगर शांत भी,
समंदर सा गहरा, पर परवाज़ भी है।
हर जश्न में खुशी ढूंढ लेता है ये,
पर तन्हाई में बसा कोई राग भी है।
क्या से क्या हो गया
कहने गए बीवी से, “तुम पर जान लुटाते हैं”,
बीवी बोली, “तो किचन में जाकर सब्ज़ी क्यों नहीं काटे हैं?”
रात को सोने चले, सोचा चैन से सो जाएंगे,
बीवी ने लिस्ट पकड़ा दी, “कल ये सारे काम करवाएंगे!”
फ़िल्म दिखाने ले गए, सोचा कुछ इम्प्रेस करते
बीवी बोली, “टिकट का पैसा बचा लेते, घर पर ही देख लेते!”
एक दिन गुस्से में बोले, “तलाक ही करवा दूंगा”,
बीवी हंसते हुए बोली, “दूसरी भी ऐसी ही पाओगे, यही रह जायेगा
शादी के पहले जो सपने थे, वो सारे हुए हैं गायब,
अब तो यही सोचते हैं, बचपन वाला टाइम वापस लाएं, फ़ौरन साहब!
बीवी के संग
सोचा था बीवी संग, ज़िन्दगी होगी मज़ेदार,
निकली वो ऐसी सख्त, रोज़ मारती ताना धार।
पढ़ी-लिखी बीवी मिली, ख़ुश थे हम जनाब,
अब हर बात पे कहती है, “तुमसे नहीं हो पाएगा जनाब!”
मम्मी की याद आई, जब रोटी खुद बनानी पड़ी,
बीवी बोली, “शादी की है, अब जिम्मेदारी निभानी पड़ी।”
दोस्तों ने किया था वादा, ‘मज़े ही मज़े मिलेंगे’,
अब तो पत्नी के कहर से, सारे सपने पिघलेंगे।
सोचा था रूमानी होगी, हमारी ज़िन्दगी की रातें,
अब तो नींद में भी सुनाई देती हैं बस बीवी की बातें।
प्यार के बोल
दिल के दरिया में उतरकर देखा,
प्यार का एक अजब ही मंज़र देखा।
तुझसे मिलकर ये यकीं हुआ मुझको,
ख्वाब से भी हसीं मुकद्दर देखा।
तेरे लफ्ज़ों में बसी थी खुशबू,
हर हर्फ़ में मैंने एक बाग़ भर देखा।
तेरी आँखों की गहराई में डूबकर,
इक दुनिया का हमने सफ़र देखा।
तेरे साथ हर लम्हा जिया मैंने,
पल-पल में इक नया असर देखा।
हाथ थामे रहा जब तक तेरा,
ज़िन्दगी को बहुत ही करीब से देखा।
किसी और की क्या दरकार है अब,
प्यार में मैंने खुदा का ही जलवा देखा।
प्यार के रंग में
हर लफ़्ज़ में तेरा ही अक्स पाया है,
इश्क़ में मैंने खुद को भुलाया है।
तेरे संग हर घड़ी बसी रहती है,
दिल में एक तेरा ही साया है।
नज़रों ने जब भी तुझे छुआ है,
आसमान में एक चाँद खिलाया है।
ख़ामोशियों में भी तूने सुना मुझे,
प्यार में तेरी सदा को पाया है।
हर पल तेरा इंतज़ार किया मैंने,
आँखों ने बस तेरा ही ख़्वाब सजाया है।
तू है तो ज़िन्दगी की राहें आसान,
वरना हर सफ़र में दर्द ही पाया है।
तेरे बिना अधूरा सा है ये दिल,
तेरी चाहत ने ही इसे पूरा बनाया है।
गुरु एक सूरज
गुरु वह सूरज है उगता,
जो हर अंधकार को मिटाता है,
जीवन की ठंडी सर्दियों में,
जो अपनी किरणों से गर्माहट लाता है।
गुरु वह मंदिर है पवित्र,
जहां ज्ञान का दीप जलता है,
हर प्रश्न का उत्तर मिलता है,
जहां आस्था और विश्वास पलता है।
गुरु वह संगीत है मधुर,
जो आत्मा को छू जाता है,
जिसकी धुन पर जीवन का राग,
सुरों में बंधकर सजीव हो जाता है।
गुरु वह मार्गदर्शक सितारा,
जो अंधेरी रात में दिखाता राह,
जिसके प्रकाश में भटकाव मिटता,
और हर मंजिल हो जाती साफ़।
गुरु की कृपा से ही मिलता,
जीवन का सच्चा अर्थ।
वह है सच्चा पथ प्रदर्शक,
जिसकी सीख से खुलते जीवन के द्वार।
अपनी तो आदत है, कुछ नहीं कहते
अपनी तो आदत है, कुछ नहीं कहते,
हर दर्द को दिल में बसाए रहते।
मुस्कुराहटों में छिपा लेते हैं सारे ग़म,
और लोगों को खुशियों का एहसास देते।
दिल की बातों को दबा लेते हैं कहीं,
न लफ्ज़ों में, न अश्कों में बयां करते।
हर चाहत को दिल में दफन कर,
अपनी खामोशी में ही सब कुछ सहते।
किसी की नजरों में पढ़ लेते हैं जज़्बात,
पर अपनी दास्तां किसी से नहीं कहते।
हर रोज़ जो जंग है दिल के अंदर,
उसे हंसते हुए ही खत्म करते।
ख़्वाबों को भी आंखों में कैद कर रखते,
उनके टूटने का दर्द भी किसी से नहीं कहते।
अपनी तो आदत है, हर चीज़ सह लेना,
मगर इस दिल की सच्चाई किसी से नहीं कहते।
जितना भी हो दर्द, चेहरे पर लाते मुस्कान,
हर हाल में खुद को संभाल लेते हैं आसान।
अपनी तो आदत है, कुछ नहीं कहते,
बस इस खामोशी में ही अपना जहां बसाते हैं।
भगवान
संसार के हर कोने में, उसकी छवि मिलती है,
हर दिल की गहराई में, उसकी रज़ा सजती है।
जब भी घिर आए अंधेरों की चादर, मन में खौफ हो,
उसकी दया की रौशनी, हर डर को हर लेती हो।
हर सांस की तासीर में, उसका प्रेम समाया है,
हर नज़र में बसी, उसकी कृपा का साया है।
हर घड़ी में सुकून मिलता, जब दिल उससे जुड़ता है,
उसकी अनंत शक्ति से, हर पल निखरता है।
वो ही है हर आंसू की वजह, हर हंसी की चमक,
जिंदगी के इस सफर में, उसकी लहरों की दमक।
कभी भटकते हैं हम राहों में, खो जाते हैं मन के जंगल में,
उसकी एक पुकार पर ही, मिल जाती है दिशा, सच्चे रस्ते पर।
उसकी मोहब्बत की छांव में, हर घड़ी सुकून देती है,
हर दुःख और दर्द में, उसकी शांति मिलती है।
रोशनी
अंधेरों के गहरे सागर में, एक चिंगारी जलानी होगी,
मन की इस चुप्पी को तोड़कर, रोशनी फैलानी होगी।
एक छोटी सी ज्योति भी, जब आहिस्ता-आहिस्ता बढ़े,
अंधकार की विशालता को, अपनी चमक से चीर दे।
रात की चादर से बाहर, जो कुछ भी आशा के संकेत,
उसे ध्यान में रखकर, जीवन की दिशा बदलनी होगी।
हर एक झिलमिलाहट में, सपनों की गहराई होती है,
छोटी सी रोशनी से, नई दुनिया की शुरुआत होती है।
चाहे कितनी भी कठिन हो, रास्तों की बेताबी,
एक उजाले की किरण से, मिल जाती है राहों की जवाबी।
हर दिन की सुबह में, रोशनी की नयी शुरुआत,
हर दिल की गहराई में, उम्मीद की हो हलचल।
रात के घने अंधेरों में, जो भी उजाला ढूंढे,
वही सच्ची रोशनी है, जो जीवन की राहों को सजाए।
अहसान फ़रामोश
किया था दिल से अहसान, वो भूल गए,
हमारी मोहब्बत के अरमान, वो भूल गए।
खून-पसीने से सींचा था रिश्ता,
वही रुख़्सत का सामान, वो भूल गए।
हमने चाहा था उन्हें खुद से ज़्यादा,
पर हमारी कदर, वो भूल गए।
जो वादे किए थे वो पलकों पे रखे,
पर वो हर इक बयान, वो भूल गए।
अब शिकवा नहीं, बस यही सिख लिया,
जिन्हें चाहिए था सब कुछ, वो अहसान, वो भूल गए।
कहाँ वो शहर
शहर की फ़िज़ाओं में अब वो बात कहाँ,
हर चेहरे पे नक़ाब है, कोई पहचान कहाँ।
हर मोड़ पर मिलते हैं नए किस्से, नए लोग,
पर दिल से दिल की अब मुलाकात कहाँ।
इमारतें ऊँची हैं, पर दिल छोटे हो गए,
इस चमक में छिपी है एक काली रात यहाँ।
रास्ते भटकते हैं मंज़िल की तलाश में,
पर वो पुरानी गलियाँ, वो सुकून की बात कहाँ।
कभी सुकून से बैठा था इन गलियों के किनारे,
अब बस यादों का सामान है, और कुछ नहीं।
शहर तो वही है, पर मैं बदल गया हूं शायद,
अब इस शहर में मेरा घर कहाँ, वो अपने लोग कहाँ।
वो शहर खो गया
शहर की इस धुंध में खो गया हूं मैं,
कभी जो था अपना, वो शहर खो गया हूं मैं।
हर तरफ़ दौड़ती-भागती है भीड़ यहाँ,
इस शोर में कहीं खो गया हूं मैं।
उजालों की तलाश में निकला था कभी,
अब अंधेरों में ही घिर गया हूं मैं।
बचपन की गलियों में लौटना चाहता हूं,
पर अब उन्हीं रास्तों से अनजान हो गया हूं मैं।
इस कंक्रीट के जंगल में कहाँ तलाशूं उसे,
जो अपने दिल में बसा था, वो शहर खो गया हूं मैं।
मुसाफ़िर
मुसाफ़िर हूँ मैं, इस राह-ए-ज़िंदगी का,
हर मंज़िल पे रुकूँ, ये मेरा तरीका नहीं।
चले जा रहा हूँ, हवा के साथ-साथ,
हर कदम पे ये सोचना, मंज़िल अभी है कहाँ।
कुछ साथी मिले, कुछ बिछड़ते गए,
कुछ यादें बनीं, कुछ बातें रह गईं।
हर मोड़ पे नए रंग दिखे इस सफ़र में,
हर ग़म के पीछे छुपी थी इक हंसी यहाँ।
हर कदम पे ये जज़्बा है, बढ़ता चलूँ,
जो होगा, देखा जाएगा, ये वादा है खुद से।
मुसाफ़िर हूँ मैं, राहें ही मेरा घर हैं,
रुकना नहीं, ये सफ़र अभी बाकी है
जीवन के सफ़र में राही
जीवन के सफ़र में राही, हर मोड़ पर रुका नहीं करता,
कभी धूप, कभी छांव, ये सफ़र का हिस्सा हुआ करता।
बदलते हुए मौसम की तरह, हसरतें बदलती रहती हैं,
हर ख़ुशी पर, हर ग़म पर, ये दिल संभलता नहीं करता।
राहें हों चाहे कांटों भरी, या हों गुलों की नरमियाँ,
हर एक मंज़िल पर चलने का, ये जज़्बा मिटता नहीं करता।
जो गुज़र गए वो पल थे सुहाने, यादों में अब भी रहते हैं,
पर गुज़रा हुआ वक्त लौटकर, कभी किसी का हुआ नहीं करता।
ज़िन्दगी का ये फ़लसफ़ा है, हार-जीत दोनों ही मिलेंगी,
जो हिम्मत ना हारें, उन्हें ही दुनिया, सलाम किया करता।
राही, तू चलता चल निरंतर, मंज़िल की तरफ़ बढ़ता चल,
जीवन के सफ़र में राही, हर मोड़ पर रुका नहीं करता।
सपनों की दुनिया
सपनों की दुनिया है निराली,
जहाँ बसती है खुशियों की हरियाली।
नीले आसमान में उड़ते हैं ख्वाब,
न कोई बंदिश, न कोई जवाब।
रात की चादर में छुपे ये सितारे,
हर सपना जैसे एक नया किनारा।
जहाँ इच्छाएँ पंख लगाकर उड़तीं,
और आशाएँ बन जातीं चांदनी सी झिलमिलातीं।
सपनों में महल हैं सोने के,
जहाँ दिल की बात होती है पूरे होने के।
कोई राजकुमार, कोई राजकुमारी,
सपनों की दुनिया में सबकी है कहानी प्यारी।
बगीचे में खिलते हैं फूल अनोखे,
जहाँ मन की उदासी को, मिलते हैं झोंके।
रंग-बिरंगे पंछी गाते हैं गीत,
सपनों की दुनिया में, हर पल है मधुर संगीत।
यहाँ दुख नहीं, न कोई चिंता,
हर दिन बसता है जैसे एक नई दुल्हन सा।
सपनों में हम बन जाते हैं सितारे,
जहाँ दुनिया हमारी है, और हम हैं उसके सहारे।
सुबह जब सूरज की किरणें जगातीं,
सपनों की ये दुनिया धीरे-धीरे मिट जाती।
पर दिल में रहती है उसकी एक झलक,
जो हर रोज़ देती है हमें जीने की एक नई धड़क।
सपनों की दुनिया है सच में कमाल,
जहाँ हर कोई पा सकता है अपने ख्याल।
ये वो जगह है, जहाँ दिल चाहता है रहना,
सपनों की इस दुनिया में, बस खुशी से बहना।
बच्चों का जन्मदिन
बच्चों का जन्मदिन आया, सबने किया बड़ा शोर,
मम्मी-पापा दौड़ रहे, कर रहे तैयारी जोर-शोर।
बच्चे बोले, “मम्मी, केक तो होना चाहिए बड़ा,
इतना बड़ा कि देखके सबके होश उड़ जाएं तगड़ा!”
पापा से बोले, “पापा, गिफ्ट्स होनी चाहिए ढेर सारी,
ताकि दोस्त कहें, ‘वाह! तुम हो सबसे प्यारी!'”
मम्मी ने हंसते हुए कहा, “ठीक है बेटा, सब होगा,
पर पहले स्कूल का होमवर्क खत्म करो, तब ही मजा होगा!”
बच्चे बोले, “मम्मी, आज तो हमारा है स्पेशल दिन,
होमवर्क छोड़ो, आज तो बस पार्टी का बन रहा सीन
मम्मी ने समझाया, “बेटा, होमवर्क तो जरूरी है,
पर बच्चों ने कहा, ‘आज तो सिर्फ मस्ती की मंजूरी है!'”
पार्टी शुरू हुई, सब दोस्त आए झूमते हुए,
केक कटा और बच्चे सब लगे थे उसे सूंघते हुए।
पापा ने कहा, “बेटा, पहले सबको खिलाओ,
फिर खुद खाओ और खिल-खिलाओ।”
पर बच्चे बोले, “पहले हम खाएंगे, फिर देंगे बाकी सबको,
ये तो हमारा जन्मदिन है, आज नहीं सुनेंगे किसी की बात को!”
मम्मी-पापा ने हंसते हुए, उनकी हर जिद मानी,
सोचा, “चलो, एक दिन तो इनकी भी मानी!”
पार्टी में हुआ धमाल, खेल और मस्ती का बवाल,
बच्चे बोले, “आज तो हम जीत गए, सब हो गया मालामाल!”
पर जब खत्म हुई पार्टी, और सब चले गए,
तब मम्मी ने कहा, “चलो अब किताबें खोलो, फिर न कहो कि फंस गए!”
बच्चे मुस्कुराए, बोले, “मम्मी, आज का दिन था खास,
कल से पढ़ाई करेंगे, आज तो बस हुआ उल्लास!”
मम्मी-पापा भी मुस्कुराए, उनके इस भोलेपन पर,
सोचा, “इनके बिना तो जीवन लगता बिल्कुल बेरंग और धूमिल!”
कृष्ण की बाँसुरी
वृंदावन की गलियों में, मुरली की मधुर तान,
गोपियाँ नृत्य करतीं, संग में गाएँ प्रेम गान।
श्यामल तन पर पीतांबर, माथे पे मोर मुकुट,
मन मोहन की अदाओं का, जग में होता गुणगान।
यमुना के तट पर खड़े, मुरलीधर की वो अदा,
प्रेम की धारा में बहा, सारा ब्रज-गाँव सदा।
राधा की आँखों में, बसती थी उनकी छवि,
जग का हर एक प्राणी, उस प्रेम रस में था मिला।
माखन चुराने वाले, चित्तचोर, नटखट प्यारे,
लीलाओं में उनकी, बसते थे अनंत नज़ारे।
गोपियों के मनमंदिर में, बसता था उनका नाम,
हर दिल में बसा रहता, वो मोहन की मुस्कान।
कृष्ण के इस प्रेम में, हर मन हुआ था रंगीन,
सदैव उनकी मुरली की धुन, दिलों में रही संजीवनी।
जय हो श्रीकृष्ण की, प्रेम और करुणा के अवतार,
जो जगत को सिखाते रहे, प्रेम का अद्वितीय सार।
दास्तान ए ज़िंदगी
ज़िंदगी की दास्तान लिखी नहीं जाती,
हर कदम पर यहाँ खुशी नहीं मिलती।
कभी हँसती है, कभी रुलाती है,
यह बेमुरव्वत ज़िंदगी कभी समझ आती नहीं।
ख्वाबों में जो देखा, वो हासिल हुआ नहीं,
राह में जो मिला, वो कभी चाहा नहीं।
हर मोड़ पर कुछ नया सिखा गई,
ये ज़िंदगी हमें खुद से मिला गई।
कभी फूलों से महकती, कभी कांटों से चुभती,
हर रंग में ढली, ये ज़िंदगी है बहुरंगी।
कभी तन्हाई में गुमसुम होती है,
कभी महफ़िल में भी खुद से रूठी है।
किसी को चाँदनी रात सी मिली,
किसी को अंधेरों में भटकती सी लगी।
फिर भी इस दास्तान का सफर जारी है,
हर लम्हा इसमें एक नई कहानी है।
जिंदगी की राहें हैं अनजानी,
कभी हँसी, कभी दर्द से भरी ये कहानी।
चलते रहो, चाहे जितनी मुश्किलें आएं,
इस सफर का अंत कभी नजर आए न आए।
दास्तान-ए-ज़िंदगी यूँ ही गुजर जाएगी,
कभी हँसाएगी, कभी आँखों को भिगो जाएगी।
पर जब खत्म होगी ये किताब-ए-हयात,
बस यादों में रह जाएगी एक मीठी बात।
बढ़े चलो
बढ़े चलो, रुकना नहीं,
सपनों को सच करना है कहीं।
राह में चाहे हों कांटे हजार,
हिम्मत से पार पाना है, यही है उपहार।
आंधी हो या हो तूफान,
मंजिल से न हटेगा ध्यान।
हर मुश्किल को कर लो पार,
जीवन है संघर्ष, यही है सार।
सपनों को बांध लो पंखों से,
उड़ान भरते चलो आसमानों में।
कभी न गिरो, कभी न थको,
हौंसले से राह बनाते चलो।
रास्ता लंबा हो या छोटा,
हर कदम को गिनते चलो।
न कोई डर, न कोई झिझक,
बस अपने लक्ष्य पर नज़र रखो।
रात काली है, पर सवेरा आएगा,
हर अंधकार को उजाला भगाएगा।
जो हिम्मत न हारे कभी,
वही जीत का हक़दार कहलाएगा।
बढ़े चलो, थमे नहीं,
मंज़िल मिलेगी, यह है यकीन।
हर कदम पे जीत तुम्हारी होगी,
अगर दिल में हो साहस और प्रेम गहरा।
बढ़े चलो, बढ़े चलो,
अपने सपनों के संग,
हर दिन को जियो जैसे हो नई उमंग।
अविरल यात्रा
बढ़े चलो, थमे नहीं,
राह चाहे कठिन सही।
हर मोड़ पर संघर्ष है,
हर कदम पर विजय की लहर है।
समय की धारा बहती जाती,
रुकना यहाँ किसने सीखा?
सपनों की नाव पर सवार हो,
लहरों को चीरते चलो, निरंतर हो।
हर अंधेरे में एक रोशनी छिपी है,
हर मुश्किल में एक सीख बड़ी है।
जब पांव डगमगाएं,
हिम्मत को बुलंद कर, बढ़े चलो!
हर पत्थर जो राह में आए,
उसे सीढ़ी बनाते चलो।
आशाओं का दीप जलाकर,
अपनी राह खुद बनाते चलो।
कभी न हार मानो,
चाहे हो रास्ता अनजाना।
हर ठोकर एक सबक दे जाएगी,
हर कदम पर मंजिल करीब आएगी।
निगाहें उठाओ, दूर देखो,
हर मंजिल तुम्हें आवाज़ देती।
संघर्ष से जीत हासिल करो,
सपनों को अपनी हकीकत में बदलो।
बढ़े चलो, अनवरत,
जब तक सांसें साथ दें।
यह सफर तुम्हारा है,
और तुम्हीं हो इसके रहनुमा।
अपनी आदतों का क्या करें
अपनी आदतों का क्या करें,
हर किसी से दिल लगा बैठते हैं।
नासमझ हैं, ये जानते हैं,
फिर भी हर बार धोखा खा बैठते हैं।
खुद को समझाने की कोशिशें बहुत की,
पर दिल की सुनना बंद नहीं करते।
हर बार सोचते हैं, अब तो संभलेंगे,
मगर फिर वही गलतियां दोहरा बैठते हैं।
हर बात को दिल से लगा लेते हैं,
छोटी-छोटी बातों में उलझ जाते हैं।
मुस्कुराते हैं सबके सामने,
मगर अकेले में आँसू बहा बैठते हैं।
रिश्तों को बचाने की आदत पुरानी है,
हर टूटते तार को जोड़ने की कहानी है।
अपनी खुशियों की परवाह नहीं करते,
पर दूसरों की खुशियों के लिए जी जान लगा बैठते हैं।
दिल की बात किसी से कह नहीं पाते,
अपनी परेशानियों को छिपा जाते हैं।
हर चेहरे पर मुस्कान लाने की आदत,
हमारी ज़िंदगी की पहचान बन जाती है।
फिर भी ये आदतें छोड़ नहीं पाते,
क्योंकि इन्हीं में तो दिल की राहत पाते हैं।
जीवन में चाहे जितना भी संघर्ष हो,
अपनी आदतों के साथ ही हर सफर तय कर जाते
आदतों की उलझन
अपनी आदतों का क्या करें,
हर बार खुद से हार जाते हैं।
मंज़िल पास है, ये जानते हैं,
मगर राह में ही ठहर जाते हैं।
हर किसी को अपना मान लेते हैं,
पर खुद को कभी समझा नहीं पाते।
जो दिल में है, वो कह नहीं पाते,
और जो कह देते हैं, वो निभा नहीं पाते।
चाहते हैं अकेले रहना,
पर तन्हाई से डर जाते हैं।
भीड़ में भी खो जाते हैं,
पर खुद से मिल नहीं पाते।
हर खुशी में सबको शामिल करते हैं,
मगर अपनी खुशी भूल जाते हैं।
दूसरों की आंखों में आंसू देख,
हम अपनी आंखें नम कर जाते हैं।
हर रिश्ते को निभाने की आदत,
दिल को भी भारी कर जाती है।
न खुद को बदल सकते हैं,
न अपनी आदतों को छोड़ पाते हैं।
ये जानते हैं कि आदतें हमारी हैं,
मगर दिल से उन्हें तोड़ नहीं पाते।
हर बार सोचते हैं, अब तो बदलेंगे,
मगर फिर से वही गलती कर जाते हैं।
अपनी आदतों के साथ ही जीते हैं,
इन्हीं के साथ हर दर्द को पीते हैं।
शायद ये ही हमारा रास्ता है,
वरना इस सफर को पार कर नहीं पाते।
**आदतें हमारी साथी हैं,
फिर भी कभी-कभी उनसे उलझ जाते हैं।**
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव
शाम सजी है राधा रानी,
कृष्ण के संग आज की बानी।
जन्माष्टमी का पर्व आया,
हर दिल ने उत्सव मनाया।
गोकुल का आँगन सजाया,
नंदलाला का जन्मदिन आया।
मां यशोदा का मन हर्षाया,
नन्हा कन्हैया गोद में आया।
बाल लीला से सभी को मोहित किया,
माखन चुराने का अभिनय किया।
गोपियों संग रास रचाया,
हर मन को प्रेम से भर दिया।
कंस का अंत कर दिखाया,
धर्म का ध्वज फिर फहराया।
महाभारत में अर्जुन को राह दिखाई,
सत्य और धर्म की सीख सुनाई।
आज भी कृष्ण हैं हमारे बीच,
हर पल, हर क्षण, हर दिशा।
मधुबन में फिर बजा दी मुरली,
प्रेम, शांति और भक्ति का पाठ पढ़ा दिया।
जन्माष्टमी की रात आई,
भक्तों ने मस्ती छाई।
बांधो माखन की मटकी ऊँची,
गोविंदा आला रे, सबकी टोली बोली।
हरे कृष्णा, हरे मुरारी,
सब मिलकर गाएं जय जय कार!
कृष्ण के रंग
माखन के हैं चोर हमारे,
कन्हैया सबके प्यारे।
यमुना के तट पर बजाए बंसी,
कृष्ण के रंग निराले।
राधा संग वो रास रचाए,
मधुबन में मन को बहलाए।
गोपियाँ सब संग मुस्काए,
मनमोहन के गीत गाए।
नटखट नंदलाला ने,
हर दिल को अपने रंग में रंग दिया।
कभी वो ग्वाला बने,
तो कभी कंस का अंत कर दिया।
गीता का पाठ सिखाया,
धर्म का मर्म समझाया।
अर्जुन को रणभूमि में,
सत्य और धर्म का मार्ग दिखाया।
जन्माष्टमी की रात सुहानी,
कृष्णा की लीलाएँ दिव्य और पुरानी।
सजी मटकी, गूंजे बंसी,
हर गली में गूंजे ‘राधे-राधे’ की बानी।
उत्सव का दिन है,
आनंद का संग है।
भक्तों का मन रमे कृष्ण के रंग में,
सब मिलकर गाएं ‘हरे कृष्ण, हरे राम’ के संग में।
मुक्तक
1.
रास्तों ने बहुत कुछ सिखा दिया हमें,
हर मोड़ ने एक नया सबक दिया हमें।
मंजिल की चाह में सफ़र करते रहे,
और सफ़र ने ही हमें अपनी मंजिल दिया हमें।
2.
सफ़र में चलते-चलते हम खो गए,
मंजिल तो मिली, पर रास्ते कहीं और हो गए।
ज़िन्दगी की राहों में यूँ भटकते रहे,
हर कदम पे हम खुद से ही दूर हो गए।
3.
सफ़र के रास्ते अनजाने थे,
हर कदम पर कुछ अफसाने थे।
मंजिल तो मिली पर सफ़र की बात अलग थी,
राहों में जो मिले वो चेहरे पुराने थे।
4.
सफ़र में चलते रहे, थकान से बेखबर,
राहों की धूप थी, पर दिल में था असर।
हर कदम पर हमने कुछ नया सीखा,
मंजिल क्या है, बस सफ़र ही है सफ़र।
5.
सफ़र में मिलते हैं कुछ अनजान चेहरे,
जो बन जाते हैं ज़िन्दगी के हसीन पहरे।
राहों में बिछड़ते भी हैं कुछ यार,
पर सफ़र के वो पल रहते हैं सदाबहार।
तुझसे मिलकर
तुझसे मिलकर दिल को करार आया है,
मुस्कुराते लम्हों का अब हिसाब आया है।
तेरी आँखों में बसी है मोहब्बत की दुनिया,
दिल को अब हर ख्वाब का जवाब आया है।
तेरे बिना तो वीरान थी ज़िन्दगी मेरी,
तेरी चाहत से अब हर रंग नायाब आया है।
तेरी बातों में जो सुकून मिलता है,
वो मेरे दिल की धड़कनों को बेइंतहा सुकून आया है।
तू जो पास हो, तो फिज़ा में महक होती है,
तेरी मौजूदगी से हर लम्हा गुलाब आया है।
तेरे साथ जीने की ख्वाहिश दिल में बस गई,
तेरे प्यार में मेरा हर सवाल आसान आया है।
अब तो हर दुआ में तेरा नाम सजता है,
इश्क़ के सफर में ये मुकाम खास आया है।
तेरी चाहत का असर
तेरी चाहत का असर अब तक बाकी है,
दिल में मेरे तेरी ख्वाहिशों की जिंदा आग बाकी है।
हर सांस में तेरा नाम गुनगुनाता हूँ,
तेरे इश्क़ का ये सुरूर अब तक बाकी है।
तेरी मुस्कान में बसी वो रौशनी,
मेरे दिल में आज भी वो चमक बाकी है।
तू जो बिछड़ गया, वो लम्हे छूट गए,
मगर दिल में तेरे आने की उम्मीद बाकी है।
तेरे बिना ये दिन भी सूने-सूने लगते हैं,
रातों में तेरी यादों का सिलसिला बाकी है।
तेरी आँखों का जादू, वो मीठी बातें,
दिल में अब भी उनकी मिठास बाकी है।
इश्क़ का सफर यूँ तो खत्म हो चला,
पर दिल में तेरी चाहत का असर अब तक बाकी है।
इश्क़ की राहों में
इश्क़ की राहों में हर ग़म सहना पड़ता है,
दिल के ज़ख्मों को हँसकर कहना पड़ता है।
चाहत की हर बात में होती है सच्चाई,
पर कभी-कभी खुद को भी बहलाना पड़ता है।
उनकी आँखों में खो जाएँ जो ख़्वाब सजे,
उन ख्वाबों को पलकों पर सजाना पड़ता है।
मोहब्बत में हर बात होती नहीं आसान,
दिल के दर्द को हँसी में छुपाना पड़ता है।
वो समझते नहीं दिल की तड़प को कभी,
उनके लिए हर दर्द को छुपाना पड़ता है।
इश्क़ में मिलने की कोई राह नहीं होती,
दूर रहकर भी उन्हें पास बुलाना पड़ता है।
जब भी मिलते हैं वो, दिल में बहारें आती हैं,
हर पल में एक नई दुनिया बसाना पड़ता है।
बचपन की यादें
छोटे-छोटे कदमों से,
चलते थे हम धीमे-धीमे,
खुशियों के वो पल प्यारे,
अब भी हैं दिल में बसे-मीठे।
मिट्टी में खेलना, वो कागज़ की नाव,
बारिश में भीगना, वो बादलों का ठहराव।
माँ की ममता, पापा का प्यार,
उनके संग बीता हर लम्हा, आज भी है ख़ास।
स्कूल की घंटी, दोस्तों की टोली,
कभी लड़ाई, तो कभी प्यार की बोली।
गुड़ियों के खेल और वो कहानियों की रात,
कितनी अनमोल थी वो बचपन की बात।
बचपन की वो गलियाँ, आज भी बुलाती हैं,
उन यादों में खो जाना, दिल को बहलाती हैं।
फिर से जीने को मन करता है,
उस मासूमियत को दिल तरसता है।
बचपन का वो सुंदर संसार,
आज भी है दिल के पास।
न भूलेंगे हम वो दिन प्यारे,
बचपन के वो पल, सदा रहेंगे हमारे।
अपनों का साथ
अपनों का साथ है जैसे छांव घनी,
धूप में भी मिलती है ठंडक वहीं।
उनकी मुस्कान में छुपी है रौशनी,
हर अंधेरा भी लगने लगता है रंगीनी।
जब राहें हो कठिन, और दिल हो भारी,
अपनों के साथ से मिलती है सवारी।
उनके बिना जीवन है अधूरा,
हर पल उनका प्यार है सबसे प्यारा।
माँ की ममता, पिता का सहारा,
भाई-बहन की लड़ाई, और दोस्ती की मस्ती प्यारा।
इन रिश्तों में है वो मिठास,
जो जीवन को बना देती है खास।
उनके संग बिताए हर लम्हे,
दिल में बस जाते हैं जैसे गीत नए।
उनकी हंसी, उनके आंसू,
हमारे जीवन का वो हिस्सा हैं अनमोल।
अपनों का प्यार है बेमिसाल,
उनके बिना सब लगता है सवाल।
उनकी ख़ुशी में है अपनी ख़ुशी,
उनके दर्द में है अपना मलाल।
हमेशा यूँ ही रहे ये रिश्तों की मिठास,
अपनों का साथ, है ज़िन्दगी का सबसे बड़ा विश्वास।
उनके बिना हर खुशी है अधूरी,
क्योंकि अपनों के बिना, ज़िन्दगी नहीं होती पूरी।
कुछ ख़्वाब
कुछ ख्वाब अधूरे थे, कुछ अरमान बिखरे थे,
दिल की बातें, लफ़्ज़ों में जो सिमटे थे।
तेरे बिना जो एहसास थे, वो बेज़ुबान रहे,
वो बातें जो दिल में थीं, वो बेनाम निकले थे।
इज़हार की चाहत में, हर जज़्बात खो गए,
सफ़र में जो साथ थे, वो साए जैसे हो गए।
सन्नाटे की आहट में, दिल की सदा दब गई,
जो बात कहनी थी, वो हवा में बिखर गई।
फिर भी दिल के किसी कोने में उम्मीदें हैं,
शायद कभी वो बात, किसी लफ़्ज़ में ढल जाए।
इंतज़ार
हर शाम तेरा इंतज़ार करता हूँ,
दिल के किसी कोने में तुझे प्यार करता हूँ।
यूं तो कई बातें हैं दिल में दबा के रखी,
पर हर एक आह को सिसकियों में ढालता हूँ।
तेरी राह में बीते हैं कितने लम्हें खामोश,
हर पल को तेरी यादों से सवाल करता हूँ।
तू आएगा कभी, इस उम्मीद से जी रहा हूँ,
इस आस को हर दिन नया रंग डालता हूँ।
ख्वाबों में तेरा चेहरा बनाता हूँ बार-बार,
तेरी आँखों में अपनी दुनिया तलाश करता हूँ।
इंतज़ार का ये सफर यूं ही चलता रहे,
तेरी चाहत में हर रोज़ खुद को संवारता हूँ।
राखी का त्योहार
राखी का त्योहार आया, खुशियों की सौगात लाया,
भाई-बहन के प्यार का फिर से एहसास दिलाया।
नन्हीं सी राखी में बंधा, वो भरोसे का धागा,
हर गम में साथ देने का, वो अनमोल वादा।
बहन की आँखों में चमक, और दिल में प्यार,
भाई की कलाई पर सजे, ये रिश्तों का त्योहार।
भाई का वादा, बहन की रक्षा का,
और बहन की दुआ, भाई की सफलता का।
हर धागे में छुपी होती है, प्यार की मीठी बात,
हर मोड़ पर साथ निभाने का, दिया जाता है साथ।
राखी का ये त्योहार, बस एक दिन का नहीं,
ये तो भाई-बहन के रिश्ते की, हर रोज़ की गाथा है सही।
इस दिन की मिठास, हर दिल को भाती है,
रिश्तों की गर्माहट, हर दूरी को मिटाती है।
तो चलो मनाएं इस दिन को, पूरे जोश के साथ,
राखी के इस पावन पर्व पर, रिश्तों को दें नया साथ।
रात की तन्हाई
रात की तन्हाई में दिल का हाल बयाँ होता है,
हर खामोशी में कोई राज़ छुपा होता है।
चाँदनी भी अब साथ देने से कतराती है,
बस सितारों की जगमगाहट दिल बहलाती है।
हर आहट में तेरा एहसास जगा रहता है,
तू न हो फिर भी तेरा साया सा लगा रहता है।
कभी यादों का साया, कभी ख्वाबों का सिलसिला,
इस तन्हाई में हर लम्हा, एक नया फसाना बुनता है।
नींद भी जैसे मुझसे रूठी-रूठी सी है,
हर करवट में तेरी यादों की महक बसी है।
इस तन्हा रात में कोई साथी नहीं,
बस दिल के ज़ख्म हैं और यादों की नमी है।
रात की तन्हाई में भीगी सी ये ग़ज़ल,
तेरे बिना हर पल एक अधूरी सी होती है।
राखी का त्योहार
राखी का त्योहार आया, खुशियों की सौगात लाया,
भाई-बहन के प्यार का फिर से एहसास दिलाया।
नन्हीं सी राखी में बंधा, वो भरोसे का धागा,
हर गम में साथ देने का, वो अनमोल वादा।
बहन की आँखों में चमक, और दिल में प्यार,
भाई की कलाई पर सजे, ये रिश्तों का त्योहार।
भाई का वादा, बहन की रक्षा का,
और बहन की दुआ, भाई की सफलता का।
हर धागे में छुपी होती है, प्यार की मीठी बात,
हर मोड़ पर साथ निभाने का, दिया जाता है साथ।
राखी का ये त्योहार, बस एक दिन का नहीं,
ये तो भाई-बहन के रिश्ते की, हर रोज़ की गाथा है सही।
इस दिन की मिठास, हर दिल को भाती है,
रिश्तों की गर्माहट, हर दूरी को मिटाती है।
तो चलो मनाएं इस दिन को, पूरे जोश के साथ,
राखी के इस पावन पर्व पर, रिश्तों को दें नया साथ।
चाँदनी रातें
चाँदनी रातें, दिल की सौगातें होती हैं,
हर किरण में मोहब्बत की बातें होती हैं।
जब चाँद उतरता है आसमान से ज़मीं पर,
रात की बाहों में ख़्वाबों की मुलाक़ातें होती हैं।
हवा में घुली होती है तेरी महक हर जगह,
जैसे तुझसे मिलने की सौगातें होती हैं।
हर मोड़ पर जैसे तेरा अक्स चमकता है,
इन रातों में बस वही करामातें होती हैं।
दिल की गहराइयों में एक सुकून सा छा जाता है,
जब चाँदनी की चादर तले सब कुछ रुका सा लगता है।
ये रातें जैसे कोई दास्तां कह रही हों,
जिसमें छुपी मोहब्बत की सौगातें होती हैं।
अजनबी
अजनबी सा चेहरा, अजनबी सा मकान,
कभी मिलते हैं यूँ, जैसे थे हम अरमान।
रास्तों में कहीं, हमसफ़र बन गए,
जो अजनबी थे कल तक, वो दिल में उतर गए।
नज़रें मिलीं तो ख़ामोशियों ने बात की,
अजनबी थे हम, पर दिलों ने मुलाक़ात की।
कभी सोचते थे, क्या कहेंगे जब मिलेंगे,
अजनबी की तरह बस दूर से गुजरेंगे।
लेकिन ये दिल है, जो जानता नहीं,
अजनबी से भी प्यार हो, ये भी कमाल है कहीं।
कभी कभी पर ग़ज़ल
कभी कभी तो यूँ होता है,
दिल के सन्नाटे में कोई गीत गूँजता है,
बिना आवाज़ के भी वो कानों में चुपके से आता है,
ख़ामोशी की चादर में लिपट कर कुछ कह जाता है।
कभी कभी तो यूँ भी होता है,
धड़कनों की रफ़्तार भी ठहर सी जाती है,
इक ख़याल की आहट से ही,
आँखों में ख़्वाबों की बारिश हो जाती है।
कभी कभी तो यूँ होता है,
ख़ुशबू का एहसास भी बस यूँ ही हो जाता है,
बिन किसी फूल के,
सांसों में गुलाबों का गुलदस्ता बिखर जाता है।
कभी कभी तो यूँ भी होता है,
अजनबी राहों पर चलते हुए,
किसी अपने का चेहरा दिखाई देता है,
जो दिल की गहराइयों में पहले से बसा होता है।
एक राह
किसी राह पर अकेला चला,
धुंधली सी थी सुबह की हवा।
पैरों तले चुपचाप बिछी,
सड़क की धूल, जैसे कोई दुआ।
आसमान में बादल भरे,
जैसे कह रहे हो कुछ धीरे-धीरे।
राहें भी खामोश थीं,
जैसे वो भी सोच रही थीं।
किस दिशा में जाऊं, कौन सा मोड़ चुनूँ,
हर कदम पर सवाल था, हर मोड़ पर गुमान था।
पर दिल में एक आग थी, चलने की तमन्ना थी,
राह चाहे कैसी भी हो, मुझे आगे बढ़ना था।
सफर में मिलेंगे कई मुसाफिर,
कुछ साथ चलेंगे, कुछ बिछड़ेंगे यूं ही।
*पर ये राहें सिखाती हैं,*
*हर मोड़ एक नई शुरुआत होती है।*
इस सफर में तूफान भी आएंगे,
और कहीं छांव भी मिलेंगी।
बस, यूं ही चलते रहना,
राहें कभी खत्म नहीं होतीं।
मंजिल मिलेगी, शायद उस पल जब,
तू अपने आप से मिलेगा।
तेरे बिना
आँखों की गलियों में खोए हैं ख्वाब तिरे,
दिल की दास्तानों में छुपे हैं राग तिरे।
तेरे बिना शामें भी लगती हैं उदासियाँ,
तेरे बिना हर सुबह भी है जैसे बेरंग।
तेरे हुस्न की तारीफें करूँ कैसे, बताऊँ,
तेरे नूर से रोशन है, हर इक इक हिस्सा।
तेरे दिल की धड़कन से मिला है सुकून मुझे,
*तेरे बिना हर पल है जैसे कोई पहरा।*
तेरे बिना ये दिल है, जैसे बेजान कोई कागज़,
तेरे आने से हर लम्हा भी लगता है नया।
तेरे बिना ये ख्वाब भी अधूरे से लगते हैं,
तेरे बिना हर हँसी भी है जैसे कोई झूठी।
तेरे बिना गुनगुनाती तन्हाइयों में,
मेरे दिल की हर धड़कन भी अब सुनाई नहीं देती।
तेरे बिना जिन्दगी का हर रंग भी है फीका,
तेरे बिना हर खुशी भी लगती है सूनी
शहर ऐसा
शहर की राहों में, हर मोड़ पर यादें बसी हैं।
जिन्हें हम अपने दिल में, अक्सर छुपा के रखते हैं।
शहर की भीड़ में, कभी-कभी एक सन्नाटा भी मिलता है।
लोगों के बीच में, एक खुद से बात करने का वक्त मिलता है।
शहर की रौनकें, सबकुछ दिखाती हैं, छुपाती नहीं।
हर चहरे की मुस्कान में, एक अधूरी कहानी छुपी रहती है।
शहर की शामें भी, हसरतों की तरह बिखरी होती हैं।
हर चमकते लम्हे में, कहीं एक उम्मीद छुपी रहती है।
शहर की नज़रों से, हर दिल का मर्म समझ आता है।
हर छुपे हुए ख्वाब में, किसी ग़म की खामोशी बस जाती है।
आज़ादी
वो दिन था संघर्षों का,
जब धरती माँ ने पुकारा था।
हर दिल में था जोश अजब,
हर आँख में सपना सजा था।
आजादी की वो पुकार थी,
जन-जन का एक ही नारा था।
खून-पसीने से सींचा हमने,
भारत को आज़ाद बनाया था।
वो लहरें आज भी बोलती हैं,
साहस की वो कहानी कहती हैं।
वो वीर जिन्होंने बलिदान दिया,
उनकी याद हमें हमेशा रहती है।
अब फर्ज़ हमारा यही है,
उस आजादी को बरकरार रखें।
स्वतंत्रता की मशाल जलती रहे,
हम सब मिलकर ये वचन दें।
हर दिन हो उजाले से भरा,
हर दिल में हो देशभक्ति का रंग।
आज़ाद हवा में सांसें लें हम,
भारत रहे सदा उन्नत और चं
वक्त का पहिया
वक्त का पहिया घूमता है,
कभी तेज़, कभी धीमा चलता है।
रात की चुप्पी में भी ये,
अपनी रफ़्तार से बहता है।
खुशियों में उड़ान भरता,
ग़म में धीरे से गुजरता।
हर पल की ये कहानी,
वक्त ही तो लिखता है।
पलकों की कोर में अटकी,
ख्वाहिशें भी वक्त से लड़ती हैं।
पर वक्त के आगे सब हारें,
हर ख्वाहिश यहीं मिटती है।
वक्त का कोई ठिकाना नहीं,
न जाने कब, कहाँ मिल जाए।
समझदारी वक्त को समझने में है,
क्योंकि वक्त कभी लौट कर न आए।
इसलिए वक्त को पहचानो,
हर पल को जी लो यारों।
वक्त के इस पहिये के संग,
अपनी कहानी खुद ही लिख डालो।
कुछ बाकी है
अभी दिल में कुछ बात बाकी है,
तेरी यादों की सौगात बाकी है।
नहीं भूले हैं हम, अभी भी वो पल,
जिनमें तेरी कोई बात बाकी है।
सफ़र तो बहुत दूर तक आया हूं,
पर मंज़िल की कुछ रात बाकी है।
जिन आँखों में था ख्वाबों का जहाँ,
वहाँ अश्कों की बरसात बाकी है।
तेरे जाने से दुनिया बदल गई,
मगर दिल में तुझसे मुलाकात बाकी है।
कहानी पूरी कह दी मैंने,
मगर एक अदद बात बाकी है।
लिखे हैं ख़त कई इश्क़ में,
एक ख़त की शुरुआत बाकी है।
तू लौटकर जब आएगा,
तो मिलने की रात बाकी है।
कभी जो तुझसे पूछा नहीं,
वो जज़्बात बाकी है।
ज़िंदगी के हर मोड़ पर,
तेरे साथ की सौगात बाकी है।
सुकून
सुकून की तलाश में,
हर कोई यहाँ भटक रहा है।
ख्वाबों में खो गया है,
सचाई से सब बच रहा है।
धुंधले से रास्तों में,
सुकून का कोई निशां नहीं।
दिल को जो चाहिए,
वो बस ख़्यालों में कहीं नहीं।
कभी चाँदनी रातों में,
कभी गहराई में समंदर की।
सुकून को खोजता है दिल,
जैसे कोई प्यासा सागर की।
कभी यादों की बारिश में,
कभी सपनों की धूप में।
सुकून की तलाश में हम,
बस यूँ ही चलते जाते हैं।
पर असल में सुकून तो,
दिल के अंदर ही बसा है।
जो खुद को जान लेता है,
वो ही इसे पा लेता है।
स्त्री
आधार हैं सभी रिश्तों की,
जीवन की प्यारी छांव,
नारी, तू अद्वितीय, अनमोल,
तेरे बिना सूनी हर राह।
ममता की मूरत, स्नेह की छाया,
सपनों की तस्वीर, हंसती काया,
हर दर्द को सहती, हर घड़ी सहेजती,
तेरे बिना संसार है अधूरा, सन्नाटा गहरा।
संबंधों की गहराई, तू ही तो जानती,
सबल हाथों से धरती की हर धड़कन को संभालती,
तेरे बिना सभी रंग फीके, सभी गीतों में चुप्प है,
तेरे होने से ही जीवन की हर धड़कन में गहराई है।
तू जीवन की आधारशिला, तू जीवन की सुंदरता,
स्त्री, तू है जीवन की सच्ची मूरत,
तेरे बिना यह संसार अधूरा,
तेरे बिना यह यात्रा बेकार, अनजान।
चांदनी रात
चांदनी रातों में वो दिलकश नज़ारा,
जैसे आसमान ने धरती से प्यार पुकारा।
तेरी जुल्फों की छांव में बसा था चांद,
हर लहर पर तेरी अदाओं का एक रंग था।
चांद की किरणें जब तेरे चेहरे पर पड़ीं,
लगता था जैसे कुदरत ने कोई तस्वीर गढ़ी।
हर सितारा तेरी आंखों का अक्स था,
जैसे रात भी तेरे हुस्न का कोई जश्न था।
रात की तनहाई में तेरे साथ का एहसास,
जैसे हर धड़कन में था तेरा कोई खास वास।
चांदनी रात में दिल का हाल बेकरार था,
तेरी यादों का आलम कुछ ऐसा हसीन था।
वो चांद और तेरी मुस्कान का जादू,
हमारे दिल को फिर से उस रात में ले गया।
काश
काश ऐसा हो कि,
धरती पर शांति का राज हो,
हर तरफ खुशियों की बौछार हो,
कोई आँसू बेवजह न बहे,
हर दिल में बस प्यार हो।
काश ऐसा हो कि,
हर सुबह नई उमंग लाए,
हर शाम सुकून से भरी हो,
कोई ख्वाब अधूरा न रहे,
हर मंज़िल अपनी हो।
काश ऐसा हो कि,
किसी के दिल में डर न हो,
हर हाथ में हुनर हो,
गरीबी का नामोनिशान मिट जाए,
हर घर में रोशनी का असर हो।
काश ऐसा हो कि,
हम हर मुश्किल को हरा सकें,
एक-दूसरे का हाथ थामें,
हर दुख को भुला सकें,
और खुशी के गीत गा सकें।
काश ऐसा हो कि,
हर इंसान अपने आप में पूर्ण हो,
हर जीवन का उद्देश्य सार्थक हो,
हम सभी मिलकर इस दुनिया को
बेहतर और सुंदर बना सकें।
वो पुराने दिन
वो पुराने दिन, जब हम बेफिक्र थे,
दुनिया की फ़िक्र नहीं, बस हँसी का सिलसिला था,
खेलते थे गलियों में, बचपन की उस ख़ुशबू में,
हर दिन नया, हर पल में खुशियों का फलसफा था।
नन्ही-सी चिंताएँ, बड़ी-बड़ी कहानियाँ,
सपनों की दुनिया, और रंग-बिरंगे सपनों के झरोखे,
माँ की गोद, पिताजी का साया,
सब कुछ सरल था, सब कुछ अपना था।
स्कूल की बेंच, वो दोस्ती की बात,
मास्टरजी की डांट, और दोस्तों का साथ,
खट्टी-मीठी यादें, वो तकरार का अहसास,
हर दिन की छाँव में, बस प्यार का ही वास।
अब वो दिन नहीं, पर यादें हैं संजोए,
वो हँसी, वो मस्ती, दिल में हैं बसे,
ज़िन्दगी की रफ्तार में खो गए हैं वो लम्हे,
पर दिल में आज भी, वही प्यारे दिन हैं बचे।
वो पुराने दिन, अब बस यादों में हैं,
पर वो पल, हमेशा हमारी राहों में हैं,
बचपन की वो निशानी, कभी नहीं मिटेगी,
पुराने दिन की यादें, हमारे दिलों में सदा जिएगी।
आधुनिकता
आधुनिकता का पहना परिधान,
भाग रही दुनिया सुबह-शाम।
सुख-सुविधाओं के हैं सब गुलाम,
खो गया है मन का आराम।
मोबाइल में बंधी है जिंदगी,
हर पल की बस जल्दी-जल्दी।
धन कमाने की है अजब होड़,
खुशियों की समझ अब हो गई कमज़ोर।
भूल गए अपनापन का अर्थ,
रिश्ते हो गए अब केवल शब्द।
विकास की दौड़ में खोया संतुलन,
शांति की चाह में मन है विकल।
आज की जीवन शैली का हाल,
नित नए संकट, नए सवाल।
पर खुद को पहचानने का समय,
स्वास्थ्य और संबंधों का रखना ध्यान।
विज्ञान ने बढ़ाई दूरी,
संवेदनाओं में आई है दूरी।
वापस लौटो सरलता की ओर,
यही है सुखमय जीवन का सिरमौर।
बिखरे हुए लफ्ज़
बिखरे हुए लफ्ज़, तितलियों से जैसे,
ख्यालों की बगिया में उड़ते जाते हैं।
हर एक अक्षर में छुपी है,
अनकही दास्तानें, जो सुनाते जाते हैं।
कभी किसी आहट में,
गहरे जज़्बातों का समंदर बहे,
कभी किसी चुप में,
गूंजती हुई एक सदा रह जाए।
लफ्ज़ जो कभी सज गए थे,
अब धूल की परत में खो गए हैं,
कागजों की तहों में,
जाने कितनी कहानियाँ दब गई हैं।
इन बिखरे लफ्ज़ों को समेटो,
इनमें छुपे जज़्बातों को जानो,
हर एक में एक नया सवेरा है,
हर एक में एक नया अफ़साना।
बिखरे हुए लफ्ज़,
तुम्हें फिर से संजोने की चाह है,
ख्यालों की इस बगिया में,
फिर से उन्हें खिलाने की चाह है
सागर की गहराई
सागर की गहराईयों में बसी,
सपनों की दुनिया, एक अनोखी सी।
हर लहर में कोई कहानी छुपी,
कभी खुशी की, कभी उदासी की।
सागर का क्रोध जब उमड़े प्रचंड,
धरती भी कांपे, उठे विकराल तरंग।
फिर भी वह शांत, धीर गंभीर,
अपने भीतर समेटे सारा संसार।
रात के अंधेरे में, जब चाँदनी छिटके,
चाँद और सागर का हो अद्भुत मिलन।
लहरों का संगीत, जैसे कोई गीत,
सागर की गोद में, मिल जाए मन की जीत।
सागर सिखाता है धैर्य और प्रतीक्षा,
हर तूफान के बाद आती है शांति की आभा।
जीवन की राहों में, जैसे सागर का विस्तार,
हर बूँद से मिलकर बनता है अनंत आकार।
आज की दुनिया
यह है आज की दुनिया का दृश्य अजीब सा,
हर कोई है व्यस्त, पर मन में है शून्य सा।
चमक-दमक में खो गया है सरल जीवन,
हर चेहरे पर नकाब, पर दिल में उलझन।
हर सुबह है तेज, हर रात है बोझिल,
सपनों के पीछे भागते, खो जाते हैं दिल।
मशीनों ने बाँध दिए हैं हमें अपने जाल में,
संबंध कहीं खो गए हैं इन धागों के जाल में।
खबरें हर दिन नई, पर दर्द वही पुराना,
शांति की बातें हैं, पर युद्ध का ताना बाना ।
पर कहीं न कहीं अब भी रोशनी है बाकी,
एक किरण जो उम्मीद की बातें सिखाती।
आओ, इस अंधेरे में एक दीप जलाएँ,
इस भटके हुए सफर को फिर से सजाएँ।
दिलों में प्रेम हो, हो हाथों में हाथ,
नई दुनिया का सपना, हो हर दिल के साथ।
जहाँ न हो कोई भय, न हो कोई द्वेष,
सिर्फ इंसानियत का हो, हर दिल में प्रवेश।
बीबी का फरमान
बीवी बोली, ज़रा मेरे लिए शॉपिंग करा दो,
पति बोला, पहले महीने का बजट बता दो।
सोचते थे कि शादी होगी बड़ी मस्त,
पर हर हफ्ते सुनते हैं शॉपिंग की फेहरिस्त।
दिखाया था उन्हें प्यार में चांद और तारे,
अब तो बस समझते हैं, महीने के खर्चे सारे।
वो कहते हैं, तुम बदल गए शादी के बाद,
हम कहते हैं, ये सब बजट का है जादू-ए-आबाद।
चाय की प्याली में, था कभी सुकून का जहाँ,
अब बीवी के सवालों में खो गया वो आसमां।
सुबह उठते ही बीवी कहे, जरा दूध ले आना,
और रात को फिर कहे, बर्तन भी साफ कर जाना।
सोचा था, जीवन होगा मौज-मस्ती से भरा,
पर हर महीने की आखिरी तारीख ने कर दिया बुरा।
खुद
खुद ही है रचना, खुद ही है सृजन,
खुद में बसा है सारा ब्रह्मांड, खुद ही है सृजन।
खुद के भीतर झांको, खुद का संग रहो,
खुद ही हो सागर, खुद ही हो किनारा, ये सच कहो।
खुद से मत भागो, खुद से मत डराओ,
खुद को समझो, खुद को अपना सहारा बनाओ।
खुद की चुप्पी में भी छुपा है संवाद,
खुद के ही भीतर है हर सवाल का जवाब।
खुद की हर हार को भी जीत समझो,
खुद के हर आँसू को मुस्कान का रूप दो।
खुद की हर कमजोरी को ताकत बना,
खुद से ही हो तेरा रिश्ता, सबसे गहरा।
खुद की उड़ान हो, खुद की ऊँचाई हो,
खुद की मंज़िल हो, खुद की राह बनाई हो।
खुद से बड़ा ना कोई गुरू, ना कोई साथी,
खुद में ही है वो अलख, खुद से ही तेरी गाथा सजी।
खुद के साथ रह, खुद के लिए जी,
खुद की कहानी खुद लिख, खुद में ही तू सजी।
खुद का नायक बन, खुद की महिमा पहचान,
खुद में ही बस है तू, यही है जीवन की असल दास्तान।
आरजू
आरजू हमारी, एक हसरत बन गई,
जीवन की राहों में, एक चाहत बन गई।
हर कदम पर तलाशते रहे हम,
उस एक पल को, जो सुकून दे जाए।
आंखों में सपने, दिल में अरमान,
मगर वो मंज़िल, बस एक कहानी बन गई।
हवाओं में बसी, वो एक प्यारी सी खुशबू,
कभी करीब आई, कभी दूरी बन गई।
आरजू हमारी, एक चिराग़ की लौ,
जो जलती रही, पर रौशनी में खो गई।
सपनों की डोरी, थी थोड़ी कमज़ोर,
टूटते-टूटते, बस एक उम्मीद रह गई।
अब ये आरजू, दिल का एक कोना,
जहां कभी बसी थी, अब वीरानी बन गई।
फिर भी दिल में, एक नन्हीं सी किरण,
जो आरजू को, जिंदा रखती है कहीं।
हां, आरजू हमारी, अब भी मुस्कुराती है,
उम्मीदों की दुनिया में, एक रोशनी बनकर।
उलझनों से घिरा
उलझनों से घिरा ये दिल, न कोई राह नज़र आती है,
हर कदम पर रुकता हूँ, न कोई मंज़िल नजर आती है।
ख्वाबों की ये उलझनें, दिल को बेहाल करती हैं,
रात भर जागते हैं हम, नींद भी सवाल करती है।
सवालों की उलझन में, जवाब कहीं खो जाते हैं,
खुशियों की उम्मीदें, ग़म में ही समा जाते हैं।
हर रोज़ नए सवाल, हर रोज़ नई उलझन,
जीवन की इस राह में, कहां है सुकून का तर्पण।
समझना है अगर हमें, इन उलझनों की बातें,
दिल से दिल की ये बातें, खुद ब खुद सुलझ जाती हैं।
जज्बातों का समंदर
जज्बातों का समंदर दिल में समाया है,
तेरे बिना हर लम्हा तन्हा नज़र आया है।
तूने दी जो खुशबू मोहब्बत की,
उसकी मीठापन हर सांस में समाया है।
तेरी आँखों का जादू, दिल पर छा गया,
तेरी हँसी में जैसे जन्नत का साया है।
तेरी यादों का कारवां हर वक्त साथ है,
तेरे बिना ये दिल, कैसे जी पाया है।
तूने जो दिए दर्द, उनकी अहमियत है,
तेरे इश्क़ में ये दिल, खो कर भी पाया है।
दिल की बातें
दिल की बातें जुबां पर आने लगी हैं,
जज्बातों की धुनें अब गाने लगी हैं।
तेरी यादों का सफर, कभी थमता नहीं,
हर ख्वाब में तेरा चेहरा आने लगा है।
इस दिल की बेकरारी को कैसे बताएं,
तेरे बिना ये दिल अब तड़पने लगा है।
हर शाम तेरी यादों में खो जाती है,
हर सुबह ये दिल तुझसे मिलने लगा है।
तू न जाने इस दिल की हालत क्या है,
तेरी चाहत में ये दिल, पिघलने लगा है।
जज्बातों की तन्हाई
जज्बातों की तन्हाई में खो गए हम,
आँखों में आँसू लिए, रो गए हम।
दिल की बात जुबां पर न ला सके कभी,
सपनों की दुनिया में, खो गए हम।
तुम्हारी यादों ने जकड़ा इस कदर,
तन्हाई की चादर में, सो गए हम।
हर लम्हा तेरी याद का है गवाह,
इश्क़ की आग में, जल गए हम।
तूने जो दिया वो दर्द का तोहफा,
उस ग़म के साए में, पल गए हम।
स्वागत
आपके आने से महका ये चमन है,
हर दिल में बसा एक प्यारा सा अमन है।
स्वागत में बिछाए हमने ये राहें,
हर कदम पर सजे स्वागत के दीये और चाहें।
स्वागत है, स्वागत है,
हम सबका दिल से स्वागत है।
आपके बिना सूना था ये जहाँ,
अब आपके आने से रौशन है हर मकां।
आपका आना हमारे लिए सौभाग्य है,
इस पल को मनाना हमारा भी भाग्य है।
हर लम्हा आपका, हमको प्यारा है,
आपके संग बिताना हर पल हमारा है।
मुस्कानों की महफिल में आप हो शामिल,
आपके बिना ये महफिल होती नहीं कामिल।
स्वागत है आपका, दिल से कहें हम,
हर दिल से निकले ये स्वागत का सरगम।
स्वागत है, स्वागत है,
हम सबका दिल से स्वागत है।
इस खुशी के मौके पर हम सब मिलकर गाएं,
प्यार और अपनापन के गीत यहाँ सजाएं।
आओ मिलकर बांटें खुशी के पल,
आपके संग है ये महफिल, ये संबल।
आपके बिना ये सफर अधूरा था,
अब आपका साथ, सफर पूरा है।
खामोशी
खामोशी की भी अपनी एक जुबां होती है,
शब्दों से नहीं, दिल से बयां होती है।
कभी सुकून की तरह, कभी दर्द की तरह,
खामोशी हर हाल में साथ होती है।
अनकही बातें, अधूरे अरमानों की तरह,
खामोशी में छुपी हर एक दास्तां होती है।
कभी आँखों से बरसती, कभी होंठों पर थमती,
खामोशी की अपनी एक अलग पहचान होती है।
इसकी गहराई को जो समझ पाते हैं,
वही सच्चे प्यार का अर्थ जान पाते हैं।
खामोशी में जो छुपा दर्द सुन पाते हैं,
वही रिश्तों की सच्चाई पहचान पाते हैं।
एक अकेला
निशा की चाँदनी में एक अकेला,
चल पड़ा मैं पथ पर अनजाना सा।
हर कदम पर छाया सूनापन,
हर मोड़ पर अदृश्य कहानी।
स्वप्नों की परछाईयाँ संग-संग चलीं,
हवा में बिखरी यादें हौले-हौले चलीं।
मन की गहराईयों में सन्नाटा सा छाया,
सपनों की दुनिया में खो गया साया।
तारों की छाँव में एकाकीपन का साथी,
रात की ख़ामोशी में बसी एक मौन सच्चाई।
हर धड़कन में एक अदृश्य संगीत,
जिसमें गूंज रही है तन्हाई की प्रीत।
पथ पर अकेला, मन में असीम सागर,
हर लहर में छुपा एक अज्ञात आधार।
चलता रहूँगा यूँ ही अनवरत,
शायद मिल जाए कहीं मंज़िल अपरिचित।
बारिश की रात
घनघोर घटाएँ छाई हैं, काले बादल घिर आए हैं,
बिजली की चमक में लिपटी, बारिश की बूंदें बरसाए हैं।
हर ओर है शांति का आलम, बस बूंदों की झंकार,
धरती को चूमती हुईं, सृष्टि का करती श्रृंगार।
ताल तलैया नाच उठे, जल से भरें क्यारियाँ,
सोंधी-सोंधी माटी महके, बहकी हैं पगडंडियाँ।
टप-टप छत पर गिरतीं, अनगिन बूंदों की फुहार,
मन की वीणा झनझनाए, जैसे बज रही हो सितार।
झूमती है अमराई, झूलतीं हैं शाखाएँ,
बारिश की इस रात में, सब मिलके गीत गाएँ।
चाय का प्याला हाथ में, यादों की गलियों में सफर,
मौन रात की आवाज में, दिल का हो जाए सफ़र।
कभी ठंडी हवाओं का झोंका, कभी भीगी-भीगी रात,
बारिश की इस रात में, सब खो जाएं एक साथ।
यह रात भी एक कहानी है, प्रेम की, सुकून की बात,
बारिश की ये बूंदें कहतीं, चलो खो जाएं इस रात।
बाल मन
बालमन की दुनिया रंग-बिरंगी,
सपनों की लहरें, उम्मीदों की चिंगारी।
तारों से बातें, चाँद से खेलें,
नदी की धार में कागज़ की नाव खेले।
आकाश को छूने की चाहत,
हर पल कुछ नया करने की राहत।
मिट्टी की खुशबू, बारिश की फुहार,
बालमन की खुशियाँ होतीं अपरम्पार।
दोस्तों संग हँसी-मज़ाक,
बालमन का हर दिन हो खास।
बिना किसी चिंता, बिना किसी भय,
बालमन की उड़ान हो स्वतंत्र और निडर।
कहानियों में खो जाता,
परियों की दुनिया में मन रम जाता।
रंग-बिरंगे फूलों का बाग,
बालमन में बसी हरियाली की राग।
हर छोटे-बड़े का प्यारा,
बालमन सच्चा, सरल, और न्यारा।
खेल-खेल में जीवन के रंग भरता,
बालमन अपने सपनों का आकाश रचता।
कोशिश
हर सुबह एक नई शुरुआत हो,
हर कदम में नया विश्वास हो।
कोशिशें जारी रहे निरंतर,
जीवन में हर पल उल्लास हो।
हार की परछाइयों से डरना नहीं,
संघर्ष से खुद को बचाना नहीं।
कोशिशें होंगी रंग लाएंगी,
जीवन में सुख का संगीत गाएंगी।
दृढ़ निश्चय और अटूट विश्वास,
सफलता का बनेगा इतिहास।
कदम-कदम पर जोश भरना है,
जीत का परचम लहराना है।
रुकावटें आएंगी कई बार,
मन में उठेगा हार का विचार।
पर याद रखना हर पल यह,
कोशिश ही है सच्चा हथियार।
चलते रहो, बढ़ते रहो,
हर मुश्किल को पार करते रहो।
कोशिशों की धारा न रुकने पाए,
सपनों की मंजिल को छूते रहो।
ऊंघता हुआ शहर
छतों पर बिखरी चाँदनी,
खिड़कियों से झाँकती,
बेजान दीवारों पर,
छाया बन कर टहलती।
घड़ी की टिक-टिक में,
धीमी रफ़्तार,
जैसे थम सा गया हो,
समय का हर एक तार।
बंद दरवाज़ों के पीछे,
सपने करवट बदलते,
नींद की आगोश में,
किस्से भी सिमटते।
यह ऊंघता हुआ शहर,
अपने ही ख्यालों में,
भूल जाता है सब कुछ,
बीते दिनों की चालों में।
पर इस खामोशी में भी,
जीवन का संगीत है,
हर ऊंघते लम्हे में,
छुपी एक नई प्रीत है।
जब सुबह की पहली किरण,
खोलती है अपनी आँखें,
शहर फिर से जागता है,
नई ऊर्जा, नई साँसें।
सपनों से भरी रात के बाद,
सूरज की रोशनी में,
यह ऊंघता हुआ शहर,
फिर से जी उठता है।
एक दर्द ही
दर्द के हर इक एहसास को लफ्ज़ों में पिरोया है,
हर ज़ख्म की तासीर को अशआर में संजोया है।
जब कोई अपना दिल तोड़ के चला जाता है,
सारे अरमानों को वो खाक बना जाता है।
आँखों में आंसू, दिल में बेकरारी सी होती है,
हर सांस में दर्द की अजनबी सी कहानी होती है।
रात भर जागे हैं हम तेरी यादों की रौशनी में,
सपनों की वो दुनिया अब धुंधली सी लगती है।
फिर भी जिंदा हैं हम तेरे उस वादे के सहारे,
कि इक दिन आएगा जब तू लौट आएगा हमारे।
दर्द की गहराईयों में ही सुकून ढूंढ लिया हमने,
तेरे बिन भी जीना सीख लिया हमने।
मेरे अपने
मेरे अपने थे जो कभी पास रहते थे,
अब ख्वाबों में आकर भी नहीं मिलते हैं।
वो हंसीं लम्हे जो संग बिताए थे,
यादों की गलियों में खो गए हैं।
दिल की बातें हम उनसे कहते थे,
अब तन्हाई में खुद से ही बयां करते हैं।
वो जो अपना समझा करते थे हमें,
आज कहीं और अपनों में रमे हैं।
वक्त की धुंध में छुप गए वो चेहरे,
जिन्हें सोचकर आंखों में नमी रहती है।
हम भी ढूंढते हैं अपनेपन का साया,
पर वो अपने, अब अपने नहीं लगते हैं।
वो ख्वाब
ख्वाबों में जो बसे थे, वो ख़्वाब छूट गए,
राहों में जो मिले थे, वो साथ छूट गए।
दिल ने जिन्हें पुकारा, वो पास आ न सके,
जो राह में मिले थे, वो हाथ छूट गए।
यादें जो संग थीं, वो हवा में बिखर गईं,
आंसू जो दिल में थे, वो बरसात छूट गए।
जिन्हें प्यार से हमने, हर लम्हा दिया,
वो लोग जिंदगी से, बेगुनाह छूट गए।
दोस्ती
तेरी यारी का रंग चढ़ा जो हम पर,
हर रंग फिका लगने लगा हर समां पर।
तेरी हंसी में जो सुकून मिला हमें,
हर दर्द भुला हम जन्नत से मिलने लगे।
तेरे साथ की धूप और छांव ने,
हर मौसम को प्यारा बना दिया।
तेरी दोस्ती में जो मिठास पाई हमने,
दुनिया की हर मिठाई फीकी पड़ गई।
तेरे बिना हर खुशी अधूरी सी लगे,
तेरे साथ हर ग़म भी हसीन लगे।
मित्रता की ये बुनियाद अटल रहे,
तेरी यारी में हमें हमेशा नया रंग मिले।
संस्कृति
संस्कृति की जड़ी-बूटियाँ, इतिहास की पोटली,
संग रहकर हमें देतीं, जीवन की हर मोती।
रिवाज़ों की झलक में, हम पाते हैं पहचान,
सूरज की किरणों में, समाया है इसका ज्ञान।
गौरव की जड़ों में है, संस्कारों का दीप जलता,
हर परंपरा की धरोहर, प्रगति का संदेश पलता।
धर्म, भाषा, और कला, ये सब मिलकर बनातीं,
संस्कृति की अद्भुत दुनिया, हर मन को सिखातीं।
संगीन साजों की धुन में, जीवन के रंग बिखरते,
संस्कृति की इस छांव में, मानवता का गुण बुनते।
हर एक रीति-रिवाज, हर एक परंपरा का गीत,
संस्कृति की अमर धारा, जीवन को करती पूर्ण और दीपित।
एक और लम्हे
हर लम्हा है एक ख्वाब, जो पलकों पे रखा है,
जैसे जादू की एक छाया, जो दिल से सजा है।
वो एक और लम्हा, जैसे चाँदनी रात का किस्सा
सपनों की उड़ान में, जो दिल की धड़कन का हिस्सा।
हर क्षण की मिठास, जैसे ताजगी की बहार,
वो एक और लम्हा, जो दिल में लाए करार।
समय की इस धारा में, वो पल भी संजोना
हर एक लम्हा में छुपा है, जीवन का अनमोल सोना।
इस एक और लम्हे में, संजीवनी की खुशबू छुपी है,
जिंदगी की किताब में, ये यादें अमर बन चुकी है।
तुम रुकना नहीं
जीवन की राह में, कभी थकान न हो,
सपनों की उड़ान में, कभी विराम न हो।
रुकने से पहले सोच लो जरा,
मंजिल की राह में, संघर्ष का नाम न हो।
मुश्किलें आएंगी, राह में कांटे बिछेंगे,
पर तुम हार न मानना, कदम बढ़ाते रहना।
हर सुबह नई उम्मीद जगाएगी,
रात की परछाइयों से, कभी डर न जाना।
सपनों को साकार करने का वादा,
हौंसले की मशाल जलाए रखना।
रुकना नहीं, बढ़ते जाना,
हर मुश्किल को पार कर, अपनी मंजिल पाना।
अपनी ताकत को पहचानो, कभी खुद को कम मत मानो,
रुकना नहीं, हारना नहीं, बस आगे बढ़ते जाना।
राह कितनी भी कठिन क्यों न हो,
मंजिल मिलेगी, बस खुद पर विश्वास रखना।
सुबह सुनहरी
रविवार की सुबह सुनहरी,
धूप खिली हर दिशा में।
पंछी गा रहे हैं गीत,
खुशबू फैली फिजा में।
आराम का दिन यह प्यारा,
न कोई जल्दी, न कोई काम।
मन को मिलता है सुकून,
हर लम्हा लगता है आराम।
बच्चे खेलते हैं आंगन में,
बड़ों की गपशप का समय।
रविवार की यह मिठास,
हर दिल को करता है सुखमय।
दोपहर की झपकी मधुर,
शाम को बाग में टहलना।
रविवार का यह खास दिन,
जीवन को देता है नया सपना।
रात को सपनों की दुनिया,
सपने होते हैं सुनहरे।
रविवार की यह सुंदरता,
हर दिल में करते है बसेरे।
आज के नेता
नेताओं का क्या कहना, इनका अपना अंदाज़,
काम कम, बातें ज्यादा, है इनकी यह मिज़ाज।
वोटों के लिए करते हैं, बड़े-बड़े वादे,
पर कुर्सी मिलते ही, भूल जाते हैं इरादे।
चुनाव के पहले सब कुछ, बन जाता है आसान,
पर जीत के बाद गायब हो जाते हैं, जैसे कोई अरमान।
मंच पर खड़े होकर, जनता को लुभाते हैं,
पर असली काम में, अक्सर फिसल जाते हैं।
फोटो खिंचवाना हो, तो ये सबसे आगे,
पर जनता के दुख-दर्द में, अक्सर ये भागे।
नेताओं की यह लीला, समझना मुश्किल है,
बातों के शेर ये, असल में बिलकुल हैं।
तो हंसिए और मुस्कुराइए, इनकी हरकतों पर,
नेताओं का ये खेल, चलता रहेगा हर डगर।
परिवार
रिश्तों की बुनियाद, मोहब्बत का नाम है,
परिवार का हर सदस्य, दिल का एक आयाम है।
माँ की दुआओं में, सकून की बात होती है,
पिता के साए में, हर खुशी की रात होती है।
भाई का साथ, जैसे हर सुख का रास्ता,
बहन की हंसी, जैसे चाँदनी की बरसात होती है।
घर के आँगन में, मिलते सब अरमान हैं,
परिवार की महक से, रोशन हर एक शाम है।
बचपन की यादों में, वो प्यार भरी बातें,
जीवन की राहों में, परिवार की सौगातें।
सुख-दुख में साथ, यही परिवार का प्यार है,
सच्ची खुशियों का जहाँ, बस यही संसार है।
हर रिश्ता यहाँ, एक अनमोल एहसास है,
परिवार के बिना, जीवन अधूरा एक प्यास है।
मिल-जुलकर रहना, यही तो अपना काम है,
परिवार से ही तो, हर दिल का आराम है।
वादे
वो वादा करके मुकर गए, ये दोस्ती का सिला मिला,
हमें ज़िंदगी का हर ग़म, तेरे वादों में ही मिला।
उम्मीदें थीं जिन्हें तुमसे, वही दिल से निकल गईं,
तेरे झूठे वादों से हमें, दर्द-ए-दिल की दवा मिली।
ख्वाबों में भी तुमसे वफ़ा की आरजू थी,
पर वादों की हकीकत ने, हमें धोखे में रखा।
तेरे वादों की हकीकत, हम समझ नहीं पाए,
उस झूठी मुस्कान में, हमें सच्चाई का पता मिला।
हर वादा तेरा जैसे, एक नई कहानी हो,
पर हमसे दिल लगाने में, तुझे वादा न निभाना मिला।
बेवफ़ाई का तुझसे, हमें ये सिला मिला,
तेरे हर वादे में, हमें तन्हाई का पता मिला।
मेरा वजूद
हवा की तरह, मैं बहता हूँ,
समुद्र की लहरों में, मैं रहता हूँ।
धरती की गोद में, मेरा वजूद,
आकाश की ऊँचाइयों में, मेरा सुकून।
सितारों की चमक में, मैं झलकता हूँ,
सूरज की किरणों में, मैं दमकता हूँ।
फूलों की खुशबू में, मैं महकता हूँ,
प्रकृति की हर धड़कन में, मैं धड़कता हूँ।
हर कण में, मेरा वजूद,
हर रंग में, मेरा रूप।
समय की धारा में, मैं हूँ अनंत,
सपनों की दुनियाँ में, मैं हूँ अनूठा।
जीवन के हर पहलू में, मैं हूँ शामिल,
प्रेम, खुशी और दुःख में, मैं हूँ काबिल।
मेरा वजूद है अटूट, अमिट,
मैं हूँ असीम, अनन्त।
चमचागिरी
चमचों की दुनिया है बड़ी निराली,
बॉस के बिना इनकी ज़िंदगी हो खाली।
“चाय लाओ, दस्तावेज़ लाओ,” बॉस की आवाज़,
चमचे का काम है बस इनकी हर बात में लम्हा खास।
बॉस की तारीफों का ताना-बाना बनाते,
चमचे हर हंसी पर अपनी मुस्कान चिपकाते।
“वाह, कितना शानदार सुझाव है, बॉस!”
हर तारीफ पर चमचों का दिल बस झूम उठता खास।
लंच की टेबल पर चमचों की सेवा का रंग,
“बॉस, आज तो आपका दिन है बिल्कुल संग।”
मीटिंग में भी चमचों की ज़िम्मेदारी का आलम,
बॉस की हर बात में चमचों की खुद को जताते जादू का कलम।
रात की पार्टी हो या दिन का काम,
चमचों की दुनिया है बस बॉस की सेवा का तमाशा और नाम।
ऐसा होता है चमचों का हर पल,
बॉस की खुशी में बस चमचों का दिल रहता पल-पल।
आओ नया जहां बनाए
आओ नया जहां बनाए, खुशियों की बस्ती,
हर दिल में प्यार हो, हर लम्हा मस्ती।
नफरत की दीवारें, सब मिलकर गिराएं,
एकता की राह पर, सबको संग लाएं।
आओ नया जहां बनाए, जहां न हो कोई भेद,
हर दिल में हो इंसानियत, न हो कोई खेद।
मजहब की बातें, सबको दूर करें,
मानवता की राह पर, सबको चढ़ाएं।
आओ नया जहां बनाए, जहां हो हरियाली,
प्यार और अपनापन, हो हर एक की लाली।
हर चेहरा हो मुस्कान से खिला,
हर दिल में हो उमंग, हर लम्हा हो हसीन।
आओ नया जहां बनाए, जहां न हो दुख-दर्द,
हर जीवन में हो बस खुशियों का सर्द।
मिल-जुलकर सब रहें, प्रेम का हो प्रसार,
दुनिया बने स्वर्ग, हर दिल हो गुलजार।
आओ नया जहां बनाए, सपनों का संसार,
जहां हो सबका सम्मान, न हो कोई तकरार।
सपनों को सच करें, हाथों में हाथ डालें,
प्यार और सौहार्द से, नई दुनिया की नींव डालें।
आओ नया जहां बनाए, उम्मीदों की बुनियाद,
हर दिल में हो विश्वास, हर लम्हा हो आबाद।
अपना होने का दिखावा
अपना होने का दिखावा, हर दिल में खता,
कभी हंसी में छुपा, कभी आँसू में बसा।
लफ्ज़ों में मिठास, दिल में छलावा,
अपना होने का खेल, कैसा ये तमाशा।
हर एक मुस्कान में, छुपी एक कसम,
हर एक वादे में, झूठ का मरहम।
दोस्ती की बातें, पर दिल में फ़ासला,
अपना होने का भ्रम, कितना अनोखा।
कभी हाथ थामते, कभी दूर हो जाते,
अपना होने का दिखावा, हर दिन ये बताते।
रिश्तों की डोर, जब उलझ जाती,
अपना होने का स्वांग, सच्चाई को छुपाती।
हर किसी को लगे, वो ही अपना सच्चा,
पर दिल के अंदर, खालीपन का सन्नाटा।
अपना होने का दिखावा, ये दुनिया की रीत,
कभी पास, कभी दूर, ये कैसी अजब प्रीत।
झूठे वादों की माला, सच्चाई की कमी,
अपना होने का दिखावा, दिल की है नमी।
अपनी अपनी सलीबे
अपनी अपनी सलीबे, सबको उठानी पड़ी,
जीवन की राहों में, मुश्किलें निभानी पड़ी।
किसी ने हंसते हुए, दर्द छुपाया,
किसी ने रोते हुए, हर ग़म से सामना किया।
अपनी अपनी सलीबे, हर दिल की कहानी,
कभी खुशी के पल, कभी दर्द की निशानी।
किसी ने प्यार में, हर जख्म को सहलाया,
किसी ने तन्हाई में, खुद को ही समेटा।
सलीबें सबकी अलग, पर दर्द सबका एक,
जीवन की इस राह में, सबको मिला संघर्ष।
किसी ने उम्मीदों का, दामन थामा,
किसी ने निराशा में, हर सपने को भुलाया।
अपनी अपनी सलीबे, सबको उठानी पड़ी,
जीवन के इस सफर में, हर एक को निभानी पड़ी।
कोई था जो साथ, हर पल में खड़ा,
कोई था जो छोड़ गया, मुश्किलों का घेरा।
अपनी अपनी सलीबे, सबकी अपनी अलग,
फिर भी सबने झेली, अपनी अपनी दहलीज़।
जीवन की इस राह में, सबको अपना सफर,
अपनी अपनी सलीबे, सबको खुद ही उठानी पड़ी।
किसे कहें अपना
किसे कहें अपना, किसे मानें पराया,
दुनिया की भीड़ में, दिल को किसने पाया।
हर चेहरा मुस्कान का, हर नज़र में चमक,
पर दिल के अंदर, किसने दर्द छुपाया।
दोस्ती की बातें, वादों का समंदर,
पर वक्त के तूफान ने, हर रिश्ता हिलाया।
किसी ने दिया साथ, किसी ने दिया धोखा,
किसी ने निभाया हर पल, किसी ने दिल जलाया।
अपना कहकर भी, दूरियां बनाई कुछ ने,
कुछ ने बिना कहे ही, हर जख्म को सहलाया।
सच्चे दिल से जो, हर घड़ी में साथ हो,
वो ही है अपना, जिसने हर ग़म को बांटा।
किसे कहें अपना, किसे मानें पराया,
दिल की कसौटी पर, हर रिश्ता है आजमाया।
वो लम्हे
वो लम्हे जब पहली बार मिले थे हम,
नजरों का वो मिलना, दिलों का वो थम जाना,
वो पल थे जादू भरे, जैसे कोई ख्वाब सा,
दिल की किताब में दर्ज, वो पहली मुलाकात का लम्हा।
वो लम्हे जब साथ बैठते थे,
बातों में खो जाते थे, समय का पता न चलता था,
हँसी की फुहार, खुशियों की बहार,
हर एक पल था जैसे, कोई संगीत का तार।
वो लम्हे जब हाथों में हाथ थे,
सपनों की दुनिया में खोए हुए जज़्बात थे,
वो चुपचाप बैठना, वो नजरें मिलाना,
हर एक पल था, जैसे कोई प्यार का तराना।
वो लम्हे जब राहें जुदा हो गईं,
दिल में एक टीस, आँखों में नमी छा गई,
वो अलविदा का पल, वो वादों की बात,
हर एक लम्हा था, जैसे कोई अधूरी कहानी का आघात।
वो लम्हे जब यादें बन गईं,
दिल की धड़कनों में बस गईं,
वो मीठी-मीठी बातें, वो खट्टी-मीठी यादें,
हर एक लम्हा है, जैसे कोई अनमोल इबादत।
वो लम्हे जब हम फिर मिले,
बीते समय की कसक, और नई उम्मीदों की झलक,
वो हँसी की गूँज, वो पुराने किस्से,
हर एक पल था, जैसे कोई खोया हुआ खजाना मिल गया।
वो लम्हे जब हम सपने देखते थे,
आने वाले कल की बातें करते थे,
वो उम्मीदों की चमक, वो साथ रहने की चाह,
हर एक लम्हा था, जैसे कोई नया सवेरा।
भरोसे की राह पर
भरोसे की राह पर चलना आसान नहीं,
पर ये है वो मार्ग जो मंजिल तक ले जाए सही।
कभी धूप, कभी छांव का संग-साथ,
भरोसे की छांव में मिलता है सुकून का हाथ।
भरोसे के बीज जब दिलों में बोए जाते हैं,
हर कठिनाई के पर्वत भी रेत से हो जाते हैं।
विश्वास की नींव पर जो सपने खड़े होते हैं,
वो हर तूफान से बेखौफ आगे बढ़ते हैं।
भरोसा वो धागा है जो रिश्तों को जोड़ता है,
झूठ और फरेब की दीवारों को तोड़ता है।
सच्चाई की मिठास से जो बंधन बने,
उनमें प्रेम और समर्पण के फूल सदा खिले।
हर रिश्ते की डगर पर भरोसा जब चले,
हर मन का दर्द भी पल भर में छले।
सपनों की उड़ान को मिलता है परवाज़,
भरोसे की दुनिया में मिलती है सच्ची आवाज़।
अनछुए रिश्ते
निराशा के साये में,
फूलों से ढके रास्ते,
अनछुए रिश्ते की कहानी,
दिल की धड़कनें बयां करते।
न आँखों से मिली नजर,
न हाथों से थामी हथेली,
फिर भी अनजानी सी खुशी,
दिल के कोने में खिली।
सपनों में सजी सूरत,
बिन देखे ही अपनी सी लगी,
सांसों की गहरी गहराई में,
बिन कहे ही बातें सजी।
वक्त ने दी ऐसी मुराद,
रिश्तों की अजब फसलें बोईं,
अनछुए तारों की चमक,
दिल के आकाश में खोई।
शायद कभी हो मुलाकात,
फिर भी ये रिश्ता प्यारा,
अनकहा, अनजाना सा,
फिर भी दिल के सबसे पास, हमारा।
इश्क का रंग
रंग-ए-इश्क में डूबा दिल आशिक का हाल,
हर लम्हा ख्यालों में बसी उसकी चाल।
हर नजर में है तस्वीर उसी की छवि,
इश्क का ये रंग है सबसे अलहदा माल।
उसके बिना सूनी है ये दुनिया सारी,
आशिक का दिल ढूंढ़े उसकी दीद का सवाल।
ख़्वाबों में भी होती है उसकी ही बातें,
हर पल में सजती है उसकी सूरत की चाल।
आशिक का दिल एक प्यासा समंदर,
इश्क की बारिश में भीगता हर इक साल।
उसकी मोहब्बत में जीना, मरना है,
आशिक के दिल की ये सबसे खूबसूरत मिसाल।
प्रभु की मूरत
प्रभु की मूरत, मन को भाए,
हर शंका को दूर भगाए।
दया, करुणा, प्रेम अपार,
साथ हमारे, हर एक बार।
अंधेरे में वह दीप बनें,
संकट में भी सहारा दें।
जो पथ से हम भटकें कहीं,
राह दिखाएं, वही सही।
भक्तों की सुनें, सदा पुकार,
सुख-दुःख में हैं वही आधार।
प्रभु की महिमा, है अनंत,
हर कण में हैं, सदा प्रचंड।
मन मंदिर में, बसी जोत,
प्रभु की कृपा, असीम, असीमोत।
दीन-दुखियों के वो रखवाले,
हर हृदय के हैं, सबसे प्याले।
नमन उनको, बारंबार,
प्रभु ही हैं, सबसे आधार।
हर सांस में है, नाम उनका,
प्रभु की मूरत, परम सुन्दर।
श्रीकृष्ण लीला
मुरली की धुन पर सजीव हो उठे,
गोकुल की गलियाँ और यमुना का तट।
श्यामल छवि, मनोहर मूरत,
श्रीकृष्ण का अद्भुत हर ठाट॥
माखनचोर की नटखट लीला,
बाल रूप में सबको हर्षाया।
गोपी संग रास रचैया,
राधा संग प्रेम को सजाया॥
कुरुक्षेत्र की रणभूमि में,
गीता का उपदेश सुनाया।
धर्म की राह पर चलने का,
अमर संदेश जग में फैलाया॥
कंस का संहार कर,
अधर्म का किया विनाश।
हर युग में अवतरित होते,
श्रीकृष्ण, संजीवित हर आकाश॥
कृष्ण की महिमा अपरंपार,
हर दिल में बसी है उनकी पुकार।
भक्त के मन में वास करें,
श्रीकृष्ण, सच्चा आधार॥
संगीत, प्रेम और नीति के ज्ञाता,
श्रीकृष्ण का अनमोल साथ।
जो उनके चरणों में शीश झुकाए,
वो पावे जीवन का सत्य, हर बात॥
श्रीराम महिमा
मधुर गाथा की छाँव तले,
श्रीराम की महिमा अपरंपार।
दशरथ-नंदन रघुकुल तारण,
धीर वीर, मर्यादा का आधार॥
सत्य धर्म के रक्षक नायक,
वन-वन घूमे नित दिनरात।
सीता संग और भ्राता लक्ष्मण,
संकट में भी रहे समर्थ॥
रावण का जब किया संहार,
अधर्म का किया संहार।
लंका जली धर्म की ज्योति से,
सतयुग की जग में बहार॥
पावन गाथा राम की सुने,
मन में भर ले प्रेम अपार।
श्रीराम की चरणों में शीश झुका,
पायें जीवन का सच्चा सार॥
राम का नाम अमृत जैसा,
हर पल दे आनंद का संसार।
धीरज, साहस और सच्चाई,
श्रीराम से पायें सब संभार॥
मतलबी
मतलबी लोग केवल अपनी राह देखते हैं,
साथ की चाहत को नजरअंदाज करते हैं।
फायदे की खेल में सबको लुभाते हैं,
पर सच्ची दोस्ती की कीमत नहीं समझते हैं।
जब तुम्हारी जरूरत नहीं रह जाती,
तब रिश्ते भी अक्सर भूल जाते हैं।
खुशियों में बहुत सारे साथी मिल जाते हैं,
दुखों में ही सच का पता चल पाता है।
असली रिश्ते उन लोगों के साथ बनते हैं,
जो सुख-दुख में साथ निभाते हैं।
मतलबी लोग तो केवल स्वार्थी होते हैं,
जो सिर्फ अपनी ही राह में चलते हैं।
आज का आदमी
आज का आदमी, दौड़ता चला जाए,
सपनों की चादर में खोया नज़र आए।
मशीन की तरह, दिन-रात व्यस्त,
मन की गहराई से हो गया है वो अज्ञात।
कभी हँसी, कभी दर्द, छिपा कर रखता,
हर पल की लहर को दिल में समेटता।
संबंधों की गहराई, अब व्यापार सा लगता,
सच्चाई की खोज, जैसे एक अधूरी किताब।
शहर की चमक-दमक, आँखों को चुभती,
वास्तविकता की रेखाएँ, खोई सी लगती।
फिर भी, उम्मीद की एक किरण चमकती,
आज का आदमी, बदलता, फिर भी बदलता।
जय जय भारत
जय जय भारत, जय जय वतन,
तेरी मिट्टी में है मेरा तन-मन।
तू है मेरी माँ, तू है मेरा मान,
तेरे चरणों में है मेरा जीवन।
तेरी हरियाली में बसी है खुशहाली,
तेरे आंगन में है वीरों की लाली।
तू ही मेरा सागर, तू ही मेरा पर्वत,
तेरी हिफाजत में है मेरा हर कदम।
जय जय भारत, जय जय वतन,
तेरी मिट्टी में है मेरा तन-मन।
तेरे लिए जियेंगे, तेरे लिए मरेंगे,
तेरी आन-बान-शान में हम सवरेंगे।
देश की मिट्टी का कर्ज निभाएंगे,
हर बुराई से इसको बचाएंगे।
हम सब मिलकर, कदम से कदम मिलाएं,
तेरे गौरव को और ऊँचा उठाएं।
तेरी आजादी में है हमारी खुशी,
तेरे गीतों में है हमारी हंसी।
हम सब मिलकर तेरा गुणगान करें,
तेरे चरणों में अपने प्राण अर्पण करें।
जय जय भारत, जय जय वतन,
तेरी मिट्टी में है मेरा तन-मन।
तेरी रक्षा में हम सदैव तैयार,
तेरे प्रेम में है सच्चा हमारा प्यार।
स्वागत
आपके आने से महका ये चमन है,
हर दिल में बसा एक प्यारा सा अमन है।
स्वागत में बिछाए हमने ये राहें,
हर कदम पर सजे स्वागत के दीये और चाहें।
स्वागत है, स्वागत है,
हम सबका दिल से स्वागत है।
आपके बिना सूना था ये जहाँ,
अब आपके आने से रौशन है हर मकां।
आपका आना हमारे लिए सौभाग्य है,
इस पल को मनाना हमारा भी भाग्य है।
हर लम्हा आपका, हमको प्यारा है,
आपके संग बिताना हर पल हमारा है।
मुस्कानों की महफिल में आप हो शामिल,
आपके बिना ये महफिल होती नहीं कामिल।
स्वागत है आपका, दिल से कहें हम,
हर दिल से निकले ये स्वागत का सरगम।
स्वागत है, स्वागत है,
हम सबका दिल से स्वागत है।
इस खुशी के मौके पर हम सब मिलकर गाएं,
प्यार और अपनापन के गीत यहाँ सजाएं।
आओ मिलकर बांटें खुशी के पल,
आपके संग है ये महफिल, ये संबल।
आपके बिना ये सफर अधूरा था,
अब आपका साथ, सफर पूरा है।
खूबसूरती
1.
*तेरी खूबसूरती की तारीफों के लिए शब्द भी कम पड़ते हैं,
दिल की गहराइयों से बस तेरा जिक्र कभी नहीं मिटता।*
2.
*तेरी आँखों की चमक में चाँद सितारे भी फीके लगते हैं,
तेरी मुस्कान की खनक हर दर्द को भुला देती है।*
3.
*खूबसूरती से भरी तेरी सूरत जैसे कोई हसीन ख्वाब हो,
हर लम्हा तेरे बिना ये दिल अब सुना और अधूरा सा लगता है।*
4.
*तेरी खूबसूरती की कहानी हर दिल की दुआ में समा गई,
जैसे फूलों में खुशबू की तरह, तेरे एहसास ने रंग बिखेर दिए।*
बेटी के
नाजुक सी कली, वो प्यारी सी गुदड़ी,
सपनों में खोई, जैसे चाँदनी रात की चाँदनी।
उसकी हंसी में बसती है एक दुनिया नई,
बेटी के बिना जीवन लगे अधूरी कहानी।
उसके कदमों से घर में बहार आती,
उसकी बातों से हर दिल खिल उठती।
हर मुश्किल में वो मुस्कान सिखाती,
बेटी है वो जो जीवन में रंग भर जाती।
उसके आँखों में देखो आसमान के सपने,
हर दिन नया कुछ करने का जज़्बा।
वो छोटी सी नन्हीं परी, है सबकी प्यारी,
बेटी से ही तो है घर-आँगन की रौनक न्यारी।
वो तो है माता-पिता का अभिमान,
उसके बिना अधूरा है जीवन का गान।
हर बेटी को दें प्यार और सम्मान,
उन्हें उड़ने दें, देना उन्हें आकाश का मचान।
ईश्वर से इच्छा
हे ईश्वर, मेरी बस इतनी सी है विनती,
हर दिल में बसी रहे प्रेम की ज्योति।
दुख और दर्द का अंधेरा हो जाए दूर,
खुशियों की बरसात हो, चारों ओर भरपूर।
हे ईश्वर, हर राह को सरल बना दो,
भटके हुए पथिक को मंज़िल का पता दो।
हर मन में बसी हो शांति और सुकून,
हर इंसान का हो पूरा हर एक जूनून।
हे ईश्वर, हर घर में हो सुख और चैन,
हर आत्मा को मिले तुम्हारा आशीर्वाद, हर क्षण, हर दिन।
भूखे को रोटी, प्यासे को जल दो,
हर बच्चे को शिक्षा, हर दिल को बल दो।
हे ईश्वर, कोई न रहे दुखी, कोई न रहे अकेला,
हर दिल में बसी रहे तुम्हारी ज्योत निरंतर जलता।
हर जगह हो इंसानियत का राग,
हे ईश्वर, पूरी कर दो ये मेरी विनम्र माँग।
हे ईश्वर, मेरी बस इतनी सी है विनती,
हर दिल में बसी रहे प्रेम की ज्योति।
वो हसीन पल
वो हसीन पल, जो संग बिताए थे हमने,
जैसे चांदनी रातें और महके हुए सपने।
वो हंसी की गूंज, वो आँखों का इशारा,
दिल में बसी है आज भी, वो प्यारा नज़ारा।
वो शाम का मिलना, वो बातें रात भर,
जैसे वक्त ठहर गया हो, वहीं उसी पहर।
वो बेमौसम बारिश, वो छतरी का छुपाना,
हर बूँद में प्यार था, हर लम्हा था सुहाना।
वो साथ चलना, वो हाथों का थामना,
जैसे जीवन का हर रंग था तुमसे सजा हुआ।
वो फूलों की खुशबू, वो हवाओं का गुनगुनाना,
हर पल में बसा था, तुमसे मिलने का बहाना।
वो यादों की झलक, वो बीते दिनों की बात,
दिल में बसे हैं, वो हसीन पलों के जज्बात।
वो हसीन पल, जो फिर कभी न आएंगे,
पर दिल के किसी कोने में, हमेशा मुस्कुराएंगे।
वो लम्हे, वो बातें, वो साथ का एहसास,
वो हसीन पल, रहेंगे सदा दिल के पास।
जूठे रिश्ते
जूठे रिश्तों की छांव, कितनी ठंडी होती है,
हर शब्द में छलकती, बेवफ़ाई की होती है।
मुलाकातों के सिलसिले, जो बेमन से निभाए,
हर हंसी की सच्चाई, कहीं खोई सी दिखाई देती है।
बातें जो मीठी लगें, पर दिल से मेल न खाएं,
अजनबी से रिश्ते, जो कभी गहरे न हो पाएं।
हर वादा, हर एहसान, जो सिर्फ शब्दों में बसी,
सच्चे दिल से न की गई, बस दिखावे की मृगतृष्णा सी।
वो दुआएं, वो संजीवनी, जो कभी निभाई न जाएं,
जूठे रिश्तों की मिठास, दिल को कभी ना भाए।
रिश्तों की इस भीड़ में, कोई सच्चा साथी चाहिए,
जिसका दिल सच्चा हो, जो हर दर्द समझे, हर खुशी में शामिल हो।
रिश्तों के इस मेला में, सच्चाई की तलाश है,
जूठे रंगों की परतें, कहीं छिपी न रह जाएं, ये आशा है।
उम्मीद
उम्मीद की किरण, जो दिल को सुकून देती है,
हर अंधेरे में, नयी सुबह की बात करती है।
सपनों की राह पर, ये दीप जलती रहती है,
हर संघर्ष के बाद, राहत की तस्वीर दिखाती है।
वो आशा की लौ, जो बुझने नहीं पाती,
हर कठिनाई में भी, मन को बल देती जाती।
उम्मीद की राहें, कभी न ख़त्म होने वाली,
हर ग़म के बाद, खुशी की अनोखी लकीर खींचती है।
दिल की धड़कन में, ये सपना बन के सजती है,
हर हार के बाद, जीत की प्रेरणा बन जाती है।
उम्मीद की जो चिराग, कभी न डगमगाता है,
हर मुश्किल में भी, ये मन को जगाता है।
कभी टूटे हुए दिल को, ये संजीवनी का काम देती है,
हर भटके हुए कदम को, नई दिशा दिखाती है।
उम्मीद के सहारे, जीवन की राह आसान बनती है,
हर दर्द की घड़ी में, ये राहत की पहचान बनती है।
सुबह का आलम
सूरज की किरणों ने जब छुआ आंगन,
मुस्कान सी बिखरी, खुली नींद की चादर।
चिड़ियों की चहचहाहट ने गीत गाया,
नया दिन, नई उमंग, नया सवेरा लाया।
ओस की बूंदों ने फूलों को नहलाया,
ताजगी की खुशबू ने मन को सहलाया।
हरी घास पर जब चली ठंडी बयार,
सारी दुनिया लगी जैसे एक स्वप्न साकार।
सपनों के आंगन से हकीकत की ओर,
सुबह की किरणें चलें, उम्मीदों का सिरा पकड़।
हर एक सुबह, एक नया संदेश लाए,
जीवन को संवारें, नई राह दिखाए।
कुछ लोग
हर चेहरा है एक कहानी,
हर आँख में छुपा एक राज़।
हर व्यक्ति है एक पुस्तक,
जिसके पन्ने हैं अनगिनत आज।
कभी खुशी, कभी गम,
हर दिल में होता है।
कभी हँसी, कभी आँसू,
हर व्यक्ति अपने संग होता है।
हर किसी का अपना सफर,
अपनी मंज़िल, अपनी राह।
कभी कठिन, कभी आसान,
हर मोड़ पर नई चाह।
कभी मददगार, कभी अपने,
हर रिश्ता है अनमोल।
कभी दोस्त, कभी पराया,
हर व्यक्ति से होता है मेल।
लोगों के इस दुनिया में,
सिर्फ एक बात समझ लो।
सबके दिल में प्यार है छुपा,
हर किसी को अपना मान लो।
तेरे अपने
तेरे अपने की बात निराली,
दिल में बसता है एक प्यारा ख्याल।
हर दिन में है उसकी हँसी,
हर रात में उसकी यादों का जाल।
जब भी हो तू उदास कभी,
तेरे अपने का साथ है।
सपनों को हकीकत बनाने में,
उसका अटूट विश्वास है।
तू चल जहां भी इस दुनिया में,
तेरे अपने का साथ छूटे ना।
हर मुश्किल को पार करना,
तेरे अपने की दुआ कभी टूटे ना।
तेरे अपने की मोहब्बत में,
संसार की सारी खुशियाँ हैं।
हर कदम पर तेरा साथ देंगे,
तेरे अपने, तेरे सच्चे साथी हैं।
मेरा शहर जैसलमेर
सुनहरी रेत के कणों में, बसी एक दास्तान है,
जैसलमेर की वादियों में, बिखरी एक पहचान है।
सोनार किले की चोटी पर, इतिहास झलकता है,
वीरों की गाथाओं में, साहस चमकता है।
बाजार की रौनक में, संस्कृति की झलक है,
हर चेहरे पर हँसी, हर दिल में उमंग है।
हवेलियों की खिड़कियों से, झांकता अतीत है,
रंगों की छटा में, जीवन का संगीत है।
गडिसर की लहरों में, खामोशी की बात है,
सूरज की किरणों में, स्वर्णिम सौगात है।
ऊँट की सवारी में, रेगिस्तान का गीत है,
जैसलमेर की गज़ल में, रूह की प्रीत है।
सीमा प्रहरी
सीमा पर खड़ा वो प्रहरी, वीरता की मिसाल,
देश की रक्षा में तत्पर, उनका न कोई सवाल।
सर्दी, गर्मी, बरसात में, वो सदा तैनात,
देश की रक्षा में जुटे, वीरों का ये साथ।
रातें जागकर बिताते, नींद से जो हैं दूर,
हर पल आँखें चौकस, हर दम रहते मशहूर
मां की ममता छोड़कर, देश को बना लिया ध्येय,
सीमा के हर कोने में, बसते हैं उनके ह्रदय।
वो पर्वतों की ऊँचाई, या रेगिस्तान की रेत,
हर जगह है उनकी हिम्मत, हर जगह उनकी भेट।
उनके साहस के किस्से, हर दिल में बसी कहानियां,
भारत माँ के सच्चे सपूत, उनके बलिदान की निशानियां।
गोलियों की बौछार में, सीना ताने खड़े,
तिरंगे की शान में, जान न्योछावर करे।
घर से दूर रहकर भी, दिल में बसता परिवार,
उनके जीवन का उद्देश्य, देश का हो उद्धार।
वीरता के गीत गाए, उनके सम्मान में,
भारत का हर नागरिक, सिर झुकाए प्रणाम में।
उनके बलिदान को याद कर, हर आंख हो नम,
सीमा के वीर सपूतों को, सलाम करें हम।
जिनके बल पर हम सुरक्षित, चैन की नींद सोएं,
उनकी वीरता का गान, हर भारतवासी बोले।
सीमा के वीर हमारे, देश का गौरव और अभिमान,
उनके अदम्य साहस को, सदा करते हैं हम प्रणाम।
सपनों की यात्रा
सपनों की राह पर चलना है आसान,
जैसे चाँद पर चढ़ना, हो एक दिव्य दान।
नींद की गहराई में डूबा मन,
सपनों की मिठास से भर जाए हर पल।
रात की निस्तब्धता में खिलते फूल,
कल्पनाओं की दुनिया, दूरियों की भूल।
सपने और इच्छाएं, मन की बातें,
रंग-बिरंगे चित्र, दिल की परतें।
सपनों की उड़ान, दिल की चाह,
सपने हैं सोने का सबसे प्यारा सच।
सपनों की दुनिया में बसी हर खुशी,
कभी चाँद के साथ, कभी रंगों की रची।
जैसे सुबह की किरने, सपनों को भुला दे,
सच्चाई की धूप, वास्तविकता को दिखा दे।
फिर भी सपनों की मिठास में, है कुछ खास,
जीवन के सफर में, होते हैं सपनों के पास।
सपनों की राह, जीवन की नज़र,
हर सपना, हर ख्वाब, है एक नई तरंग।
सपनों की ये दुनिया, दिल की बात कहे,
सपनों की दुनिया, हर सुबह से सजीव रहे।
एक अजीब सा
सपनों की दुनिया में खोए हुए,
आलसी वादों के रंगीन झमेले।
भ्रष्टाचार की गली में घुसकर,
सच्चाई की दुकानें लगाईं गईं।
अहंकार की ताजपोशी पर,
सर्वश्रेष्ठता का नाटक बेमिसाल।
पद और धन का खेल निरंतर,
सच्चाई के खिलाफ खड़ा हर सवाल।
हर व्याख्यान में आदर्श की बात,
वास्तविकता की अंधेरी रात।
राजनीतिक नेताओं के भाषण,
झूठ की चादर ओढ़े अनमोल दर्शन।
समाज सुधार की योजनाएँ,
मुद्राओं के खेल में बिखर जातीं।
सपनों का दिखावा, सच्चाई की परत,
खुद की ही चाशनी में उलझी रही ये जात।
जिन्हें पता नहीं अपनी प्यास,
दूसरों को दिखाते हैं पानी की आस।
सच्चाई और छल के बीच की लड़ाई,
हर दिल में एक नया प्रश्न छोड़ जाती।
काश
काश वो दिन फिर लौट आए,
जब जीवन में थे सपने नए।
हर शाम को मिलकर बैठते,
दिल की बातें खुलकर कहते।
काश वो बचपन की यादें,
फिर से जिएं हम आज के बाद।
न चिंता थी, न कोई डर,
सिर्फ खुशियों का था बसर।
काश वो रास्ते जो छूट गए,
फिर से हम उन्हें पा जाएं।
दोस्तों संग बिताए पल,
फिर से संग-संग हम गाए।
काश वो मुस्कानें, वो बातें,
फिर से हमारे दिलों को बांधे।
हर हंसी में छुपी थी ख़ुशी,
हर आँसू में थी कोई कहानी।
काश वो सपने अधूरे ना रह जाते,
हर ख्वाब को हम पूरा कर पाते।
जीवन की हर कठिन राह,
मिलकर हम सभी पार कर जाते।
काश वो बीते हुए पल,
फिर से हमें मिल पाते।
हर खुशी, हर ग़म का साथी,
फिर से वही रिश्ते निभा पाते।
काश वो उम्मीदें और चाहतें,
हमारी हकीकत बन पातीं।
हर दिल की धड़कन में बसी,
वो यादें फिर से जी पाते।
काश ये जीवन इतना सरल होता,
हर मुश्किल को हम हंसकर सह लेते।
हर दिन, हर पल का आनंद लेते,
हर सपने को हम सच कर लेते।
दुनिया का मेला
बड़ा है दुनिया का रंगीन मेला,
हर कोई यहाँ अपने में अकेला।
राहें अनजानी, मंजिलें हैं दूर,
जीवन की राह में, चलते हैं मजबूर।
कुछ चेहरे हँसते, कुछ आँखें नम,
हर दिल में छुपे हैं, अपने ही ग़म।
कहीं पे है खुशियाँ, कहीं पर उदासी,
हर कोई ढूंढे, अपनी अपनी खुशी।
धरती, आकाश, सागर का मेल,
प्रकृति की गोद में, रंगों का खेल।
हर सुबह एक नई आशा लाए,
सपनों की उड़ान, हम सबको सिखाए।
मिल-जुलकर चलना है, हाथ थामे,
साथ ही बिताना, सुख-दुख के सारे क़िस्से।
यह जीवन की यात्रा, अनमोल है यारा,
सपनों की दुनिया में, सबको है जाना
जीवन की गाथा
जीवन की गाथा, बड़ी ही अनमोल,
हर पल में बसी, एक नई कहानी बोल।
दिन-रात का ये अद्भुत सफर,
हर क्षण में छुपी है, खुशियों की लहर।
बचपन की बातें, यौवन के सपने,
बुढ़ापे की यादें, सुनहरी पल भर।
हर दौर में बसी, अपनी ही मिठास,
जीवन का हर पल, प्रेम की आस।
राहों में कांटे भी, फूल भी हैं खिलते,
मुसाफिरों की तरह, हम सब हैं मिलते।
कभी ठोकरें, तो कभी मिलती मंजिल,
हर संघर्ष में छुपा है, सच्चा साहिल।
आसमान में उड़ते, परिंदों के जैसे,
खुले दिल से जिएं, हम सब अपने हिस्से।
रात के अंधेरों में, सितारे भी जगमगाएं,
हर दर्द में भी, उम्मीदें मुस्कुराएं।
क्योंकि ये दुनिया है, रंगों से भरी,
हर क्षण यहाँ, एक नई तस्वीर गढ़ी।
मुस्कान और आँसू, दोनों का मेल,
जीवन का ये सफर, है अनमोल खेल।
खामोशी
फिजाओं में घुली है, कुछ खामोशी की बातें,
हवा भी सुन रही है, अब इंसान की मुलाकातें।
धरती पे छाया है, एक अजीब सा सन्नाटा,
बोलते थे जो कल तक, अब वो भी हैं चुपचाप।
हर चेहरे पे दिखती है, एक अनजानी सी दास्तां,
दूरियां बढ़ गई हैं, पर हैं दिल के पास पास।
बदलते मौसमों ने, भी कुछ रंग बदले हैं,
आसमां भी सोचता है, ये क्या हुआ है आज।
लेकिन उम्मीद की किरने, अब भी चमकती हैं,
हर अंधेरी रात के बाद, सुबह जरूर आती है।
मेहनत की मिठास
पसीने की बूंदों में, छुपी एक कहानी,
मेहनत की मिठास है, जीवन की बानी।
रातों की नींद खोकर, सपनों की बुनाई,
दिन के उजाले में, मेहनत की परछाई।
हर कदम पर संघर्ष, हर पल एक जंग,
मेहनत की राह पर, थकान हो न तंग।
हौंसले की उड़ान में, हिम्मत का साथ,
मेहनत की मिठास है, सफलता का हाथ।
धरती की गोद में, बीज जब बोएं,
मेहनत की तपिश से, फसलें हंसें।
पसीने की बूँदें, बनें अमृत धारा,
मेहनत की मिठास से, जीवन संवारा।
किसान की मेहनत, कारीगर का हुनर,
मेहनत की मिठास में, बसी है असर।
रोज़ की मेहनत से, सपनों को पाना,
मेहनत की मिठास में, सुख का खजाना।
जीवन के हर मोड़ पर, मेहनत का साया,
मेहनत की मिठास से, सफल हुए पाया।
सपनों की मंजिल
मेरा देश
हमारा देश वो जहाँ, नदियाँ गीत गाती हैं,
हर पर्वत की चोटी से, आजादी की आवाज़ आती है।
भाषाओं का संगम है, हर रंग में रंगा है ये,
एकता का प्रतीक है, हर दिल में बसा है ये।
गाँधी, नेहरू, भगत सिंह की, ये धरा महान है,
इनकी कुर्बानी से ही, आज हमारा भारत शान है।
संस्कृति और संस्कार, यहाँ की पहचान हैं,
सदियों से हम वसुधैव कुटुंबकम के अरमान हैं।
खेतों में मेहनत करती, किसानों की टोली,
उनकी मेहनत से ही, हर दिन हमारी रोटी होती पूरी।
शहरों की रौनक, गाँवों का सुकून,
हमारे देश की विविधता में, है छिपा एक अनोखा जूनून।
चलो मिलकर संकल्प लें, इस तिरंगे की शान में,
हम अपने देश को, और भी महान बनाएं, हर काम में।
प्रेम का गीत
प्रेम का गीत, दिलों को छू जाए,
हर धड़कन में उसकी, मिठास समा जाए।
प्रेम की बातों में, जादू है बसा,
हर पल, हर क्षण, प्रेम का अहसास नया।
प्रेम की बूँदें, सावन की फुहार,
दिल को भिगोएं, बनें प्यार का आकार।
प्रेम का सूरज, हर सुबह को चमकाए,
रात की चाँदनी, प्रेम की राह दिखाए।
प्रेम की खुशबू, हर फूल में महके,
दिलों को जोड़े, हर बंधन से न खिसके।
प्रेम का बंधन, अनमोल और प्यारा,
हर दिल में बसता, प्रेम का सितारा।
प्रेम की राहें, कभी हों न जुदा,
हर कदम पर मिले, सच्चे दिलों का सदा।
प्रेम का दरिया, बहता रहे सदा,
हर दिल में बसे, प्रेम की धड़कन जिंदा।
प्रेम का गीत, यूं ही गुनगुनाते रहें,
हर दिल की धड़कन में, प्रेम को बसाते रहें।
प्रेम का संसार, सबसे सुंदर और नया,
हर दिल में बसता, प्रेम का जादू भरा
खिलौनों का संसार
खिलौनों का संसार, है बड़ा मजेदार,
हर बच्चे के दिल की, ये पहली पुकार।
गुड़िया की हँसी, और ट्रेन की धुन,
खिलौनों के संग, हर दिन माने जश्न।
खिलौनों की चमक, आँखों में बस जाए,
हर रंग-रूप में, ये दिल को भाए।
छोटी सी कार, और बड़ा सा जहाज,
खिलौनों के संग, हर खेल हो खास।
खिलौनों की दुनिया, सपनों से भरी,
हर कोने में है, खुशियों की लड़ी।
रोबोट की चाल, और गुड़िया का नाच,
हर बच्चा खो जाए, इनकी मस्ती में आज।
खिलौनों का मेला, रंगीन और प्यारा,
हर बच्चा कहे, “ये है मेरा सहारा।”
बिल्डिंग ब्लॉक्स से बने, ऊँचे-ऊँचे महल,
खिलौनों की दुनिया में, है जादू का पहल।
खिलौनों के साथी, सबको हँसाएं,
हर बच्चे के दिल में, खुशियाँ जगाएं।
खिलौनों का संसार, है अद्भुत और प्यारा,
हर बच्चे के जीवन में, सबसे न्यारा।
बचपन
बचपन की यादें, जैसे खिलौनों की बहार,
मासूमियत की दुनिया, रंग-बिरंगे सपनों का संसार।
सपनों की उड़ान में, न कोई ग़म की बात,
हर दिन एक नई कहानी, और हर सुहानी मीठी रात।
दौड़ते-भागते दिन, गली में खेल की धूम,
मिट्टी में लिपटी हंसी, और दोस्ती का हुजूम।
हर सुबह की किरण, लाती नई उमंग,
बचपन के उन दिनों में, बसी थी हर खुशी की तरंग।
जादू की कहानियाँ, और चाँद की रातें,
बचपन की मासूमियत में, बसी थीं अनगिनत बातें।
हर दिन एक नया सपना, हर पल कीमती था,
बचपन की उस दुनिया में, हर लम्हा सुनहरा और प्यारा था।
अब जीवन की राह में, बढ़ते उम्र के साथ,
बचपन की मासूमियत, रहती दिल में हज़ार बात।
यादों की किताब में, छुपा है वो सुनहरा दौर,
बचपन की प्यारी दुनिया, खो गया वो दौर।
कुर्सी की जंग
कुर्सी की जंग, हर रोज नई कहानी है,
हर दिल में छिपी, इसकी चाहत पुरानी है।
सत्ता की कुर्सी, एक सपना सुहाना,
इसके लिए सबको, बदलते देखा जमाना।
रिश्ते और दोस्ती, सब हो जाते हैं फीके,
कुर्सी की लालसा में, सब दिखते हैं जीते।
कुर्सी पाने की चाह, दिलों में है बसी,
इसके लिए कितने सपने, रोज टूटते हैं हसीं।
चुनाव का मौसम, लाता है नई बहार,
वादों की बारिश, और बातों का बाजार।
हर चेहरा मुस्कुराता, हर दिल में उम्मीद,
कुर्सी के खातिर, सब कुछ है अजीब।
कुर्सी पर बैठे, तो हर कोई झुके,
गिरते ही लोग, सब रिश्ते भूले।
सत्ता का नशा, सबको करता मदहोश,
कुर्सी की चाह में, हर कोई होता बेहोश।
पर याद रहे, कुर्सी एक दिन छूटेगी,
इसकी दौड़ में, जिंदगी कहीं रूठेगी।
कुर्सी का खेल, समझना है गहरा,
इसमें फंसकर, न हो जाना बहरा।
इंसानियत, सच्चाई, यही है असल जीत,
कुर्सी की चमक-दमक, बस है एक मीत।
कुर्सी की चाह में, न भूलना यह बात,
दिलों को जीतना, यही है सच्ची बात।
जिंदगी की राह
जिंदगी की राह, है एक अजीब सफर,
कभी हंसी, कभी आंसू, ये सबका मुकद्दर।
रास्ते में कांटे भी हैं, फूल भी खिलते हैं,
हर मोड़ पर, नए सपने भी मिलते हैं।
कभी धूप की चिलचिलाती धारा,
कभी छांव की ठंडी फुहार,
इस सफर में सबका मिलता है साथ, हर बार।
मुश्किलें आती हैं, हौसला आजमाती हैं,
पर हिम्मत वाले, मंजिलें खुद पाते हैं।
रात की तन्हाई में, कई ख्वाब जगते हैं,
सुबह की रोशनी में, वही ख्वाब हकीकत बनते हैं।
कभी अकेलेपन का एहसास, कभी भीड़ का शोर,
जिंदगी की राह में, सब कुछ है बेशुमार, बेशोर।
हर गम के बाद, खुशी भी आएगी,
सफर की ठोकरें, मंजिल की राह दिखाएगी।
दोस्ती का साथ, मोहब्बत का एहसास,
जिंदगी की राह में, ये ही हैं सबसे खास।
अपनी मंजिल को पाना, कभी मत भूलना,
रास्ते की रुकावटों को, हंसकर झेलना।
क्योंकि जिंदगी की राह, एक खूबसूरत गीत है,
हर लम्हा, हर मोड़, एक अनमोल प्रीत है।
दोस्ती
दोस्ती है सच्चा धन, दिल को जो छू जाए,
संग-साथ की मीठी बातें, हर दर्द को भुला जाए।
सच्चे दोस्त का साथ, हर खुशी को दोगुना करे,
संग मिलकर हर ग़म, आसान सा लगे।
सच्ची दोस्ती हो तो, हर मुश्किल आसान हो,
दूर रहकर भी दिल से, जुड़े ही पहचान हो।
हर समय साथ निभाए, सच्चा मित्र सच्चा साथी,
सुख-दुख के हर पल में, होता है सच्चा साथी।
दोस्ती की राह पर, हर बंधन टूट जाए,
दिल से दिल मिल जाए, सच्चा संग साथी।
दोस्ती का रंग न छेड़े, सच्चाई से सजता है,
हर दिल की गहराई में, सच्चा मीत समाता है।
पैसा
पैसा है अद्भुत चीज़, हर कोई इसके पीछे,
सपनों की गाड़ी दौड़े, इसके ही नीचे।
दुनिया की हर खुशी, इससे ही मिलती है,
इसके बिना हर चीज़, अधूरी सी लगती है।
पैसा जो हो पास में, तो जग अपना लगता,
इसके बिना हर रिश्ता, बस सपना सा लगता।
महलों में भी देखो, पैसा ही राज करता,
झोपड़ी में भी आखिर, इसकी ही बात चलता।
कभी ये दोस्त बन जाए, कभी दुश्मन बन जाए,
सही राह पर चले तो, हर मंजिल मिल जाए।
पैसे का खेल निराला, सबको इसमें उलझाए,
बिन इसके जीवन जैसे, सूखी धरा पर छाए।
इसकी चमक निराली, अंधेरे में भी दिखाए,
पैसा है तो सब कुछ, ये दुनिया हमसे कहाए।
पैसा भी क्या अजीब चीज़, हर किसी को भाए,
जीवन की हर खुशी, इसके इर्द-गिर्द घूम जाए।
आइना
आइने का क्या कहना है,
हर राज़ इसमें छिपा हुआ गहना है।
हर झुर्रियों को ये पढ़ लेता,
हर मुस्कान को भी समझ लेता।
इसे देख लो सुबह-सवेरे,
हर दिन का ये पहला बसेरा है।
जब उदास हो, इसे देखो,
इसमें छिपा एक दोस्त मिलेगा।
खुशियों में झूमता चेहरा,
आइने में चमकता है बेफिक्र लहर सा।
आइने के आगे झूठ नहीं चलता,
सच का रंग इसमें ही खिलता।
कभी खुद से बातें करो,
आइने को साथी मान कर चलो।
हर चेहरे में एक कहानी है,
आइना ही उसका सच्चा बयानी है।
आइना भी क्या अजीब चीज़ है,
हर चेहरा इसमें सजीव है।
प्रेम का गीत
प्रेम का गीत, दिलों को छू जाए,
हर धड़कन में उसकी, मिठास समा जाए।
प्रेम की बातों में, जादू है बसा,
हर पल, हर क्षण, प्रेम का अहसास नया।
प्रेम की बूँदें, सावन की फुहार,
दिल को भिगोएं, बनें प्यार का आकार।
प्रेम का सूरज, हर सुबह को चमकाए,
रात की चाँदनी, प्रेम की राह दिखाए।
प्रेम की खुशबू, हर फूल में महके,
दिलों को जोड़े, हर बंधन से न खिसके।
प्रेम का बंधन, अनमोल और प्यारा,
हर दिल में बसता, प्रेम का सितारा।
प्रेम की राहें, कभी हों न जुदा,
हर कदम पर मिले, सच्चे दिलों का सदा।
प्रेम का दरिया, बहता रहे सदा,
हर दिल में बसे, प्रेम की धड़कन जिंदा।
प्रेम का गीत, यूं ही गुनगुनाते रहें,
हर दिल की धड़कन में, प्रेम को बसाते रहें।
प्रेम का संसार, सबसे सुंदर और नया,
हर दिल में बसता, प्रेम का जादू भरा।
खिलौनों का संसार
खिलौनों का संसार, है बड़ा मजेदार,
हर बच्चे के दिल की, ये पहली पुकार।
गुड़िया की हँसी, और ट्रेन की धुन,
खिलौनों के संग, हर दिन माने जश्न।
खिलौनों की चमक, आँखों में बस जाए,
हर रंग-रूप में, ये दिल को भाए।
छोटी सी कार, और बड़ा सा जहाज,
खिलौनों के संग, हर खेल हो खास।
खिलौनों की दुनिया, सपनों से भरी,
हर कोने में है, खुशियों की लड़ी।
रोबोट की चाल, और गुड़िया का नाच,
हर बच्चा खो जाए, इनकी मस्ती में आज।
खिलौनों का मेला, रंगीन और प्यारा,
हर बच्चा कहे, “ये है मेरा सहारा।”
बिल्डिंग ब्लॉक्स से बने, ऊँचे-ऊँचे महल,
खिलौनों की दुनिया में, है जादू का पहल।
खिलौनों के साथी, सबको हँसाएं,
हर बच्चे के दिल में, खुशियाँ जगाएं।
खिलौनों का संसार, है अद्भुत और प्यारा,
हर बच्चे के जीवन में, सबसे न्यारा।
बचपन
बचपन की यादें, जैसे खिलौनों की बहार,
मासूमियत की दुनिया, रंग-बिरंगे सपनों का संसार।
सपनों की उड़ान में, न कोई ग़म की बात,
हर दिन एक नई कहानी, और हर सुहानी मीठी रात।
दौड़ते-भागते दिन, गली में खेल की धूम,
मिट्टी में लिपटी हंसी, और दोस्ती का हुजूम।
हर सुबह की किरण, लाती नई उमंग,
बचपन के उन दिनों में, बसी थी हर खुशी की तरंग।
जादू की कहानियाँ, और चाँद की रातें,
बचपन की मासूमियत में, बसी थीं अनगिनत बातें।
हर दिन एक नया सपना, हर पल कीमती था,
बचपन की उस दुनिया में, हर लम्हा सुनहरा और प्यारा था।
अब जीवन की राह में, बढ़ते उम्र के साथ,
बचपन की मासूमियत, रहती दिल में हज़ार बात।
यादों की किताब में, छुपा है वो सुनहरा दौर,
बचपन की प्यारी दुनिया, खो गया वो दौर।
कवि, लेखक और गणित शिक्षक: मुकेश बिस्सा
जैसलमेर ( राजस्थान )
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