Kavita Aatma Boli
Kavita Aatma Boli

आत्मा बोली पिया कर दो विदा

( Aatma boli piya kar do vida )

 

तुम्हारी कहानी कर रहा बया आई नही मुझे दया,
कह रही थी अलविदा कर दे पिया मुझको विदा।
इतने ही दिन का साथ है यह हमारा ‌और तुम्हारा,
बोल रही थी तेरी आत्मा जो हो रही मुझसे जुदा।।

बेटी-बहु माॅं-सास बनकर बन गई थी मैं दादी-माॅं,
फिर भी मेरी वही दौड़-भाग खाना एवं पानी ला।
कहां है फाईल कहां जूता कहां रखा वो पर्स मेरा,
बच्चें भी चिल्लातें रहते टिफिन पानी-बोतल ला।।

मेरा न आया कोई रविवार न आया कोई त्यौहार,
लेने आ गया है मुझको अब यमराज अपनें द्वार।
बोल रही है आज आत्मा हमारी चिल्ला चिल्लार,
जा रही हूं आज छोड़कर यें संसार और घर बार।।

सबका ध्यान रखा है मेंने दिया न स्वयं पर ध्यान,
किसी पर गुस्सा नहीं करना अब करना सम्मान।
चुपचाप सब की सुन लेना मुॅंह पर रखना लगाम
चश्मा छड़ी साथ रखना चाहें सह लेना अपमान।।

पानी का जग रखना है भरकर अपनें बिस्तर पर,
पी लेना और ले लेना दवाईयां अपनी समय पर।
आपको मेरी कमी अखरेगी मेरे यहां से जानें पर,
जो मिले वह खा लेना हुकूम ना चलाना बहू पर।।

पास के ग्रामीण बैंक में है एक खाता मेरे नाम से,
एक-एक पैसा बचाया यही बात छुपायी आपसे।
लगभग बीस लाख हो गये है ले लेना ज़रुरत पर,
पाॅंच-पाॅंच लाख कर देना बेटे-बेटियों के नाम से।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here