Munshi Prem chandra
Munshi Prem chandra

उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द

( Upanyas Samrat Munshi Premchand ) 

 

महान-साहित्यकारों में आज उनको गिना जाता,
क़लम का जादूगर सम्पूर्ण विश्व जिनको कहता।
प्रसिद्ध लेखक, उपन्यास सम्राट भी कहा जाता,
संवेदनशील रचनाकार कोई कहानीकार कहता।।

जिनका वास्तविक बचपन-नाम था धनपत राय,
उर्दू में जो कभी-कभी लिखते थें यह नवाबराय।
बाद में अपना-नाम हिंदी में प्रेमचंद लिखनें लगें,
इनकी माॅं आनंदी देवी पिता मुंशी अजायबराय।।

कई कहानियाॅं कथाऍं आपके भरे पड़े उपन्यास,
इस लेखनी से रचा है आपनें धीरे-धीरे इतिहास।
आज़ाद अहंकार वरदान लिखें गबन एवं संग्राम,
कर्मभूमि, रणभूमि में आपका मर्मस्पर्शी प्रयास।।

आज स्कूल-काॅलेज किताबों में आपके अध्याय,
गोदान पंच-परमेश्वर नमक का दरोगा पर न्याय।
दो-बैलों की कथा से पूरी दुनियाॅं को है समझाई,
गाॅंव वालें की फाकाकशी सबको ‌दिऍं समझाय।।

३१ जुलाई १८८० को जन्में थें लमही उत्तरप्रदेश,
दर्द लिखा है हर व्यक्ति का पहुॅंचाया देश विदेश।
ईदगाह की लिखें कहानी सचमुच वालें यह लेख,
हिंदू मुस्लिम को समझाऍं लेखन कर वों स्वदेश।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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