मेरा हिंदी को लेकर अनुभव
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है और इस भाषा का सम्मान करना हम सबकी जिम्मेदारी है पहले हम इंग्लिश में ही टाइपिंग किया करते थे तो कोरल इंग्लिश बड़ी अजीब लगती थी परंतु जब से हमने हिंदी में टाइप करना शुरू किया है सभी जगह सराहना मिलती है कि आपकी हिंदी बहुत अच्छी है ।
इसीलिए हिंदी को सिर्फ एक दिवस के रूप में ना मनाते हुए हम सभी को हिंदी को अपने जीवन अपनी बोलचाल व्यवहार में लाने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि जिस व्यक्ति की हिंदी बहुत अच्छी होती है उसकी पकड़ अन्य भाषाओं पर भी स्वत ही हो जाती है।
परंतु आज यह माहौल है कि हम और हमारे बच्चों से हम हिंदी में बात करने की जगह इंग्लिश में ही बात करना पसंद करते हैं यदि देखा जाए तो जो शुद्ध हिंदी है वह अंग्रेजी से कई ज्यादा सुंदर बस सुसज्जित है इसीलिए हम बात करते समय हिंदी के वाक्यांश मैं अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग कर हिंग्लिश बोलते है जो कि आजकल नया तरीका बनता जा रहा है उच्चारण का।
इस तरह के उच्चारण से हमारी पीढ़ी को एक बहुत ही क्षति पहुंची है जो शायद वह समझने में असमर्थ है अभी । अपनी नव युवा पीढ़ी को हमें समझाना चाहिए की बात या तो पूरी तरह हिंदी में बात करें,या इंग्लिश के छोटे छोटे वाक्यांश में इसी प्रकार हमारी बच्चों की बोलने वाली सभी भाषाओं पर पकड़ भी अच्छी होगी ।
और वह जब भी किसी भी भाषा में बात करेंगे तो सही उच्चारण होने से उन्हें शर्म महसूस नहीं होगी और उनका मनोबल बढ़ेगा इसीलिए हमें कोशिश करना चाहिए अपने बच्चों को मानसिक रूप से भाषा के प्रति सजग करना।
हिंदी दिवस की महत्वता सिर्फ 1 दिन की ही नहीं होनी चाहिए यह मातृत्व है और हिंदी भाषा हमारी माता के समान है इसीलिए हिंदी में बात करने और बोलने में हमें संकोच नहीं करना चाहिए । अन्य भाषा के ना आने से कोई फर्क नही पड़ता। परंतु मातृ भाषा सही से बोलचाल मैं आनी चाहिए।हमें अपनी हिंदी भाषा बोलने एवम् लिखने में शर्म नहीं करना चाहिए।
आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
ग्वालियर – मध्य प्रदेश
dubeyashi467@gmail.com