जीस्त में वो फ़िज़ा रब यहां दें मुझे
( Jeest mein woh fiza rab yahan de mujhe )
जीस्त में वो फ़िज़ा रब यहां दें मुझे
प्यार की उम्रभर वो रवां दें मुझे
जीस्त के ख़्वाब वो पूरे कर दें सभी
और ए रब नहीं इम्तिहां दें मुझे
रख सलामत शाखें प्यार की रब सदा
प्यार की जीस्त में मत ख़िज़ां दें मुझे
रब मुहब्बत जिसकी कम नहीं हो कभी
जीस्त में दिल का ऐसा जहां दें मुझे
जीस्त भर रब नहीं फ़ासिला जो करे
हम सफ़र कोई ऐसा यहां दें मुझे
नफ़रतों की नहीं वार बू कर सके
प्यार से रब भरा वो मकां दें मुझे
वो लगा आज़म दामन में काटें भरने
प्यार का फ़ूल वो ही कहां दें मुझे