नव वर्ष का आगमन
नव वर्ष का आगमन
नव वर्ष का आगमन, बीते का अवसान।
इस मिश्रित बेला में, देता हूँ यह पैगाम।।
हुआ साल पुराना, वर्ष नया आएगा।
बीते दिनों का, लेखा-जोखा पाएगा।।
हर्ष-उल्लास के, अक्सर कई पल पाए।
एक नहीं अनेक, दुखद प्रसंग भी आए।।
जाने-अनजाने, अवसर भी रहे होते।
कुछ को पाया हमने, बाकी रहे खोते।।
रख विषाद साल पूरे, हुई उखाड़- पछाड़।
बांया खर्चे दांया क्या पाए, किया जुगाड़।।
“अकेला” हर सुबह, आस रख कर जागेगा।
क्या खोया था कल,यह भी तो सोचेगा।।
कवि : आनंद जैन “अकेला”, कटनी
राष्ट्रीय महामंत्री
समरस साहित्य सृजन भारत
अहमदाबाद
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