नवरात्रि पर्व ( चैत्र ) चतुर्थ दिवस
नवरात्रि पर्व ( चैत्र ) चतुर्थ दिवस
भुवाल माता को नमन हमारा ।
भुवाल माता का स्मरण हमको
निरन्तर अंतर्दृष्टि की और
प्रेरित करता रहता हैं कि
कुछ भीतर भी हैं ।
शायद बाहर कम हैं और
भीतर अधिक का बोध देता रहता हैं ।
बाहर की दृष्टि पदार्थ के चक्रव्यूह
में फंसाते हुए अंतर्ज्ञान कोरी
कल्पना का बोध कराते हुए
अतृप्ति पैदा करती रहती हैं ।
अंतर्दृष्टि पदार्थ और चेतना
दोनों में समन्वय सूत्र खोजने
वास्तविक अंतर्ज्ञान का बोध
कराती रहती हैं और सच्चा
सुख तृप्ति की और अभिमुख
होता रहता हैं ।वह अन्नत
व्यापक शक्ति का बोध होता रहता हैं ।
भुवाल माता को नमन हमारा ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)
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