Pran Pratishtha Ram Lala ki

प्राण प्रतिष्ठा रामलला की

( Pran Pratishtha Ram Lala ki )

 

चहुंओर खुशियों के बादल, अवधपुरी हरसाई है।
आ रहे हैं रघुनंदन प्यारे, अब हर्ष घटाएं छाई है।

प्राण प्रतिष्ठा रामलला की, दिव्य अलौकिक राम की।
मर्यादा पुरुषोत्तम प्यारे, लक्ष्मण संग माता जानकी।

उमड़ पड़ी है जन धारा, राम राम श्री राम का नारा।
सजी धजी अयोध्या सारी, सजे नगर देश हमारा।

कीर्तन पूजन राम नाम का, लहर चली है घर घर में।
राम नाम मतवाले झूमे, एक ही नारा दुनिया भर में।

प्राण प्रतिष्ठा श्री राम जी, अधर मधुर मुस्काए हैं।
मंदिर मंदिर गूंज राम की, रामलला फिर आए हैं।

जगमग दीप जले द्वारे, नगर नगर हुई शोभा भारी।
दीवाली सी आभा दमके, चमक रही अयोध्या सारी।

घट-घट श्रद्धा जाग गई, आस्था बढ़ी ले रामनाम।
धर्म ध्वजा नभ लहराई, सत्य सनातन शुभ काम।

राममय हुआ राष्ट्र सारा, गूंजे राम राम जय श्रीराम।
हर हर महादेव का नारा, आए राम अवध के धाम।

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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