नवरात्रि पर्व ( चैत्र ) षष्ठ दिवस
नवरात्रि पर्व ( चैत्र ) षष्ठ दिवस
भुवाल माता का नाम स्मरण कर ले
बिरामी – बिरामी की पावन धरा
का अदभुत इतिहास हैं
चिन्मय विश्वास हैं
नभ से निरुपम
रवि यान उतरा
गूँज रही हैं चपे – चपे पर
कल्याणी भुवाल – माता ।
आपण अक्षत सहनाणी दिल की
तम में अभिनव आलोक बिखरा
सदैव जागते रहने से
सदा सफलताएं चलती
जागृति के आगे – आगे
जीवन नैया में पाया
रत्नगर्भा धरा हैं उर्वरा
आवश्यक व्यवहार
कुशलता सत्य
सहज मंडित होता
दृष्टिकोण रचनात्मक उससे
सृजन – शक्ति अवदान मिलता
भुवाल माता की भक्ति
मन में अलख जगाती ।
भुवाल माता का नाम स्मरण कर ले

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)
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