नवरात्र
नवरात्र
(नवरात्र पर विशेष )
भूलो मत अपना नाता ।
माता-पिता जिसे भुला दे बालक जग में चैन कहां पाता।।
ममतामयी तुम करूणामयी तुम प्रेम तुम्हारा विख्याता।
कपूत को भी गले लगाती शरण तुम्हारी जो आता ।।
रक्तबीज हो या महिषासुर सामने तेरे जो जाता।
महाकाली के तेज के आगे कोई ठहर नहीं पाता।।
फैली है महामारी जग में रण में कूद पङो माता।
तुम ने ही उद्धार किया है जब-जब जग संकट छाता।।
फैला दो ममता का आंचल मन बहुत ही घबराता।
चाहूं आशीर्वाद तुम्हारा “कुमार” सदा तव शीश नवाता।।
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कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)
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