जय मां दुर्गा भवानी | Navratri poem in Hindi
जय मां दुर्गा भवानी
( Jai Maa Durga Bhavani )
हे खडग खप्पर धारिणी
हे रक्तबीज संहारिणी
करो कृपा हे मात भवानी
सर्व दुख निवारिणी
सिंह आरूढ़ होकर आओ
माता मुश्किल हल कर जाओ
छाया है घनघोर अंधेरा
जीवन में उजियारा लाओ
हे मां शक्ति स्वरूपा
मंगलकारिणी सिद्धि अनूपा
जग जननी मां कल्याणी
आदिशक्ति मात भवानी
यश वैभव कीर्ति दाता
कारज मंगल भाग्यविधाता
अन्नपूर्णा सब सुख दाता
सादर वंदन शीश नवाता
अखंड ज्योत मां सुख सागर
ज्वाला दर्शन कर मोद मनाता
खड़ा भक्त द्वार पर तेरे
भर दो झोली उरआनंद पाता
सजा है दरबार भवानी
कर जोड़े खड़े सुर ज्ञानी
शब्द सुरों की माला लेकर
हाजिर है दरबार भवानी
खुशियां अपार कर दो
जीवन में बाहर कर दो
अपनी कृपा बरसा कर
बेड़ा मेरा पार कर दो
खोलो तकदीर का ताला
बना दो मां किस्मत वाला
आधीन आपके सृष्टि सारी
जय मां जगदंबा ज्वाला
तू ही मैया खेल रचाती
सारी दुनिया तुम्हे मनाती
आराधक सेवा में तेरे
पूरी मन इच्छा हो जाती
भरती सबका भंडार माता
मनोकामना शुभ फल दाता
विमल भाव उर में भरती
सारे संकट दूर करती
भक्तों पर कृपा कर देती है
माता झोली भर देती है
सच्चे मन से जो मनाता
जीवन सफल कर देती है
रमाकांत चरणों में तेरे
मार्ग सारे खोलो मेरे
साधक शरण आपकी माता
कष्ट कभी ना मुझको घेरे
जय जगदंबे जय मां काली
विपदा सबकी हरने वाली
तुम से छुपा ना कोई राज माता
करो सफल हर काज माता
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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