नया है साल ये बेशक मगर बातें पुरानी है
नया है साल ये बेशक मगर बातें पुरानी है
नया है साल ये बेशक मगर बातें पुरानी है।
न पूछो हाल तुम अपना नहीं यादें सुहानी है।।
हुए जब कैद घर अपने कटे सारे ज़माने से।
नहींआज़ाद है अब तक यही जग की कहानी है।।
कहां मिलना किसी से था हुई बस फोन पे बातें।
रहे जब दूर आपस में वो सब बातें भुलानी है।।
कहर देखा करोना का यहां संसार में ऐसा।
पराये हो गए अपने ये कैसी जिंदगानी है।।
उभर पाये नहीं थे हम महामारी नई आयी।
नहीं भूलेंगे जीवन में मिली ऐसी निशानी है ।।
रहम थोडा करो अब तो “कुमार”अपने बंदों पे।
खुदा हीआसरा अपना उसी ने जां बचानी है।।
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