क्षितिज पार नया उजाला | Naya Ujala Poem in Hindi
क्षितिज पार नया उजाला
( Kshitij par naya ujala )
हौसला भर चलो यारों, पड़े मुश्किलों से पाला है।
खिड़की खोल देखो, क्षितिज पार नया उजाला है।
क्षितिज पार नया उजाला है
रोशन जिंदगी कर लो, प्रेम की सरिता बहती है।
सारे तीर्थों की गंगा, मां के श्रीचरणों में रहती है।
भर लो झोली ले आशीष, मिट जाए दीवाला है।
मन की खोल आंखें, क्षितिज पार नया उजाला है।
क्षितिज पार नया उजाला है
ठंडी छांव का वटवृक्ष, शीतल छाया देता जो।
राहत का ठिकाना है, सहता आंधी तूफा को।
देकर संस्कार हमको, जीवन में भरता उजाला है।
पिता दीप ज्ञान का, दुनिया का, सब सार पाला है।
छितिज पार नया उजाला है
बहारों में हवाओं में, कुदरती खिली फिजाओं में।
बसंती मस्त पवन बयार, गुलशन महके गांव में।
सागर सरिताएं कहती, त्याग का गुण मतवाला है।
तरुवर त्याग पत्तों को, झूमता होकर हरियाला है।
क्षितिज पार नया उजाला है
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )