
नीली छतरी वाला
( Neeli chatri wala )
नीली छतरी वाला बैठा,
अपनी डोर हिलाता।
कभी हिलोरे लेती नदिया,
हिमखंड बहाता।
गर्म हवा जोरों से चलती,
आंधी तूफान चलाता।
गड़ गड़ करते मेघ गरजते,
सावन में बरसाता।
मधुमास प्यारा लगे,
सबके मन को भाता।
जगतपति रक्षा करो
हे नाथ जीवनदाता
पीर हरो सुदर्शन धारी
मोहन माधव हे गिरधारी
विपदा आन पड़ी है भारी
थामो अपनी लीला न्यारी
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )