नियम | Niyam
नियम
( Niyam )
कौन है संसार में जो नियम में बंधना चाहता है
हर कोई तो नियम से परे निकलना चाहता है।
प्रेम के नियम में बंध कर बहता चला गया जो
सिमट कर भी वह तो बिखर जाना चाहता है।
सीमाओं से परे की ज़मीन आकर्षित है करती
बंधनों से परे जा जहाँ इंसान विचरना चाहता है।
संज्ञान है उसे ज्ञान कहाँ तक साथ दे पायेगा
कभी तर्क वितर्क से बाहर खोजना चाहता है।
झूठी दलीलों में फंसी रही रिवायतें हज़ारों देखी
सच जो बसा हृदय में एक बार देखना चाहता है।
धुंध ही धुंध कितनी बढ़ती जा रही है आसमां में
छंटे भोर संग स्वयं का अस्तित्व ढूढ़ना चाहता है।
शैली भागवत ‘आस’
शिक्षाविद, कवयित्री एवं लेखिका
( इंदौर )