Diwali Hindi Shayari

दीप जले

( Deep Jale ) 

 

बरसों की रस्म पुरानी दीप जले है
आयी वो रात सुहानी दीप जले है

ख़ुशियों की है आज बहारें हर घर में
महकी रात कि ही रानी दीप जले है

चैधा वर्ष बाद लौटे है राम अयोध्या
उत्सव की एक निशानी दीप जले है

बचपन के दिन भी कितने अच्छे होते
लायी कपड़े नये नानी दीप जले है

होगी आज यहाँ तो लक्ष्मी की पूजा
ख़ुशियों की रात सुहानी दीप जले है

भूल नहीं पाएंगे सदियों तक कोई
होठों पर एक कहानी दीप जले है

अंत बुराई का होता है कहे गीता
उल्फ़त की बात बढ़ानी दीप जले है

 

गीता शर्मा 

( हिमाचल प्रदेश )

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