ऑफर्स ( फिल्म स्क्रिप्ट )

ऑफर्स ( फिल्म स्क्रिप्ट )

ऑफर्स ( फिल्म स्क्रिप्ट )

एक पुलिस स्टेशन , दबंग, ईमानदार हेड कॉन्सटेबल थे | मि.रॉय, मुजरिमों को पीटता हुआ, खानदानी रहीस, सुन्दर बीबी | शादी को 14 वर्ष हुए,पर कोई औलाद नहीं थी |

…..वहीं दूसरे शहर में , दूसरी ओर डॉ.टंडन का लाइसेंस निरस्त किया गया, क्योकि सिविल ड्रेश मे आए ऑफिसर ने ऑफर की नकली दबाइयां पकड़ी, जो एक साजिश थी |

अब वो प्राईबेट जॉब कर गुजारा करते | उनकी बीबी प्रेगनेंट थी, कुछ ही दिन मे होस्पिटल ,” ऑफर होस्पिटल” मे प्रवेश करते टनडन जी, डॉक्टर का काम शुरू, अब इंतजार…तभी हसी-मजाक खुशखबरी मिली, की बधाई हो , ऑफर मिला हैं, एक के साथ एक फ्री (जुडबा) |

सब खुश हुए | भरण-पोषण होने लगा | राज और तिलक नाम रखे | दोनो बड़े होने लगे | दो साल के हुए,तभी टैंटू के (एक के साथ एक फ्री ) ऑफर के चलते राज को तिलक(?), और तिलक को मुकुट (?) का निशाना पीठ पर बनवा खुश हुए |

एक दिन टंडन की बीबी, परिवार सहित साडी ऑफर के चलते साडी पसंद कर रही थी , वहीं रॉय की बीबी निकली, तभी गाडी के आगे राज आया, बचाते हुए तुरंत गाडी से निकली, उठाते हुए आवाज लगाई | कोई नहीं आया, तो वह अपने साथ ले गई |

अब टंडन परिवार लगे ढूंडने ,पर कुछ पता नही चला | पुलिस खोज-बीन ,पेपर , पर कुछ पता नहीं चला | समय के साथ-साथ दोनो बड़े होने लगे |

राज रहीसी के करण, अपने लुच्चे दोस्तों के साथ बड़े-बड़े ऑफर लेने लगा | मार-पीट ,ठगी,छेड -छाड करता ,माँ पैसे और ममता के कारण पर्दा डालती रहती |

..इधर..तिलक मिडिल फैमली से था,वह अपनी सूझ -बूझ से बड़ा हो रहा था | पढाई मे अब्बल , गुणवान था | उसकी माँ आज भी ऑफर के चक्कर मे रहती |

..इधर..मि.रॉय का ट्रांसफर तिलक के शहर मे हो गया | साथ ही राज और तिलक का कॉलेज मे दाखला हुआ | दोनो के दोस्त दोनो की हरकतों के हिसाब से बढ़े (अच्छे-बुरे) दोस्त |

राज, तिलक को आए दिन परेशान करता | एक दिन राज के दोस्तों का ऑफर कबूल कर अपनी मंहगी गाडी जलाने के बदले , एक लड़की से मौज-मस्ती, राज ने बिना कुछ सोचे गाडी जला दी ,घर मे पता चलने पर राज की माँ ने एक थप्पड जड दिया , वह घर से भाग गया |

…पैसे खत्म होने पर वापस आ कर माँ ने पैसे देने कम कर दिया , तो राज जेब खर्च के लिए, उन्ही कम पैसों से थोडे -थोडे नशीले पदार्थ (ड्रग्स) ले कर बेचना शुरू किया |

..इधर टंड़न साहब तिलक का भोलापन देख परेशान थे, कि क्या होगा | तिलक पर एक लड़की (साधना ) फिदा थी, पर राज साधना पर डोरे डालता , और परेशान करता रहता |

एक दिन साधना ने राज को कहा , अगर वह अपनी माँ को मार देता है , तो वह राज से प्यार करेगी |यह सुन राज तुरंत घर की ओर चला ,यह देख तिलक भी भागा |

..उधर..राज घर जा कर माँ पर पिस्तौल तानी,की तभी तिलक ने लाफा मर,पिस्तौल अपने हांथ ले ली | पीछे से ताली बाजाते हुए साधना बोली, मेरे लिए माँ को मारने खडा हुआ, कल मुझे भी मार दोगे|

राज नारज हो चला गया, माँ से परचित हुई, आते हुए नौकर ने बताया की राज सगा बेटा नहीं है |अब राज का खर्चा टोटल बंद, शुरू किया |..इधर टंड़न साहब तिलक का भोलापन देख परेशान थे, कि क्या होगा |

तिलक पर एक लड़की (साधना ) फिदा थी, पर राज साधना पर डोरे डालता ,और परेशान करता रहता | एक दिन साधना ने राज को कहा , अगर वह अपनी माँ को मार देता है , तो वह राज से प्यार करेगी | यह सुन राज तुरंत घर की ओर चला ,यह देख तिलक और साधना भी भागे |

..उधर..राज घर जा कर माँ पर पिस्तौल तानी,की तभी तिलक ने लाफा मर,पिस्तौल अपने हांथ ले ली | पीछे से ताली बाजाते हुए साधना बोली, मेरे लिए माँ को मारने खडा हुआ, कल मुझे भी मार दोगे|

राज नारज हो चला गया, माँ से परचित हुई, आते हुए नौकर ने बताया की राज सगा बेटा नहीं है |अब राज का खर्चा टोटल बंद, राज को बौखलाया देख उसके लुच्चे दोस्त ने ड्रग्श उधार देने का ऑफर दिया, राज ले कर कर्जदार हो गया, और खुद भी नशेड़ी हो गया |

एक दिन राज नशे के दौरान कॉलेज से निकाला गया ,मौका देख लुच्चे दोस्त ने पैसे मांगे, न देने पर मर-पीट कर, पुलिस को खबर कर जेल भिजवाया | पिता महज छोटी पोस्ट के कारण कुछ न कर सके |

राज की सच्चाई जान,तिलक और साधना राज से मिलने जेल गए,और सच्चाई बताई ,राज ने खुद को कोसा |अगले दिन कोर्ट ले जाते हुए राज रास्ते से फारार हो गया ,पर एक गोली पीठ पर लगी |

रात को तिलक के घर जाते हुए, लुच्चे दोस्तों ने उधारी के लिए पीछा किया, तो जल्दबाजी मे राज साधना के घर जा घुसा , घरवाले साधना से पूँछ-ताछ की |

साधना ने तिलक को बुलाया ,घर जाने को कहाँ,तो राज बोला क्या मुंह लेकर जाऊँ |तिलक ने राज की पीठ पर गोली देखी,तिलक (?) टैंटू भी देखा, और तुरंत बचपन की तस्वीर नजर आई | तिलक बिना कुछ कहे राज को ले अपने घर ले चला |

..उधर..राज की माँ , को गुण्डे धमका कर जान से मारने की धमकी दी , परेशान कर चले गये , माँ रो पड़ी , की क्या सोचा, क्या निकला |..इधर..तिलक का घर, डॉ.टंडन, राज को देखते ही , ये तो तुम्हे परेशान करता था, आज तुम्हारे साथ ?

तिलक ने अंदर जा कर, सच्चाई बता कर, गोली निकालने को कहा | गोली निकालते हुए डॉ.टंड़न ने टैंटू (?) देख खुशी से छलक कर बताते हुए गले लगा लिया, सब खुश थे |

..उधर..रोती- बिलखती, भूँखी-प्यासी राज की माँ को पुलिस पिता समझाते हुए, कि अचानक एक आवाज ,,,माँ …माँ -बाप पलटे , तो राज पैर पकड कर माफी मांग रहा था, माँ ने गले लगाया सब रो पड़े |

तभी सामने टंडन परिवार सामने था, पूँछने पर राज ने सबका परिचय बताया, सुन कर रॉय परिवार को सदमा लगा | राज ने समझाया , और पूँछा, तो बताया की कहाँ से, कैसे मिला था |

एक -दूसरे को धन्यबाद दे आपसी सम्बंध मजबूत किए | तभी गुंडे आ कर सभी को ले गए, साधना ने देख कर पुलिस को फोन किया|

..उधर..दोनो परिवार को गुंडे बंद्धी बनाए,राज और तिलक से फाईट हो रही, तभी साधना ,पुलिस के साथ पहुँच कर ,गुंडों को पुलिस के हबाले कर ,सब को बचाया |

राज भी गुनेहगार था, पुलिस ने राज को भी पकडा, जाते टाइम राज ने साधना का हांथ तिलक को थमा, माफी मांगी | पुलिस पिता ने राज को सुधरा देख सजा कम करने को कह ,पुलिस गाडी मे बैठाया…सब खुशी के आंसुओं के साथ खुश ,और …….
¥¥ हैप्पी एँडिंग ¥¥ ……..!!!!!

 

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फिल्म —- ऑफर्स (offers)
लेखक—- सुदीश कुमार सोनी
गीत लेखक — सुदीश कुमार सोनी
सदस्य संख्या — 25830(fwa- mumbai)

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लेखक:  सुदीश भारतवासी

Email: sudeesh.soni@gmail.com

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