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मुहब्बत बस हमारे गांव में | Ghazal
मुहब्बत बस हमारे गांव में ( Muhabbat bas hamare gaon mein ) बारिशों के है इशारे गांव में देखो टूटे है किनारे गांव में वरना देखी है नगर में नफ़रतें है मुहब्बत बस हमारे गांव में जो किसी भी शहर होते नहीं वो हसीं देखें नजारे गांव में देखने को…
कवि साहित्यिक सफर | Kavi ki sahityik safar par kavita
कवि साहित्यिक सफर ( Kavi sahityik safar ) दिनकर जी की रचना ने भरा दिव्य आलोक। मुझको कवि बना दिया बाल्यकाल का शौक। सुधी डॉ के डी यादव सुन हुये प्रफुल्लित भारी। लेखन में फिर कलम चली सीखी विधाएं सारी। दो हजार दशम दौर लेखनी चलती रही निरंतर। कलम साधकों के दर्शन कर मिटा…
कलम का पुजारी | Kalam ka pujari | Kavita
कलम का पुजारी ( Kalam ka pujari ) नजर उठाकर देखो जरा, पहचान लीजिए। कलम का पुजारी हूं, जरा ध्यान दीजिए। शब्दों की माला लेकर, भाव मोती पिरोता हूं। कागज कलम लेकर, मैं सपनों में खोता हूं। गीत गजल छंद मुक्तक, दोहा चौपाई गाउं। मनमंदिर मांँ शारदे, पूजा कर दीप जलाऊं। …
किस्मत | Kismat kavita
किस्मत ( Kismat ) ->अपना काम करता चल ……..|| 1.लोगों की भलाई कर भूल जा, उस पर फिर विचार ना कर | आगे चलकर जरूर मिलेगा तुझे, उसका इंतजार न कर | तेरा साथ पाने वाला भूल जाए, तो कोई ऐतराज न कर | देख रहा है कोई अद्रश्य रुप से, खुद को…
मानवता हनन | Manavata hanan par kavita
मानवता हनन ( Manavata hanan ) हे प्रभु इस धरती पर नर को दानवता क्यों भाती है। ईर्ष्या द्वेष नफरते हावी सारी मानवता खा जाती है। लालच लोभ स्वार्थ में नर इंसानियत क्यों भूल गया। मतलब कि इस दुनिया में क्यों मझधार में झूल गया। लूट खसोट भ्रष्टाचार की नर राहें क्यों…
भाव जगाने निकला हूँ | Kavita bhav jagane nikla hoon
भाव जगाने निकला हूँ ( Bhav jagane nikla hoon ) बुझे हुए मन के भावों को, पुनः जलाने निकला हूँ। सुप्त हो चुके हिन्दू मन में, भाव जगाने निकला हूँ। अपनी काशी अपनी मथुरा,अपनी जो साकेत यहाँ। बुझी हुई चिंगारी से फिर, अग्नि जलाने निकला हूँ। जगा सकूँ कुछ हिन्दू मन को,तो मुझको भी…