पगडंडी | Hindi kavita
पगडंडी
( Pagdandi )
पगडंडी वो रस्ता है, जो मंजिल को ले जाती है।
उबड़ खाबड़ हो भले, मन को सुकून दिलाती है।
शहरों की सड़कों से ज्यादा, प्यारी लगे पगडंडी।
प्रदूषण का नाम नहीं है, बहती हवा ठंडी ठंडी।
पगडंडी पर प्रेम बरसता, सद्भावो की धारा भी।
हरी भरी हरियाली से, गांव लगता प्यारा भी।
पगडंडी की चर्चा होती, संसद के गलियारों में।
पगडंडी पर पले हुए, चेहरे दमके सितारों में।
आज साक्षी बनी हुई है, उन्नति और विकास की।
मानवता गायब हुई, मानवीय मूल्यों के ह्रास की।
संस्कार सड़कों पर आए, चकाचौंध के कायल है।
बंटवारे की जद्दोजहद में, पगडंडी भी घायल है।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )