पगड़ी | Pagdi par Kavita
पगड़ी
( Pagdi )
आन बान शान है पगड़ी स्वाभिमान पगड़ी है।
लहरिया की तान पगड़ी दीन ईमान पगड़ी है।
आदमी यश इज्जत पगड़ी राजाओं की शान है।
मर्यादा मान और प्रतिष्ठा घट घट में हिंदुस्तान है।
भामाशाह की जान पगड़ी योद्धाओं का मान है।
रणभूमि कूद पड़े जो रणधीरों का गुणगान है।
वैभव मान सम्मान है पगड़ी साहूकार की शान है।
जुबां पर अटल रहते कुल भूषण वाणी जुबान है।
संस्कृति की शान है पगड़ी संस्कारों का सम्मान है।
यश वैभव समृद्धि सूचक जन-जन की मुस्कान है।
केसरिया बाना है पगड़ी राष्ट्रप्रेम तराना है पगड़ी।
शौर्य पराक्रम ओज शमशीरो का ठिकाना पगड़ी।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )