आज आंखों में नमी है देखिए
आज आंखों में नमी है देखिए आज आंखों में नमी है देखिए! जीस्त में उसकी कमी है देखिए लौट आ तेरे बिना ए सनम कितनी तन्हा जिंदगी है देखिए शहर में कोई नहीं है अपना ही हर कोई तो अजनबी है देखिए देख ले तू प्यार से ही इक नज़र…
आज आंखों में नमी है देखिए आज आंखों में नमी है देखिए! जीस्त में उसकी कमी है देखिए लौट आ तेरे बिना ए सनम कितनी तन्हा जिंदगी है देखिए शहर में कोई नहीं है अपना ही हर कोई तो अजनबी है देखिए देख ले तू प्यार से ही इक नज़र…
किसी से नहीं अब रही आस बाकी किसी से नहीं अब रही आस बाकी। रहा अब कहीं पर न विश्वास बाकी।। मिटे प्यार में इस तरह हम किसी के। जलाने की ख़ातिर नहीं लाश बाकी।। वफा की बहुत पर हुआ कुछ न हासिल। नहीं कुछ हमारे रहा पास बाकी।। गए…
लालच बुरी बलाय ***** सदैव हलाल की कमाई खाएं, किसी के आगे हाथ न फैलाएं। ऊपर वाला जिस हाल में रखें- ख़ुशी ख़ुशी जीवन बिताएं, आवश्यकता से अधिक न चादर फैलाएं; बस अपना काम ईमानदारी से करते जाएं। बरकत और अल्ल्लाह की रहमत- खुद चलकर आपके द्वार आए, फिर काहे को हाय हाय? सब जानते…
मां की वेदना मां कोख में अपने खून से सींचती रही। अब तुम बूंद पानी देने को राजी नहीं। मां थी भूखी मगर भरपेट खिलाती रही। अब तुम इक रोटी देने को राजी नहीं। मां थी जागती रात भर गोद में सुलाती रही। अब तुम इक बिस्तर देने को…
ढ़ल रही धूप है सूरज की देखिए ढ़ल रही धूप है सूरज की देखिए! है उछल कूद ये आदमी देखिए भा गयी है आंखों को सूरज की लाली ख़ूबसूरत बड़ी दिलकशी देखिए रास्ते मंजिलों के दिखाने को ही राहों में फ़ैली है रोशनी देखिए जीतेंगे जंग रख हौसला दुश्मन से…
वक्त रुका ही नहीं कभी किसी के लिए ऊंचे नीचे पथरीले रास्ते का प्रारब्ध सफर कारवां गुजर जाने के बाद धुंधला दिखा जीवन का बहुमूल्य अंश बीत जाने पर अस्थिर और अविचर सी दशा में रुका बीते लम्हेंआंखों में कैद कुछ इस तरह हुए डूबे जैसे दरिया में हम समंदर छोड़कर…
हरे है ज़ख़्म अब तक भी दिलों पे दाग़ है बाकी हरे है ज़ख़्म अब तक भी दिलों पे दाग़ है बाकी। धुआँ- सा उठ रहा शायद कहीं पे आग है बाकी ।। नहीं ग़र भूल पाते हो करी कोशिश भुलाने की। बहुत यादें सताती है समझ लो राग है बाकी।। …
# कहानी_से_पहले_की_कहानी ★★ महाभारत के बाद मुनि वेदव्यास और श्री कृष्णजी ने धर्मराज युधिष्ठिर से राज्य के उत्थान हेतु अश्वमेध यज्ञ करने का आह्वान किया। अश्वमेध यज्ञ अर्थात विजय- पर्व,सुख समृद्धि की कामना और खुद को विजेता घोषित करने का उपक्रम। युधिष्ठिर…
है यकीं ये हम मिलेगे एक दिन है यकीं ये हम मिलेगे एक दिन! साथ में दोनों चलेगे एक दिन छोड़कर जिद वो नज़ाकत की मगर बात दिल की वो सुनेगे एक दिन मंजिलें तेरी मिलेगी प्यार की फूलों से रस्ते सजेगे एक दिन तोड़कर के फ़ासिलों की ही हदें…