जरा सी बात इतनी भारी हुयी

जरा सी बात इतनी भारी हुयी

जरा सी बात इतनी भारी हुयी   जरा सी बात इतनी भारी हुयी। उम्र भर  की हमें बीमारी हुयी।।   आज जी भर के शायद रोया है, इसी से आंख भारी भारी हुयी।।   फरेबी नश्ल ही रही उसकी, हानि जो भी हुयी हमारी हुयी।।   उसे सुला के ही सो पाता हू़, न जाने…

मेरा और उसका गुमान

मेरा और उसका गुमान

मेरा और उसका गुमान   वो अपने को सरेख समझ,            मुझे पागल समझती रही, अब देख मेरी समझ,            उसके तजुर्बे बदल गए, अब मुझे ज्ञानी समझ ,         अपने को अज्ञानी समझ रही।   कुछ शब्द बोल माइक पर,        अपने को वक्ता समझती रही, अब  मंचों पर देख शब्दों का सिलसिला मेरा,…

पी मुहब्बत की मैंनें भी चाय है 

पी मुहब्बत की मैंनें भी चाय है !

पी मुहब्बत की मैंनें भी चाय है      पी मुहब्बत की मैंनें भी चाय है ! इसलिए आहें निकलती दिल से है   मिल गया है दर्द दिल को इक ऐसा वो गया पीला दग़ा की चाय है   बेवफ़ा से मैं मुहब्बत कर बैठा जो नहीं समझा वफ़ा की चाय है   रह…

पास उसके हमारा घर होता

पास उसके हमारा घर होता

पास उसके हमारा घर होता     काश कुछ इस कदर बसर होता। पास उसके हमारा घर होता ।।   काटकर पेड़ उसने रोके कहा छांव मिलता जो इक शज़र होता।।   रतजगे मार डालेंगे अब मुझे, यार तुम पर भी कुछ असर होता।।    जीने मरने की तो फिकर ही कहां, जो भी होता…

प्यार है तू देख मेरे गांव में

प्यार है तू देख मेरे गांव में

प्यार है तू देख मेरे गांव में     प्यार है तू देख मेरे गांव में जो नहीं है शहर में लेकिन तेरे   नफ़रतों के ही मिले ख़ंजर मुझे दोस्त चलता हूँ मै अपनें गांव में   शहर में तो तल्ख़ लहजे है बहुत प्यार के लहजे है  मेरे गांव में   चोट दिल…

ढा रही है सितम ये हंसी आपकी

ढा रही है सितम सादगी आपकी

ढा रही है सितम सादगी आपकी     ढा  रही  है  सितम सादगी आपकी। कातिलाना अदा  यूं  सभी  आपकी।।   उस ख़ुदा की तरह दिल से चाहा तुझे। कर  रहा  है  ये  दिल  बंदगी आपकी।   महफिलों  में  गया  तो  वहां  ये लगा। खल रही है कहीं कुछ कमी आपकी।।   हुश्न तेरा वो दिल…

और घूंघट

और घूंघट

और घूंघट   शरद सिहरन चलन चटपट और घूंघट। प्राण ले लेगी ये नटखट और घूंघट।।   कुंद इंदु तुषार सघनित दामिनी तन, व्यथित पीड़ित प्रणयिनी सी काम बिन, मिल रही कुछ ऐसी आहट और घूंघट।। प्राण०   नैन पुतरी मीन सी विचरण करें, अधर फरकन चपला संचालन करे, करत बेसर अकट झंझट और घूंघट।।…

ढ़ाई आखर प्रेम के ( दोहे )

ढ़ाई आखर प्रेम के (दोहे)

ढ़ाई आखर प्रेम के ( दोहे ) ( मंजूर के दोहे ) ***** १) ढ़ाई आखर प्रेम के,पंडित दियो बनाय। सद्भावना के पथ चले,जग को हिंद सुहाय।। २) ढ़ाई आखर प्रेम के,मित्रता दियो बढ़ाए। शत्रुता मिटाकर शत्रु जन,करने सलाह आए।। ३) ढ़ाई आखर प्रेम के, हैं उच्च शक्ति के पुंज। तमस मिटा रौशन करें,हर ले…

chaahe kaante mile ya ki phool

चाहे काँटे मिले या कि फूल

चाहे काँटे मिले या कि फूल   चाहे काँटे मिले या कि फूल मुस्कुरा के तू कर ले क़ुबूल   झूट को सच कहा ही नहीं अपने तो कुछ हैं ऐसे उसूल   हाल ऐसा हुआ हिज्र में जर्द आँखें है चेहरा मलूल   आस फूलों की है किसलिए बोये हैं आपने जब बबूल  …

ग़म में ही ऐसा बिखरा हूँ

ग़म में ही ऐसा बिखरा हूँ

ग़म में ही ऐसा बिखरा हूँ     ग़म में ही ऐसा बिखरा हूँ ! अंदर से इतना टूटा हूँ   दिल से उसका मेरे भुला रब यादों में जिसकी  रोता हूँ   नफ़रत उगली है उसने ही जब भी कुछ उससे बोला हूँ   ग़ैर हुआ वो चेहरा  मुझसे उल्फ़त जिससें मैं करता हूँ…