तुम भा गए हो हमको कसम से

तुम भा गए हो हमको कसम से

तुम भा गए हो हमको कसम से   तुम भा गए हो हमको कसम से। तुम्हे चुरा ले कोई ना हम से।।   बनके तसव्वुर से हौले-हौले। दिल में बसे हो आकर के छम से।।   कितना पुराना है अपना नाता। मिलते रहे हो जन्मो जन्म से।।   है जगमगाता तेरा ये मुखङा। हो चांद…

फूल खिलते है मेरे गांव में!

फूल खिलते है मेरे गांव में!

फूल खिलते है मेरे गांव में!   फूल खिलते है मेरे गांव में! नफ़रतों की शहर में तेरे बू है   छाओं में खेला करते थे कंचे सब नीम का था इक पड़े जो गांव में   शहर में तो है शरारे नफ़रत के प्यार की ही है बहारें गांव में   गंदगी देखी  है…

जो सच है सो सच है

जो सच है सो सच है

जो सच है सो सच है     जो सच है सो सच है, अनदेखा क्यों करें हम सदा की तरह भीड़ का ही पीछा क्यों करें हम   जिन्हे रहती नहीं हमारी कोई खबर उनको बार बार यूँ देखा क्यों करें हम   कोई अहल-ए-वफ़ा पर कुछ कहता क्यों नहीं इसी बात पर हर…

ग़म की बारिश में मैं भीगता रह गया

ग़म की बारिश में मैं भीगता रह गया | Gam ki Shayari

ग़म की बारिश में मैं भीगता रह गया ( Gam ki baarish mein main bhigta rah gaya )   ग़म की बारिश में मैं भीगता रह गया उसकी यादों में ही डूबता रह गया   वो सनम गैरों से आशना हो गये मै उन्हें ख़ुद से ही रोकता रह गया   इश्क़ करके मुझे अब…

हो रही फूलों से आशिक़ी ख़ूब है

हो रही फूलों से आशिक़ी ख़ूब है

हो रही फूलों से आशिक़ी ख़ूब है   हो रही फूलों से आशिक़ी ख़ूब है! बरसी मुझपे ही जब शबनमी ख़ूब है   हो सकता जो नहीं हम सफर मेरा ही उसकी ही आरजू पल रही ख़ूब है   प्यार की बातें आगे नहीं है बढ़ी उससे आंखों से आंखें मिली ख़ूब है   लेकिन…

जिंदगी का सफर मुश्किलों से ढ़ला

जिंदगी का सफर मुश्किलों से ढ़ला

जिंदगी का सफर मुश्किलों से ढ़ला   जिंदगी का सफर मुश्किलों से ढ़ला। मंजिलें पा गया सोचकर जो चला।।   दोष क्या दें भला हम किसी और को। हर कदम पर यहां जिंदगी ने छला।।   दुःख-सुख को सदा थाम कर दिल सहा। चाह कुछ भी नहीं ना लबों पे गिला।।   फूंक कर ही…

न्याय

न्याय

न्याय ** गरीब मजलूमों को अब न्याय नहीं मिलता! मिलतीं हैं सिर्फ धमकियां! मुकदमा वापस ले लो.. वरना ? तो क्या करें? रो रहे हैं सिसक रहे हैं बहा रहे हैं आंसू बंद कर घर की दरवाजे खिड़कियां। सुना है ! कचहरियों में भी अब न्याय नहीं मिलता रंगीन कागजों के बदले में है बिकता!…

ढूंढ़ता क्या है तू दिल के पत्थरों में

ढूंढ़ता क्या है तू दिल के पत्थरों में

ढूंढ़ता क्या है तू दिल के पत्थरों में      ढूंढ़ता क्या है तू दिल के पत्थरों में ! प्यार नहीं है इन ज़रा भी जाहिलों में     नफ़रतों की सिर्फ़ होती बातें है है नहीं उल्फ़त ज़रा भी इन घरों में     झूठ आयेगा नज़र हर साफ़ तुझको देख हर चेहरा ज़रा…

हम जिंदा हैं

हम जिंदा हैं

हम जिंदा हैं   हम जिंदा हैं क्योंकि हमारे जिंदा रहने के कारण हैं   भले ही हमारी रगों का लहू सूख चुका है हमारे कानों तक नहीं पहुंचती कोई चीख पुकार ना ही कोई आहो बका   हम नदी के कगारों पे खड़े ठूंठ हैं   हम खामोश हैं क्योंकि हम दर्शक हैं  …

याद मां की आ गयी परदेश में

याद मां की आ गयी परदेश में

याद मां की आ गयी परदेश में      मन नहीं लगता किताबों में मेरा याद मां की आ गयी परदेश में   चाय पीकर दूर होती थी थकान मां की हाथों की बनी वो चाय से   पास है मां के दिया पत्ते नीम के डायरी में  क़ैद यादों की तरह   पी रहा…