परिवार का मुकुट | Laghu Katha
अनिता ने जीवन में बहुत संघर्ष किया था। उसने व्यवसाय में कड़े संघर्ष के बाद अपने ससुर के व्यवसाय को नयी ऊंचाईयों तक पहुंचाया था। उस का सम्मान समारोह था। समारोह में विविध लोगों ने रिश्तेदारों ने अनिता को सफलता के लिये बधाइयां दी थी।
उस के व्यक्तित्व की प्रशंसा की थी। अनिता के ससुर ने भी बहुत प्रशंसा की थी। आखिर में अनिता सब को धन्यवाद कहने के लिये माइक पर आयी।
अनिता ने माइक हाथ में लिया। एक सरसरी नजर उपस्थित लोगों पर डाली। उस के बाद वक्तव्य आरंभ किया।
उपस्थित महानुभावों को मेरा नमस्कार,
आज मुझे जीवन का सब से बडा पुरस्कार मिला है। व्यवसाय के लिये कई पुरस्कार मिले हैं; भविष्य में भी मिलेंगे। लेकिन आज मेरे पिता स्वरुप ससुर जी ने मेरे लिये जो कहा है। वो मेरे लिये जीवन का सब से बड़ा व महत्वपूर्ण पुरस्कार है। मेरे ससुर जी का मेरे लिये ये कहना मेरी पुत्रवधू मेरे परिवार का ताज है; परिवार का मुकुट है मेरे लिये सब से बडा….. बोलते बोलते अनिता रुक गयी।
उसे आंख व गला भर जाने के कारण रुकना पड़ा। लेकिन उपस्थित लोग उस की बात का अर्थ समझ चुके थे; सो तालियां बजनी शुरु हो गयी। तालियां थोडी कम होने के बाद अनिता ने अपनी बात पूरी की। उस के बाद तो तालियां एवरेस्ट शिखर को छूने लगी।
कुमार अहमदाबादी
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