Pati ki Tadap

पति की तड़प | Pati ki Tadap

पति की तड़प

( Pati ki tadap ) 

 

प्यार की हैं पहली परिभाषा
जिसके साथ रहो वही तमाशा
पत्नी की जब बोली हो तगड़ी
पति की होती घर में खिचड़ी ,
सर्पों की भाषा बोले जो प्राणी
पत्नी पति का खून पीने वाली।।

सजनी के बिन न होए भावर,
साजन के बिन न भाए सावन
पति पत्नी के बंधन में बंधे जब
तब समझ आए सब मन भावन
बनी बहुत लोकोक्तिया कितनी
पर इस रिश्ते की महक हो दुगनी ।।

खाना बनाए जो घर को सजाए
घर आंगन जो सब चौक पुराए
नोक झोंक से लगे सुंदर जोड़ी ,
नही रह सकते जो एक दूजे बिन
फिर किसी कहावत पर क्यूं जाए
पति का खून चाहे मच्छर पी जाए।।

 

आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
ग्वालियर – मध्य प्रदेश

dubeyashi467@gmail.com

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