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कविता का शहर मेरा
( Kavita ka shahar mera )
कविता का शहर मेरा सुंदर सा प्यारा है।
शब्द शब्द मोती सजते गुलजार सारा है।
भावों की धार बहती सुखनवर न्यारा है।
शिल्पी वाणी साधक सुदर्शन सितारा है।
गीत गजल दोहा मुक्तक गीतों की फुहार है।
छंद सोरठा चौपाई कविता की रसधार है।
अलंकार जगमग ज्योति जगाते सब तारे।
मंच माला माइक सब साज थिरकते सारे।
ओज वीर प्रेम रस काव्य की बहती रसधार।
करुण हास्य भक्तिरस शहर का करे श्रंगार।
कवि की कल्पना है मां शारदे का वरदान।
शब्दों का जादू सारा चेहरों की है मुस्कान।
कविता का शहर मेरा रोशन हुआ सारा है।
दिल की इक बस्ती में बज रहा इकतारा है।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )