भारत माँ के लाल उठो | Patriotic poem Hindi
भारत माँ के लाल उठो
( Bharat maa ke laal utho )
केसरिया बाना ले निकलो राम नाम हुंकार भरो
हर हर महादेव स्वर गूंजे ऐसी तुम जयकार करो
धीरे वीर पराक्रमी सब विवेकानंद कहते जागो
भारत मां के लाल उठो आगे बढ़ आलस त्यागो
स्वाभिमान राणा की भूमि तलवारों का जोश यहां
भारतमाता की जय गूंजे वंदे मातरम जयघोष यहां
ओज भरी हूंकार लिए फनकार सुनाने आया हूं
धरती मां के रणवीरों में जोश जगाने लाया हूं
शौर्य पराक्रम वीरता यशगान सुनाने आया हूं
वासंती होकर झूमे सब मधुर तराने लाया हूं
देशभक्ति के गीत सुनाता मातृभूमि वंदन करता
सरहद के रखवालों भाव भरा अभिनंदन करता
सीमा पे अटल सिपाही बारूद से बतियाते जो
अरिदल पे टूट पड़े वीर नाकों चने चबवाते वो
रणवीरों का वंदन करता राष्ट्रप्रेम जगाने आया हूं
हिंदुस्तान हिम्मतवाला राष्ट्रदीप जलाने लाया हूं
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )