फटे पुराने दिल | Phate Purane Dil
फटे – पुराने दिल!
( Phate – purane dil )
पलकों से रास्तों का खार हटाया जाए,
काँटा बिछानेवाले लोग हैं न।
उन उदास चेहरों को हँसाया जाए,
दिल दुखानेवाले लोग हैं न।
जली,उजड़ी उस बस्ती को बसाया जाए,
बस्ती जलानेवाले लोग हैं न।
अम्न की लोरियों से चलो दिल बहलाया जाए,
जंग की आग भड़कानेवाले लोग हैं न।
जिन्दा लोगों से चलो दिल लगाया जाए,
नफरत का बीज बोनेवाले लोग हैं न।
अदब,इज्जत,उसूल का गुण सिखाया जाए,
उसूल तोड़नेवाले लोग हैं न।
फटे-पुराने दिलों की खबर तो लिया जाए,
दिल लौटनेवाले लोग हैं न।
जिस्म के आगे बहुत कुछ औरतों में,बताया जाए
उसके अधिकारों को क़ैद करनेवाले लोग हैं न।
सत्य की आँच पे हरेक को पकाया जाए,
पर कुछ मुँह मारनेवाले लोग हैं न।
नष्ट होते जंगलों को फिर से हरा-भरा किया जाए,
पेड़ काटनेवाले लोग हैं न।
सर -ए -आँखों पे परिंदों को बिठाया जाए,
जाल बिछानेवाले लोग हैं न।
बारूद की बू से अर्श से फर्श को बचाया जाए,
नफ़रत की बुनियाद उठानेवाले लोग हैं न।
हँसते -खेलते लम्हों को आँखों में बसाया जाए,
नागफनी उगानेवाले लोग हैं न।
अब्र के टुकड़ों को फिजाओं से चुराया जाए,
ग्लोबलवार्मिंग बढ़ानेवाले लोग हैं न।
चलो गरीबी को कुछ कपड़े,जेवर पहनाया जाए,
चीरहरण करनेवाले लोग हैं न।
किसी के भाषा पे चाबुक न चलाया जाए,
अंग्रेजी बोलनेवाले लोग हैं न।
लोकतंत्र को भीड़ तंत्र से बचाया जाए,
मजहबी रंग चढ़ानेवाले लोग हैं न।
आजादी में जो लहू बहाए,उन्हें न भूलाया जाए,
देश को चबाने वाले लोग हैं न।
लेखक : रामकेश एम. यादव , मुंबई
( रॉयल्टी प्राप्त कवि व लेखक )