जीवन इक कचहरी है,सबको मिलता न्याय

दोहा सप्तक | जीवन इक कचहरी है,सबको मिलता न्याय

 जीवन इक कचहरी है,सबको मिलता न्याय

( Jeevan Ik Kachahari  Hai,Sabko Milata Nyaay )

 

जीवन इक कचहरी है,सबको मिलता न्याय।

बिना मुकदमा केस का,समय सुनाये राय।

 

रखें मुखौटा बॉंधकर,घूमें मत बाजार।

साफ सफाई से करें,कोरोना संहार।

 

नहीं सियासत में कभी,होता कोई मित्र।

किन्तु शुभ संकेत नहीं,इसका रक्त चरित्र।

 

जीवन के कैनवास पर,होगा सुंदर चित्र।

कृष्ण सुदामा की तरह, बनें परस्पर मित्र।

 

चर्चा में है आजकल,नन्दी ग्राम विशेष

वहां चुनावी जंग में,हिंसक है परिवेश।

 

जहॉं-जहॉं भी कैद है,दौलत बेशूमार।

जनता के कल्याण में,हो उसका व्यवहार।

 

औरों के दुख दर्द को,जो करता महसूस।

चमके वो संसार में,जैसे झाड़-फनूस।

✍️

कवि बिनोद बेगाना

जमशेदपुर, झारखंड

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