पीढ़ी का भविष्य
( Pidhi ka bhavishya )
चाहते हो यदि रखना सुरक्षित
कल के भविष्य को तुम अपने
तब खोलिए तुम अब आंख अपनी
बदलते दृश्य को भी जरा समझिए…
पूर्वानुमान ही रचता है भविष्य
वर्तमान तो केवल बचाता है भविष्य
हाथों तुम्हारे ही होगा निर्भर भविष्य
अतीत भी तुम्हे दिखलाता भविष्य…..
कलम ने ही बोए हैं बीज क्रांति के
कलम ने ही दिखाया है आइना सदा
चंद लोगों का प्रयास भर ही केवल
बचा नही पाएगा कल का भविष्य….
तुम्हे भय किससे है और क्यों है
क्यों लगे हो संतुष्टि की होड़ मे
रखना नही है बैर हमे किसी से भी
किंतु,अपना भी तो देखना है भविष्य….
गफलत मे सहूलियत नही मिलती
बिन मशाल के रोशनी नही मिलती
करोगे क्या गाकर प्रसंशा किसी की
रहेगा ही नही जब पीढ़ी का भविष्य…
( मुंबई )