Pitaji
Pitaji

पिताजी आप कहाॅं चलें गए

( Pitaji aap kaha chale gaye ) 

 

अनेंक उपकार करके पिताजी आप कहाॅं चलें गए,
अपनें दुःख ग़म को छुपाकर आप संग ही ले गए।
निश्छल आपका प्यार हम पर बरसा कर चलें गए,
हज़ारों खुशियां हमको देकर आप कहाॅं चलें गए।।

जीवन के कई उतार-चढ़ाव मुझको सिखाकर गए,
कितना भी हो कठिन काम पूर्ण करें बताकर गए।
हिम्मत-हौंसला नही हारना ऐसा जोश भरकर गए,
असीम कृपा, आशीर्वाद हम पर जो बनाकर गए।।

जाग जागकर कई रातें ख़्वाब हमारे पूरे करतें गए,
अपनें लिए न लेकर ज़रुरत हमारी पूरी करतें गए।
अपनी परेशानियां भूलकर हमको सदा हॅंसाते गए,
सही ग़लत का पथ दिखाकर आप कहाॅं चलें गए।।

स्कूल-कॉलेज की फीस हमारी वक्त से ही देते गए,
पेन-पेंसिल और किताबें हमको सभी दिलाते गए।
तपती गर्मी में शीतल छाव आप मेरी बनते ही गए,
कष्टों का सामना करते-करते आप कहाॅं चलें गए।।

जवाबदारी समझकर आप फ़र्ज़ सभी निभातें गए,
दीपक बनकर प्रकाशवान मेरे जीवन को कर गए।
पिता का जीवन में महत्व क्या है आप समझा गए,
लेकिन मुझे अकेला छोड़कर आप कहाॅं चलें गए।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here