Poem chalo jeete hain
Poem chalo jeete hain

चलो जीते हैं

( Chalo jeete hain )

 

चलो ज़िन्दगी जिते हैं
ज़िन्दगी हर पल निकलता जा रहा है
चलो ज़िन्दगी जिते हैं
चस्कियाँ काम है ज़िन्दगी के बोतल में
चलो पीते हैं
कोई चाँद देखा होगा कोई सितारा देखा होगा
कोई कोई कई नज़ारा देखा होगा
लेकिन कोई बताए मुझे
बिन आईने के अपने ही आँखों से
अपने आँखों का तारा देखा होगा
चलो देखते हैं
दुनिया के बहोत रंग है
कहीं दर्द तो कहीं उमंग है
कुछ लम्हे यूँही बिखर गए हमसे
चलो लम्हे सीते हैं
बहोत जगहे अनदेखा यहाँ
आश्चर्य से भरा जहाँ
चलो जिते हैं

🍀

कवि : आलोक रंजन
कैमूर (बिहार)

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