
नववर्ष-स्वस्तिवाचन।
( दोहा छंद )
अनुभव कटु-मधु दे गया,सन बाइस का साल।
करें दुआ नववर्ष में,रहे सभी खुशहाल।
नित-नित हो नववर्ष में,सबका नया विहान।
मंगलमय माहौल हो,मुखरित हो मुस्कान।
बंजर धरती पर उगे,अरमानों के फूल।
सब चिंता इस साल में,साबित हों निर्मूल।
नए साल में बॉंसुरी,छेड़े नूतन तान।
हुनर हौसले को मिले,नई-नई पहचान।
चिंताओं की धुंध से,ढके न मन का रूप।
उर के ऑंगन में खिले,उम्मीदों की धूप।
सुखद,सुमंगल,सुभग हो,सन तेइस का साल।
सुयश बढ़े इस देश का,सब जन हों खुशहाल।
कवि : बिनोद बेगाना
जमशेदपुर, झारखंड