नववर्ष

नई उम्मीदें लिए हुए आ रहा नूतन नववर्ष,
हर्षोल्लास की मधुर तरंगे करती हृदय स्पर्श।

इस अवसर पर आओ मिलजुल खुशियां मनाएं,
नव वर्ष का स्वागत करें हम सब बाहें फैलाएं।

बीत रहा जो वर्ष उसके रंजो गम छोड़िए,
आने वाले नववर्ष के स्वागत की सोचिए।

गुजरा हुआ साल चाहे कैसा भी रहा हो,
कितने उसमें गम मिले या विषाद रहा हो।

ये वर्ष तो बीत रहा इसका मलाल क्या करना,
नववर्ष मंगलमय रहे बस इसकी दुआ करना।

नए साल से नई खुशियों की उम्मीदें हम करते हैं,
दुख दूर होकर खुशियां आएं यही प्रार्थना करते हैं।

सारे सपने हमारे पूरे हों इस आने वाले साल में,
सफलताओं के तिलक लगे हम सबके भाल में।

नववर्ष हम सबकी झोलियां खुशियों से भर जाए,
कामयाबी कदम चूमे और सब अपनी मंजिलें पाएं।

रचनाकार  –मुकेश कुमार सोनकर “सोनकर जी”
रायपुर, ( छत्तीसगढ़ )


 

नववर्ष-स्वस्तिवाचन।

( दोहा छंद )

 

अनुभव कटु-मधु दे गया,सन बाइस का साल।
करें दुआ नववर्ष में,रहे सभी खुशहाल।

नित-नित हो नववर्ष में,सबका नया विहान।
मंगलमय माहौल हो,मुखरित हो मुस्कान।

बंजर धरती पर उगे,अरमानों के फूल।
सब चिंता इस साल में,साबित हों निर्मूल।

नए साल में बॉंसुरी,छेड़े नूतन तान।
हुनर हौसले को मिले,नई-नई पहचान।

चिंताओं की धुंध से,ढके न मन का रूप।
उर के ऑंगन में खिले,उम्मीदों की धूप।

सुखद,सुमंगल,सुभग हो,सन तेइस का साल।
सुयश बढ़े इस देश का,सब जन हों खुशहाल।

जमशेदपुर, झारखंड

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