वतन के लिए | Pome in Hindi on Watan
वतन के लिए
( Watan ke Liye )
सर भी झुकते हैं लाखों नमन के लिए
जान देते हैं जो भी वतन के लिए
सिर्फ़ नारों से क्या होगा ऐ दोस्तो
रौनक़े बख़्श दो अंजुमन के लिए
मेरे बच्चों से उनकी ख़ुशी छीन ली
और क्या चाहिए राहज़न के लिए
पीठ पर गोलियाँ तुम न खाना कभी
उसने लिख्खी है चिठ्ठी सजन के लिए
नाना अश्फाक़ बिस्मिल भगत लक्ष्मी
नाम पावन हैं कितने भजन के लिए
देश का हर जवाँ आजकल देख लो
चाहता है तिरंगा कफ़न के लिए
कैसे रोती है देखो ये माँ भारती
बेटे लड़ते हैं गंग-ओ-जमन के लिए
है मशीनों का युग ऐटमी दौर है
आँसुओं से न लिख्खो सुखन के लिए
देख साग़र वतन के जवाँ दिल भी अब
कितने बेताब हैं बाँकपन के लिए