गीता मानस | Poem on Gita Manas
गीता मानस
( Gita manas )
अद्भुत रचना शेष की , अलंकार रस छंद ।
गीता मानस को पढ़ें , दूर सभी हों द्वंद्व ।।
भगवद्गीता ग्रंथ का , छंदों में अनुवाद ।
जीवन को रसमय करें , करे दूर अवसाद।।
गीता मानस का सृजन , मानवता का पंथ ।
गूढ़ विषय सरलीकरण , है भविष्य का ग्रंथ।।
गायन वादन संग में , गीता मानस गान ।
मंगल उत्सव में करें , रसमय जीवन मान ।।
ज्ञान मुक्ति साधन सुलभ , परम ब्रह्म उपदेश ।
कृष्ण सुधारस पान से , भय चिंता नहिं लेश ।।