रंग केसरिया छाया
रंग केसरिया छाया

रंग केसरिया छाया

( Rang kesariya chhaya )

 

हर हर महादेव स्वर गूंजे स्वर लहरियां लाया है
भारत भू के खंड खंड में रंग केसरिया छाया है

 

तपोभूमि त्याग तपस्या तलवारों का है जोश जहां
रणवीरों रणधीरों में भरा भारतमाता जयघोष यहां

 

वीर शिवाजी छत्रपति शूरमां महाराणा प्रताप यहां
दानी कर्ण कृष्ण सुदामा भामाशाहों की खान यहां

 

मीराबाई भक्त प्रबल पद्मिनी का जौहर आन भरा
पन्ना धाय का बलिदान हाड़ा रानी गौरव गान भरा

 

मर्यादा में रामचंद्र जी तो कृष्ण सुदर्शन धारी थे
रणबांकुरों की धरा है शत्रु पर हम भी भारी थे

 

यज्ञ हवन ऋषि-मुनियों से मिलता था उपदेश सदा
अमन चैन खुशहाली में परचम लहराता देश जहां

 

शौर्य पराक्रम शूरवीरों की पावन धरा मेरे देश की
हर्ष खुशी आनंद भरा खुशबू चंदन सी परिवेश की

 

होली के रंगों में सद्भावो का प्रीत रंग चढ़ आया है
वीर वसुंधरा शोभित है अब रंग केसरिया छाया है

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कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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