सिया के राम | Poem Siya Ke Ram
सिया के राम
( Siya Ke Ram )
सिया के राम जन्म लेकर, पतित का नाश करेगे अब।
ताड़का खर दूषण के संग, नाराधम मारेगे वो अब।
धरा पर पाप बढा जब,नारायण राम रूप सज धज,
मनोहर रूप भुजा कोदंड, धरा से पाप मिटेगा अब।
प्रकट भयो नवमी को श्रीराम,पूर्णिमा जन्म लिए हनुमान।
सनातन उदित हुए इस मास, चैत है शक्ति का गुणगान।
पधारो लेकर पूजन थाल, मिटा तम् फैल रहा है प्रकाश,
राम नवमी है पावन आज, अवध मे सोहर गावत गान।
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )