Pratibha par Kavita
Pratibha par Kavita

प्रतिभा ईश्वर प्रदत्त होती है

( Pratibha ishwar pradat hoti hai ) 

 

विलक्षण प्रतिभा दुनिया में कीर्तिमान लहराती है।
जन्मजात गुण ईश्वर से यूं सिद्ध हस्तियां पाती है।

मन क्रम धर्म वाणी से खुशियों की बहारें लाते हैं।
पुण्यधर्म पालन करके धरती को स्वर्ग बनाते हैं।

सद्भावो के चमन खिलाए प्रेम की अविरल धारा।
सद्गुणों की सौरभ फैलाए महके मधुबन सारा।

सत्य शील सदाचरण की करते निशदिन पूजा।
साधु संत गुरु सेवा से सुख बड़ा ना कोई दूजा।

पुण्य कर्मों से धरती पे वो पौरुषता दिखलाते।
धीर वीर शौर्य पराक्रमी जय महासमर में पाते।

जप तप ध्यान योग माया वो ईश्वर जिनको देता।
बल बुद्धि विवेक ज्ञान भर गुण संपन्न कर देता।

कर देते सब संभव जगत में वैभव खुशहाली पाते।
प्रतिभाएं ईश्वर प्रदत होती प्यार की गंगा बहाते।

 

रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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