प्रीत बनी अहिल्या | Preet Bani Ahilya
प्रीत बनी अहिल्या
( Preet Bani Ahilya )
अगर दिल गोकुल है मेरा ,तो धड़कन बरसाना है।
दिल है यहां धड़कन है वहां ,फिर भी एक तराना है।
सांसों की लहरों में हलचल ,होती तेरे आने से।
जग की सीमांतों को लांघ के ,प्रेम नगर बसाना है।।
अगर दिल गोकुल है मेरा, तो धड़कन बरसाना है।
ना समझूं मैं तेरी कहीं ,गीता और कोई श्लोकों को।
छूं के आएं जो तुझको, कैद करूं उन झोंकों को।।
अपने प्रेम की खातिर मैंने ,छोड़ी दुनियां सारी है।
अपने मिलन के बीच में देखो, कालिया रूपी जमाना है।।
अगर दिल गोकुल है मेरा, तो धड़कन बरसाना है।
बाली उमरिया तड़प रही है, कुंदन सी ये दमक रही है।
हर ऋतु लगे मोहे नशीली, बगिया तन की महक रही है।।
मौसम की जादू टोना भी, मोहे ना भरमाते अब।
तेरी खातिर धरा पे आई, बस इतना समझना है।।
अगर दिल गोकुल है मेरा, तो धड़कन बरसाना है।
ना मैं खेलूं होली तुम बिन, दीप जलाऊं ना देहरी पे।
कब आओगे बोलो तुम नैन थके अब शबरी के।।
बन गई” प्रीत” अहिल्या है हौले से आकर छूं जाओ।
करके तुझ में समर्पण अब, जन्मों की प्यास बुझाना है।।
अगर दिल गोकुल है मेरा, तो धड़कन बरसाना है।
दिल है यहां धड़कन है वहां फिर भी एक तराना है।।
डॉ. प्रियंका सोनी “प्रीत”
जलगांव
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