प्रीति के गीत
प्रीति के गीत

प्रीति के गीत

( Preeti ke geet )

 

प्रीत के गीत गाकर सयानी हुई,
मै हूं मीरा जो मोहन दीवानी हुई।

 

राग  और  रागिनी में समाई हूं मैं,
ताल और छंद संग लेकेआई हूं मैं।
सुर सरिता की मैं एक कहानी हुई।
मै हूं मीरा जो मोहन दीवानी हुई।

 

हिन्द कीशान और राष्ट्र का गान हूं,
जन के चेतन मेंभरती मुखर तान हूं,
मैं वो शक्ति जो झांसी की रानी हुई,
मै  हूं मीरा जो मोहन दीवानी हुई।

 

सूर के मैं नयन गीत कबीरा के हूं,
जायसी केपदों की मैं गरिमाभी हूं,
पूज्य जन जन में बन मैंभवानी हुई,
मै हूं मीरा जो मोहन दीवानी हुई।

 

प्रकृति के रंगों में दिखाई मैं दूं,
जिंदगी के रंगों में सुनाई मैं दूं,
रचके मानस में सीता सुहानी हुई,
मै हूं मीरा जो मोहन दीवानी हुई।

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रचना – सीमा मिश्रा ( शिक्षिका व कवयित्री )
स्वतंत्र लेखिका व स्तंभकार
उ.प्रा. वि.काजीखेड़ा, खजुहा, फतेहपुर

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