नाग पंचमी विशेष
नाग पंचमी विशेष

नाग पंचमी विशेष

( Nag Panchami Par Kavita )

 

इक प्याले मे दूध लिए, पत्नी आई मुस्कराई।
तुमको मेरे प्राण नाथ, नाग पंचमी की बधाई।

 

पी लो हे प्रिय नटराजा के, विष तो तुमरी वाणी है।
एक वर्ष में एक बार ही, विष में धार लगानी है।

 

क्यों मै ढूंढू अन्य नाग को, जब तुम संग मै ब्याही।
धर्म कर्म और पाप पुण्य, तेरे चरणों की मै राही।

 

पी लो शायद कम हो जाए, वाणी के विष तुमरे।
हुंकार करे बर्दास्त बताओ विष हममे या उसमे।

 

✍?

कवि :  शेर सिंह हुंकार

देवरिया ( उत्तर प्रदेश )

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