प्रेम में पड़ कर
प्रेम में पड़ कर
अक्सर प्रेम से ओत प्रोत
पुरूष
समर्पित कर देता है
पत्नी के हिस्से का प्रेम
अपनी प्रेमिका को
खुद के अस्तित्व को
स्वयं ही नष्ट कर लेता है
और…..
ढूँढता है अपना अस्तित्व
प्रेमिका के अंदर
अस्तित्वहीन पुरूष
स्वयं ही खत्म कर लेता है
अपना महत्व
और………
महत्वहीन पुरूष
नहीं पा सकता
पत्नी और प्रेमिका का प्रेम………..!!