पुरुष | Purush par kavita
पुरुष
( Purush )
जगत में पुरुष पौरुष धरकर पुरुषार्थ दिखलाते
शुभ कर्मों से अपने दम पे नाम रोशन कर जाते
निज वचनों पे अटल रहे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम
देह दान कर गए दधीचि भारी तप किया निष्काम
औरों की खातिर जीते जो दया करुणा सागर है
प्रेम भरी बहती सरिता भावों में नेह की गागर है
सारे गम छुपा लेते अधरों पे धर कर मुस्कान
मानवता का धर्म निभाते जो होते सच्चे इंसान
पुत्र पिता भाई बन पुरुष सारे फर्ज निभाता है
घर संसार प्रेम गंगा नित खून पसीना बहाता है
परिवार पोषण करता पुरुषार्थ जग में करता है
पुरुष नारी रक्षक बनकर बाधाओं से लड़ता है
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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